परिवारवाद पर प्रहार, पंचायत चुनाव में जनता ने नकारा
बड़े चेहरों से जनता दूरी बनाना चाहती है. आसानी से उपलब्ध रहने वाले नेता ही लोगों को पसंद हैं. चेहरों के दम पर चुनाव जीतना आसान नहीं है.
भोपाल:
मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव में परिवारवाद को जनता ने नकार दिया है. पहले चरण के नतीजों से जो ट्रेंड मिले हैं, वो दिग्गजों को झटका देने वाले हैं।हालांकि पहले चरण की वोटों की गिनती की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है,लेकिन अनौपचारिक तौर पर नतीजे सबको पता चल गए हैं. विधानसभा अध्यक्ष से लेकर विधायक और मंत्री भी अपने बेटे-बहू और पत्नी को चुनाव नहीं जितवा पाए. पंचायत चुनाव की पहली पाठशाला में ही नेता पुत्रों को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ गया. ये स्थिति तब है जब दिग्गजों ने अपनों को जिताने में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी, बावजूद इसके जनता ने उन पर भरोसा नहीं जतया. अब सवाल है कि आखिर इसके मायने क्या हैं? तो मूड से ये साफ है कि जनता को परिवारवाद पसंद नहीं है.
यह भी जानिए - शिंदे 'सेना' को SC से बड़ी राहत, महाराष्ट्र सरकार-डिप्टी स्पीकर को नोटिस
बड़े चेहरों से जनता दूरी बनाना चाहती है. आसानी से उपलब्ध रहने वाले नेता ही लोगों को पसंद हैं. चेहरों के दम पर चुनाव जीतना आसान नहीं है. नतीजों में दिग्गजों की जमीन भी कमजोर पड़ने के संकेत हैं. ये तो पहले चरण के ट्रेंड हैं,अभी आगे के चुनावों में भी कई बड़े नेताओं के अपनों के भाग्य का फैसला होना है. सवाल ये है कि सियासत के सूरमाओं को बेटे और बहू को पंचायतों में क्यों उतारना पड़ा? तो दरअसल पार्टियों ने अब परिवारवाद से किनारा कर लिया है।विधानसभा और लोकसभा चुनाव में डायरेक्ट टिकट संभव नहीं है. ऐसे में पंचायतों में जीतेंगे,तो ही आगे दावेदारी मजबूत होगी. आगे टिकट मांगना आसान हो सगेगा.
वैसे भी पंचायत और निकाय को राजनीति की पहली पाठशाला कहा जाता है, इसीलिए दिग्गजों को बेटों को पंचायतों में लड़ाकर राजनीतिक लॉन्चिंग करनी पड़ी, ताकि आगे की राह आसान हो सके. कुल मिलाकर ये भविष्य की तैयारी है. वैसे बड़ा सवाल ये भी है कि जिस तरह से बड़े नेताओं ने अपनों को पंचायत चुनाव में प्रोजेक्ट किया,क्या उस सूरत में राजनीति में परिवारवाद से दूरी बन पाएगी? क्योंकि पार्टियों ने भले ही विधानसभा और लोकसभा चुनावों में नेता पुत्रों को दूर रहने की नसीहत दी है,लेकिन जिस तरह से दिग्गजों ने पंचायतों के जरिए बैकडोर का सहारा लिया है, उससे साफ है कि वो परिवारवाद से बाहर निकलना नहीं चाहते.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: क्यों खास है इस वर्ष अक्षय तृतीया? ये है बड़ा कारण
-
Amavasya Ke Totke: दुश्मनों से हैं परेशान या कोई फैला रहा है नेगेटिव एनर्जी, तो आज रात करें ये उपाय
-
Chanakya Niti: चाणक्य के अनुसार क्या है मनुष्य का असली धर्म, यहां जानिए
-
Rajarajeshwar Temple: राजराजेश्वर मंदिर की क्या है खासियत जहां पीएम मोदी ने टेका माथा