झारखंड सरकार की नई पहल, मवेशियों के लिए की जाएगी एंबुलेंस की व्यवस्था
लगातार झारखंड राज्य के कई जगहों से ऐसी खबर सामने आ चुकी है, जहां ग्रामीण क्षेत्र में एंबुलेंस की कमी देखी गई.
highlights
- मवेशियों के लिए एंबुलेंस की खरीदारी
- करोड़ों की लागत से खरीदी जाएगी एंबुलेंस
- बीजेपी ने हेमंत सरकार पर उठाया सवाल
Ranchi:
लगातार झारखंड राज्य के कई जगहों से ऐसी खबर सामने आ चुकी है, जहां ग्रामीण क्षेत्र में एंबुलेंस की कमी देखी गई. इन क्षेत्रों में जब आम आदमी बीमार होता है, तो उसे खटिया दो बांस के डंडे से टांग कर अस्पताल लाया जाता है. अब राज्य सरकार उसी ग्रामीण क्षेत्र में मवेशियों के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था कर रही है. चौंकिए मत, झारखंड के जानवरों का इलाज अब एंबुलेंस में ले जाकर किया जाएगा. खबर थोड़ी हैरान करने वाली है, लेकिन यह फैसला झारखंड सरकार कर सकती है और इस पर आगामी कैबिनेट में मुहर भी लगाया जा सकता है. करोड़ों की लागत से झारखंड में बीमार मवेशियों के इलाज के लिए एंबुलेंस की खरीदारी की जाएगी. राज्य भर के सभी जिलों के सभी प्रखंडों में जानवरों के लिए एंबुलेंस और उस एंबुलेंस में मवेशी डॉक्टर भी मौजूद रहेंगे.
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पशुओं के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था
जिस गांव में जानवर बीमार रहेंगे, उसी गांव में जाकर एंबुलेंस और वेटरनरी डॉक्टर पशुओं का इलाज करेंगे. झारखंड में जहां एक तरफ जहां लोगों को इलाज के लिए एंबुलेंस की सुविधा नहीं है, वहीं दूसरी तरफ करोड़ों रुपए की लागत से जानवरों के लिए एंबुलेंस खरीदा जा रहा है. प्रतिदिन झारखंड की राजधानी रांची समेत अन्य जिलों में ऐसे मामले देखने को मिलते हैं, जहां बीमार मानव जाति के लोगों को कभी खटिया पर टांग कर, तो कभी दो बांस के डंडे के सहारे लोगों को टांग कर अस्पताल लाया जाता है. जहां मनुष्य के लिए पर्याप्त मात्रा में एंबुलेंस नहीं है, वहां जानवरों के लिए करोड़ों रुपए की लागत से एंबुलेंस खरीदना हजम नहीं हो पा रहा है.
जब जानवरों के लिए एंबुलेंस खरीदने की बात कैबिनेट में कही गई, तो कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि झारखंड में लंबी वायरस और अन्य बीमारियों से मवेशी ग्रसित हैं. जिनकी प्रॉपर इलाज के लिए उक्त एंबुलेंस की खरीदारी करोड़ों रुपए की लागत से की जाएगी. वहीं भाजपा के विधायक ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस राज्य में आम आदमी के इलाज के लिए और उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में करोड़ों रुपए की लागत से जानवरों के लिए एंबुलेंस खरीदना घोटाले की नई नीति को न्योता देने के बराबर है.
जानवरों के नाम पर एंबुलेंस नहीं, बल्कि एक बार फिर चारा घोटाला जैसा अंजाम झारखंड सरकार का होने जैसा प्रतीत हो रहा है. इसी कड़ी में एक और खास बात यह है कि रांची शहर के नामकुम में सैकड़ों एंबुलेंस धूल फांक रहे हैं, जिन्हें वर्षों से खरीद कर रखा गया है. उसकी उपयोगिता कब सरकार को समझ में आएगी, यह कहना उचित नहीं है क्योंकि जब से एंबुलेंस की खरीदारी हुई है, तब से उन एंबुलेंस को नामकुम के संस्थान पर ही रखा गया है. उससे आज तक ना ही किसी बीमार मरीज को अस्पताल तक पहुंचाया गया है. धूल फांक रहे एंबुलेंस की हालत ऐसी हो गई है कि अब इंसान क्या जानवरों को भी उससे अस्पताल तक पहुंचाना संभव नहीं है. वहीं सरकार के फैसले से जानवर रखने वालों ने कहा कि ये सरकार की अच्छी पहल है.
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