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Mumbai Attack: कसाब का मुंबई पुलिस के गौरवशाली इतिहास का एक अध्याय

डी.बी. मार्ग पुलिस थाना कोई चांस नहीं ले रहा था. सहायक पुलिस निरीक्षक हेमंत बावधनकर और संजय गोविलकर के नेतृत्व में विनौली चौपाटी पर उनकी टीम, चौकी से गुजरने वाली प्रत्येक गाड़ी की गहन जांच कर रही थी. जंक्शन पर तैनात अन्य लोगों में उप निरीक्षक भास्कर कदम, सहायक उप निरीक्षक तुकाराम ओंबले, सरजेराव पवार और चंद्रकांत कोठाले, हवलदार शिवाजी कोल्हे, विक्रम निकम, अशोक शेलके और चंद्रकांत चव्हाण, पुलिस नायक विजय अवहद और मंगेश नाइक, कांस्टेबल रमेश माने, सुनील सोहनी, संतोष चेंदवंकर, वायरलैस आपरेटर संजय पाटिल और चालक चंद्रकांत कांबले शामिल थे.

Updated on: 25 Nov 2022, 08:58 PM

25 नवंबर:

डी.बी. मार्ग पुलिस थाना कोई चांस नहीं ले रहा था. सहायक पुलिस निरीक्षक हेमंत बावधनकर और संजय गोविलकर के नेतृत्व में विनौली चौपाटी पर उनकी टीम, चौकी से गुजरने वाली प्रत्येक गाड़ी की गहन जांच कर रही थी. जंक्शन पर तैनात अन्य लोगों में उप निरीक्षक भास्कर कदम, सहायक उप निरीक्षक तुकाराम ओंबले, सरजेराव पवार और चंद्रकांत कोठाले, हवलदार शिवाजी कोल्हे, विक्रम निकम, अशोक शेलके और चंद्रकांत चव्हाण, पुलिस नायक विजय अवहद और मंगेश नाइक, कांस्टेबल रमेश माने, सुनील सोहनी, संतोष चेंदवंकर, वायरलैस आपरेटर संजय पाटिल और चालक चंद्रकांत कांबले शामिल थे.

विनौली चौपाटी जंक्शन क्षेत्र में एक प्रमुख प्रवेश और निकास बिंदु है, जिस पर हमला किया गया था, इसलिए चार स्तरीय जांच चल रही थी. पहले समूह ने मोटर चालकों को धीमा करने, सामने की रोशनी बंद करने, अंदर की रोशनी जलाने और सभी खिड़कियों को नीचे करने के लिए कहा. अधिकारियों के अगले समूह ने अंदर और कार में मौजूद लोगों की जांच की. तीसरे समूह ने कार का विवरण लिखा और अधिकारियों का आखिरी जत्था अपनी एके के साथ तैयार था.

स्कोडा के बारे में अलर्ट संदेश मिलने पर टीम सतर्क हो गई. उनका रास्ता आतंकवादियों के लिए सबसे संभावित रास्ता था, और वही हुआ. स्कोडा विनौली नाकाबंदी के पास पहुंची और उन्होंने पहले आदेश का पालन किया. लेकिन अगले आदेश का पालन नहीं किया. इस्माइल ने सामने की लाइट बंद करने के बजाय पुलिस को न दिखाई दे इसके लिए हेडलाइट चालू कर दी. उन्होंने विंडशील्ड पर वॉशर फ्लुइड का छिड़काव कर दिया. कार के अंदर का हिस्सा पुलिस को दिखाई नहीं दे रहा था और खतरे को भांपते हुए अन्य अधिकारी आगे बढ़ने लगे.

इस्माइल ने डिवाइडर को पार करने के इरादे से कार को अपने दाहिनी ओर मोड़ा, लेकिन वह सफल नहीं रहा. पुलिस अपने हथियारों के साथ आगे बढ़ी और इस्माइल ने अपनी पिस्तौल से गोलियां चलाना शुरु कर दिया. तब तक, अधिकारियों का तीसरा समूह भी करीब आ गया. सहायक पुलिस निरीक्षक बावधनकर और उप निरीक्षक भास्कर कदम ने जवाबी कार्रवाई की और इस्माइल को तुरंत मार दिया गया. कसाब ने अपने दोस्त को लंगड़ाते हुए देखा. पुलिस फायरिंग जारी रही. इसके बाद कसाब ने बायां दरवाजा खोला और जानबूझकर कार से बाहर गिर गया.

यह देखकर तुकाराम ओंबले फुर्ती से दरवाजे की ओर बढ़े और कसाब को छाती से लगाये एके-47 के साथ जमीन पर पड़ा देखा. एक पल की देरी के बिना, ओंबले ने कसाब से बंदूक छीनने की बहुत कोशिश की, जबकि कसाब ओंबले को अपने से दूर करने की कोशिश करता रहा. हालांकि वह ओंबले को खुद से दूर गिराने में सफल नहीं हुआ, लेकिन वह ट्रिगर दबाने में सफल रहा. ओंबले के शरीर में पांच गोलियां लगीं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई.

कसाब ने बताया कि ओंबले के शव ने उसके लिए उठना और पुलिसकर्मियों पर हमला करना और भी मुश्किल बना दिया था, जो वह करना चाहता था. टीम के बाकी लोग स्कोडा के बाईं ओर भागे और कसाब को ओंबले ने नीचे देखा. तभी कसाब ने फिर से गोली चलाई और एक गोली सहायक पुलिस निरीक्षक गोविलकर के बाएं कूल्हे में जा लगी.

पुलिसकर्मियों ने ओंबले के शव को हटाकर कसाब को कपड़ा और डंडों से उसे बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया. कसाब ने हथियार पर अपनी पकड़ खो दी और वह जमीन पर गिर गया. अपराध शाखा में काम कर चुके अधिकारी संजय गोविलकर ने कसाब पर हमले को रोकने की कोशिश की. अपनी चोट के बावजूद, उसने खुद को अपने क्रोधित साथियों और कसाब के बीच में धकेल दिया और निराशा में चिल्लाया, अरे याला मरू नका! तो अप्लायला जीवंत आआहे ! त्याग्यकदून महžवाचि महिति मिल्वायची आहे. तो साक्षीदार आहे. (उसे मत मारो! हमें उसे जीवित चाहिए! हमें उससे महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है. वह एक चश्मदीद गवाह है!) .

गोविलकर द्वारा समय पर अपने साथियों को रोकने से बड़ी दुर्घटना को टाल दिया. वरना हम मृत कसाब को पकड़ते, जिसका कोई फायदा नहीं था. इस दौरान टीम ने खून से लथपथ गोविलकर को कसाब को गले लगाते हुए देखा जैसे कि वह अपने सबसे प्यारे दोस्त को बचा रहे हों!

कसाब और इस्माइल की कार की सवारी का नाटकीय समापन सिर्फ सात मिनट तक चला और मुंबई पुलिस के इतिहास में एक गौरवशाली पृष्ठ लिखा. यह बहादुर और विनम्र तुकाराम ओंबले द्वारा बहाए गए खून से लिखा गया था. सिर्फ एक डंडे से लैस, वह बिना कुछ सोचे कसाब को पकड़ने के लिए आगे बढ़े थे.

यह पृष्ठ कदम और बावधनकर की गोलियों से भरा हुआ था, जिन्होंने इस्माइल को मार डाला था और कसाब की गिरफ्तारी का मार्ग प्रशस्त किया था. डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन की पूरी टीम द्वारा प्रदर्शित धैर्य का जिक्र किया गया है, जिन्होंने स्कोडा को रोकने के लिए मानसिक रूप से खुद को तैयार किया, चाहे जो भी हो और इसके घातक चालक दल को बेअसर कर दिया.

(राकेश मारिया की लेट मी से इट नाउ से प्रकाशकों, वेस्टलैंड प्रकाशनों की अनुमति से उद्धृत)

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