BMC Election : मोदी के डर से गैर NDA पार्टियों को इकट्ठा कर रही शिवसेना? जानें क्या है बड़ी वजह
BMC Election : मुंबई और आसपास के महानगर पालिकाओं के चुनाव जल्द ही होने वाले हैं. भाजपा और शिंदे ग्रुप की कोशिश है कि उन चुनाव में उनकी जीत हो. इसी वजह से पिछले 1 महीने के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दौरे मुंबई में आयोजित किए गए.
मुंबई:
BMC Election : मुंबई और आसपास के महानगर पालिकाओं के चुनाव जल्द ही होने वाले हैं. भाजपा और शिंदे ग्रुप की कोशिश है कि उन चुनाव में उनकी जीत हो. इसी वजह से पिछले 1 महीने के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दौरे मुंबई में आयोजित किए गए. इस दौरान पीएम मोदी ने कई सारे प्रोजेक्टों को उद्घाटन किया. मुंबई में जैसे-जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे शिवसेना उन्हें काउंटर करने के लिए बीजेपी के खिलाफ वाली पार्टियों को लामबंद कर रही है. शिवसेना ऐसा इसलिए कर रही है, ताकि अलग-अलग राज्यों के वोटरों को अपनी तरफ मिलाकर बीएमसी के चुनाव जीते जा सके.
बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनाव (BMC Election) को लेकर बीजेपी-शिंदे ग्रुप और शिवसेना के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. इस चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी भी शिवसेना के साथ है. ऐसे में शिवसेना बीएमसी चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए देशभर के उन सभी नेताओं को एजजुट करने की कोशिश कर रही है, जो बीजेपी और शिंदे ग्रुप के खिलाफ हैं. इसी क्रम में शिवसेना ने सबसे पहले सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की, उसके बाद के चंद्रशेखर राव भी उद्धव ठाकरे से मिले.
आदित्य ठाकरे ने बिहार जाकर नीतीश कुमार से मुलाकात की और अब उन्होंने चेन्नई में स्टालिन से भेंट की. आदित्य ठाकरे का अचानक से विपक्ष के नेताओं के साथ मुलाकात ने यह साफ कर दिया है कि शिवसेना अब साउथ इंडियन और दूसरे प्रदेश के आए लोगों के वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुई है, ताकि बीजेपी और शिंदे ग्रुप के रणनीति को फेल किया जा सके.
हालांकि, आदित्य ठाकरे की स्टालिंग से मुकालात के बाद बीएमसी बीजेपी ग्रुप के नेता विनोद मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा कि शिवसेना किसी की भी हितैषी नहीं है, फिर चाहे वह नॉर्थ इंडियन हो साउथ इंडियन हो या फिर खुद मराठी चौकी. जब बड़े-बड़े कॉन्ट्रैक्ट देने की बात आती है तो शिवसेना हमेशा नॉन मराठी आदमी को ज्यादा पसंद करती है और राहुल गांधी के नक्शे कदम पर आदित्य ठाकरे चल रहे हैं.
वहीं, उद्धव ग्रुप के प्रवक्ता आनंद दुबे ने बीजेपी और शिंदे ग्रुप पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवसेना सिर्फ मराठी अस्मिता और मुंबई करो की बात करती है और महाराष्ट्र में जो भी आया है वह मराठी है. शिवसेना को पाठ पढ़ाने वाली बीजेपी और शिंदे ग्रुप मराठी युवाओं के रोजगार को गुजरात भेज रहे हैं, उसका क्या?
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बीएमसी चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, हर पार्टियां अपनी जातिगत भाषाई और दूसरे समीकरणों को साधने की कोशिश कर रही हैं और उसी कोशिश में आदित्य ठाकरे भी कहीं न कहीं साउथ इंडियन को अपने पक्ष में लाने की कोशिश में लगे हैं. मुंबई में साउथ इंडियन वोटर की संख्या करीब 20 लाख है और पूरे एमएमआर रिजन मिलाकर 2500000 के आसपास वोटर हैं.
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