पलामू में लगता है भूतों का मेला, आस्था और अंधविश्वास का संगम
'मेला' शब्द सुनते ही हमारे मन में रंग बिरंगे बाजार, मिठाइयों की दुकान और तरह-तरह के झूलों की तस्वीर दिखने लगती है.
highlights
- पलामू में लगता है भूतों का मेला
- मेले में लगता है लोगों का हुजूम
- आस्था और अंधविश्वास का संगम
Palamu:
'मेला' शब्द सुनते ही हमारे मन में रंग बिरंगे बाजार, मिठाइयों की दुकान और तरह-तरह के झूलों की तस्वीर दिखने लगती है. पलामू में एक ऐसा मेला लगता है, जिसे देख आपके मन में बचपन के मेले की यादें कहीं छू-मंतर हो जाएंगी. इस मेले में बाजारों के साथ पूजा की वेदियां है. शहनाई की आवाज के साथ मंत्रोच्चार की ध्वनियां है और आस्था में लीन भक्तों के साथ कथित भूत बाधा से पीड़ित लोगों की कतार है. जिसकी एक तस्वीर ही आपकी रूह कंपा सकती है क्योंकि ये कोई आम मेला नहीं है, ये पलामू में लगने वाला भूतों का मेला है. पलामू जिले के मुख्यालय मेदिनीनगर से 70 किलोमीटर दूर हैदरनगर देवी धाम में आस्था की आड़ में अंधविश्वास का खेल चरम पर है.
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पलामू में लगता है भूतों का मेला
यहां बेतहाशा झुमते लोगों की तस्वीर, जगह-जगह मंत्रोच्चारण और मंदिर की घंटियों की आवाज. हैदरनगर देवी धाम में आस्था और अंधविश्वास का अनोखा समागम देखने को मिलता है. यहां साल में दो बार कार्तिक और चैत्र नवरात्र में भूतों का मेला लगता है. जहां बिहार, झारखंड, उड़ीसा समेत कई राज्यों के लोग आते हैं. श्रद्धालुओं की मानें तो यहां जो भी भक्त सच्चे मन से कुछ मांगता है उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है. जहां तथाकथित भूतों के साये से परेशान लोग छुटकारा पाने आते हैं.
आस्था और अंधविश्वास का संगम
इस मेले की कई तस्वीरें विचलित भी कर सकती है क्योंकि लोग कहीं रोते बिलखते, तो कहीं अजीब तरीके से नाचते दिखाई देते हैं. मेले में लोगों के हुजूम का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि लोग साड़ियों और कपड़ों का तंबू लगाकर यहां रहने आते हैं. यही वजह है कि इस धाम पर हजारों की संख्या में ओझा गुनियों का भी काम होता है. ये अलग बात है कि यहां भूत-प्रेत के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा दिया जाता है, लेकिन इस मेले का इतिहास 100 सालों से भी ज्यादा पुराना है.
मेले में जाने से डर लगता है
बताया जाता है कि हैदरनगर देवी धाम में 1887 से भूत मेले का आयोजन होता है. हैदरनगर देवी धाम परिसर में मां शीतला देवी का मंदिर भी है. कहा जाता है कि बिहार के औरंगाबाद के एक जमींदार परिवार ने यहां मंदिर की स्थापना की थी और तभी से ये हजारों लोगों की आस्था का केंद्र बन गया. हैदरनगर देवी धाम परिसर धार्मिक सौहार्द का भी प्रतीक माना जाता है
क्योंकि परिसर में मंदिर के साथ एक बाबा का मजार भी है.
बुरी शक्तियों से छुटकारा पाने आते हैं लोग
हैदरनगर देवी धाम शक्ति पीठ के रूप में भी प्रचलित है, लेकिन आस्था के इस केंद्र में अंधविश्वास की तस्वीरें भी देखने को मिलती है. सवाल ये भी उठता है कि आखिर अंधविश्वास के इस खेल का अंत कब और कैसे होगा. न्यूज़ स्टेट बिहार झारखंड ऐसी किसी भी अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है.
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