logo-image

राज्यपाल ने दिया झारखंड सरकार को बड़ा झटका, OBC आरक्षण विधेयक किया वापस

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड सरकार को झटका दिया है. ओबीसी आरक्षण विधेयक को राज्यपाल ने वापस कर दिया है. अटॉर्नी जनरल की सलाह पर राज्यपाल ने विधेयक को वापस किया है. 2022 में सोरेन सरकार ने बिल पारित किया था.

Updated on: 21 Apr 2023, 10:59 AM

highlights

  • राज्यपाल ने OBC आरक्षण विधेयक किया वापस
  • अटॉर्नी जनरल की सलाह पर विधेयक वापस
  • 2022 में सरकार ने पारित किया था बिल
  • राजभवन से बिल वापस आने पर सियासत

 

 

Ranchi:

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड सरकार को झटका दिया है. ओबीसी आरक्षण विधेयक को राज्यपाल ने वापस कर दिया है. अटॉर्नी जनरल की सलाह पर राज्यपाल ने विधेयक को वापस किया है. 2022 में सोरेन सरकार ने बिल पारित किया था. राजभवन से बिल वापस आने पर सियासत भी शुरू हो गई है. सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर वार पलटवार कर रहा है. आपको बता दें कि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड में ओबीसी सहित अन्य श्रेणियों के आरक्षण की सीमा बढ़ाने से संबंधित विधेयक को राज्य सरकार को वापस लौटा दिया है.

आपको बता दें कि ओबीसी आरक्षण विधेयक अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे को 14% से बढ़ाकर 27% और अनुसूचित जाति के कोटे को 26% से बढ़ाकर 28% और अनुसूचित जाति को 10% से बढ़ाकर 12% करने का प्रयास करता है. 

ओबीसी वर्ग के लिए केवल है छलावा

वहीं, अब इस पर सियासत भी शुरू हो गई है. वर्तमान राज्य सरकार के समर्थित दल कांग्रेस का मानना है कि यह विधायक लौटाया जाना इस बात का संकेत है कि भारतीय जनता पार्टी ओबीसी वर्ग के लिए केवल छलावे का काम कर रही है. कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि राज्य में 27% आरक्षण ओबीसी को मिले ऐसा बीजेपी नहीं चाहती. इस कारण संवैधानिक पद के माध्यम से इस विधेयक को वापस करवाती है. ओबीसी वर्ग को सिर्फ और सिर्फ बीजेपी अपने वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करती है. 

यह भी पढ़ें : यहां मल्लिका और आम्रपाली आम की हो रही है बंपर बागवानी, किसानों की भी मोटी कमाई

जानिए बीजेपी ने क्या कहा

वहीं, प्रदेश की विपक्षी पार्टी बीजेपी के प्रवक्ता का कहना है कि राज्यपाल के द्वारा आरक्षण विधेयक बिल वापस किया जाना भारत के एटर्नी जनरल के सलाह के बाद विधि संवत सम्यक विचार के लिए ऐसा किया गया है. राज्य सरकार अपने विधि विभाग एडवोकेट जनरल के सलाह को अनसुनी करके राज्य सरकार ज़िद पर अड़ी रहेगी तो हर विधायक का यही हशर होने जा रहा है. राज्य सरकार को ठंडे दिमाग से यह सोचना चाहिए कि ओबीसी आरक्षण का जो सुप्रीम कोर्ट का जो गाइडलाइन है उसका अनुपालन नहीं किए जाने पर विधायक निश्चित रूप से विधेयक पारित नहीं किए जा सकते.