संकट में कर्नाटक सरकारः राज्यपाल और स्पीकर आमने-सामने, रमेश कुमार ने नहीं मानी बात
कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत को लेकर राज्यपाल और स्पीकर आमने-सामने आ गए हैं.
नई दिल्ली:
कर्नाटक में सियासी ड्रामा थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार को काफी हंगामे के बाद कर्नाटक विधानसभा कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है. इसके विरोध में बीजेपी के सभी विधायकों ने रातभर सदन में धरने में बैठने का फैसला किया है. वहीं, कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत को लेकर राज्यपाल और स्पीकर आमने-सामने आ गए हैं. राज्यपाल के संदेश के बाद भी स्पीकर ने उनकी बात नहीं मानी और विधानसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी.
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कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने स्पीकर को कहा कि सदन में विश्वास प्रस्ताव विचाराधीन है. स्पीकर आज शाम तक वोटिंग पर विचार करें. राज्यपाल के इस संदेश को स्पीकर रमेश कुमार ने विधानसभा में पढ़कर भी सुनाया था. स्पीकर ने बताया कि राज्यपाल ने संदेश में कहा है कि आज विश्वास मत पर वोटिंग के लिए विचार करें. उन्होंने विश्वास मत पर विचार के लिए कहा है. राज्यापल ने निर्देश नहीं दिया है, इच्छा जताई है.
इसके बाद भी स्पीकर ने राज्यपाल के निर्देश को नहीं माना और उन्होंने कल तक के लिए विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी है. इससे कर्नाटक विधानसभा में आज विश्वास मत पर वोटिंग नहीं हो पाई है. कल यानि शुक्रवार को 11.30 बजे दोबारा सीएम एचडी कुमारस्वामी विधानसभा में विश्वासमत हासिल करने की कोशिश करेंगे. इसके विरोध में बीजेपी के विधायकों ने सदन में धरना देने का फैसला किया है.
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वहीं, बीजेपी नेता और पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने विधानसभा में कहा कि सभी को समय दें. चाहे रात के 12 ही क्यों न बज जाएं. अगर आप इससे सहमत हैं तो कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं को समय दे दें. बीजेपी सिर्फ 5 मिनट के लिए बोलेगी. जरूरत है तो मतदान के साथ आज इसे खत्म करें. वहीं, कुमारस्वामी सरकार में मंत्री कृष्णा गौड़ा ने कहा कि राज्यपाल ने एक संदेश भेजा है और आपने उसके पढ़ लिया है. हमने विश्वास मत लिया है और कुछ कानूनी पहलू हैं. प्रस्ताव पहले से ही विचाराधीन है. विश्वास मत जो विधानसभा का भविष्य तय करेगा. इस पर चर्चा करना सदन के सदस्यों का अधिकार और विशेषाधिकार है.
कांग्रेस के एचके पाटिल ने कहा कि राज्यपाल ने भले ही निर्देश नहीं भेजा हो, हो सकता है कि यह गलत संदेश भेजा गया हो, लेकिन विधानसभा में हस्तक्षेप के लिए ये काफी है. राज्यपाल को सदन की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. हमने देखा है कि राज्यपाल का प्रतिनिधि यहां मौजूद है. हम उस व्यक्ति का स्वागत करते हैं, लेकिन हमें इसका पता होना चाहिए था.
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