Delhi NCR Pollution: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की ये है वजह, लोगों के लिए बन रहा खतरनाक
Delhi NCR Pollution: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को रोकने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं. मसलन डीजल से चलने वाले वाहनों पर रोक लगाना. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, मेट्रो के अधिक फेरे शामिल है.
नई दिल्ली:
Delhi NCR Pollution: दिल्ली में प्रदूषण का दौर जारी है. लोगों को दिवाली से पहले बारिश के बादद थोड़ी राहत मिली थी. लेकिन दिल्ली एनसीआर में एक बार फिर खराब हवा लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता दर 500 के करीब दर्ज किया गया है. इस खराब हवा की वजह से लोगों को सांस लेने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं बुजुर्गों से सुबह के वक्त बाहर नहीं निकलने की सलाह दी गई है.
एरोसोल दूसरा बड़ा कारण
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को रोकने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं. मसलन डीजल से चलने वाले वाहनों पर रोक लगाना. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, मेट्रो के अधिक फेरे. सरकारी बस सहित पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा उपयोग करना शामिल है. वहीं इन दिनों पराली जलाने का मुद्दा काफी चर्चा में रहा. प्रदूषण के अलग-अलग सोर्स से निकलने वाला जहरीला धुआं आपस में प्रतिक्रिया कर ऐसे लेवर बना रहे हैं जिससे लोगों के लिए बेहद ही घातक बनता जा रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार ये सल्फेट, नाइट्रेट और अमोनिया जैसे खतरनाक गैस बनकर तैयार हो रहे हैं जो वायुमंडल को बेहद की जहरीला बना रहा है.
35 प्रतिशत का योगदान
दिल्ली के प्रदूषण पर नजर रखने वाले वेबसाइट की माने तो दिल्ली में जहरीली हवा का सबसे बड़ा कारण गाड़ियां, है. वहीं दूसरा सबसे बड़ा कारण सेकेंडरी एरोसोल है. 16 नवंबर की रिपोर्ट की अनुसार एरोसोल सबसे बड़ा कारण रहा जिसकी शेयर 35 प्रतिशत रहा. पोर्टल के मुताबिक सल्फेट, नाइट्रेट और अमोनिया प्रतिक्रिया कर एरोसोल का निर्माण करती है. पावर प्लांट, वाहन, ईंट के भट्टे, फैक्टरी, वाहन खुले नाले आदि से निकलने वाले गैस प्रदूषण का कारण है.
क्रोनित बीमारी का खतरा
दिल्ली एनसीआर में बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए ग्रेप3 लागू कर दिया गया है. इसके लागू होने के बाद दिल्ली मेट्रो के 20 अधिक फेरे लगेंगे. वहीं डीजल से चलने वाले सभी जेनरेटर पर पूरी तरह से बैन लगाया गया है. इसके अलावा डीजल की पुरानी गाड़ियों के चलने पर भी रोक लगाई जा रही है. ग्रेप कमेटी के सदस्य डॉ. टीके जोशी का कहना है कि हवा में फैलने वाला एरोसोल अलग-अलग गैस के मिलने के बाद तैयार होता है. सल्फेट और नाइट्रेट जब सांस के जरिए अंदर जाता है तो ये फैफड़ों को हानि पहुंचाने के लिए काफी है. इसकी वजह से क्रोनिक बीमारी, सांस लेने में तकलीफ सहित कई समास्याएं उत्पन्न हो जाती है.
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