वधावन भाईयों के मामले में शिवसेना ने पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस पर साधा निशाना, कह दी ये बड़ी बात
वधावन भाइयों को दो हिल-स्टेशनों के बीच आवाजाही करने की अनुमति दी थी, उसे इस पद पर पूर्व मुख्यमंत्री और अब विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने नियुक्त किया था.
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र में शिवसेना (Shivsena) ने विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए सोमवार को कहा कि जिस आईपीएस अधिकारी ने घोटालेबाज कारोबारियों, वधावन भाइयों को दो हिल-स्टेशनों के बीच आवाजाही करने की अनुमति दी थी, उसे इस पद पर पूर्व मुख्यमंत्री और अब विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadanvis) ने नियुक्त किया था. शिवसेना ने इसे 'साजिश' करार देते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि वास्तव में आईपीएस अधिकारी और गृह विभाग के प्रमुख सचिव (विशेष) अमिताभ गुप्ता द्वारा लेटरहेड (8 अप्रैल को) पर अनुमति देने के पीछे किसका हाथ हो सकता है.
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में सोमवार को कहा, पिछले चार महीनों की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के नाम और उसकी सभी उपलब्धियों को मिट्टी में मिलाने की साजिश थी, लेकिन यह सफल नहीं हुआ. पिछले सप्ताह मामला तूल पकड़ने के बाद, फडणवीस ने दावा किया था, एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के लिए यह गलती का परिणाम जानने के बावजूद खुद से ऐसी गलती करना संभव नहीं है.
15 दिनों में गठित की गई जांच समिति
गुप्ता और गृह मंत्री अनिल देशमुख को लेकर विपक्ष के बवाल मचाने के बीच, बाद में तुरंत अधिकारी को 'अनिवार्य छुट्टी' पर भेज दिया गया और एक वरिष्ठ नौकरशाह द्वारा 15 दिनों में जांच पूरा करने के लिए एक जांच समिति गठित की गई. 12 अप्रैल (रविवार) को यस बैंक घोटाले में नामित भाइयों -कपिल वधावन और धीरज वधावन ने अपने वकीलों के माध्यम से एक विस्तृत बयान जारी किया, जिसमें दावा किया गया कि वे खंडाला (पुणे में हिलस्टेशन) से महाबलेश्वर (सतारा में हिलस्टेशन) में अपने पैतृक घर कोरोनावायरस महामारी के संकट से बचने के लिए शिफ्ट हुए थे.
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सामना के संपादकीय में फडणवींस पर आरोप
इस मुद्दे पर एमवीए का बचाव करते हुए, 'सामना' में कहा गया कि गुप्ता को महत्वपूर्ण पद पर इसलिए नियुक्त किया गया था, क्योंकि फडणवीस को स्पष्ट रूप से उनकी दक्षता पर भरोसा था. सामना के संपादकीय में कहा गया, अब उस अधिकारी ने वधावन परिवार पर विशेष अनुग्रह किया और राज्य प्रशासन के लिए समस्याएं पैदा करने की कोशिश की. यह उजागर हो रहा है कि वास्तव में एमवीए सरकार के लिए संकट पैदा करने के लिए गुप्ता के फैसले के पीछे कौन था.
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सामना ने कहा कि अगर एमवीए सरकार वास्तव में वधावन भाइयों और उनके 21 अन्य पारिवारिक सदस्यों की मदद करना चाहती तो सतारा जिले के अधिकारी उन्हें क्यों रोकते, उन्हें सरकारी क्वारंटीन में क्यों भेजते और उनके (पांच) वाहनों को क्यों जब्त करते. सामना ने यह स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार अमीर, रसूखदार व्यक्तयों या गरीबों, आम लोगों के बीच कोई अंतर नहीं करती है, जो बड़ी कठिनाइयों के साथ लॉकडाउन का सामना कर रहे हैं.
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