Coal Scam:पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा और उनके बेटे की बढ़ी मुश्किल, कोर्ट ने सुनाई 4 साल की सजा
Coal Scam: छत्तीसगढ़ के कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट का बड़ा फैसला, दोषियों को सुनाई चार साल की सजा और 15 लाख रुपए का लगाया जुर्माना
highlights
- कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला
- पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा को सुनाई चार साल की सजा
- कोर्ट ने दोषियों पर 15 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया
नई दिल्ली:
Coal Block Scam: कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. छत्तीसगढ़ कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में कोर्ट ने विजय दर्डा को चार साल की सजा सुनाई है. बुधवार को दिल्ली स्थिति राउज एवेन्यू कोर्ट की ओर से ये फैसला सुनाया गया है. कोर्ट ने विजय दर्डा के साथ-साथ इस मामले में उनके बेटे देवेंद्र दर्डा को भी 4 वर्ष की सजा के साथ 15 लाख रुपए का जुर्माना देने को कहा है. इसके अलावा इस केस में और भी लोगों को सजा और जुर्माने देने को कहा गया है. इनमें प्रमुख रूप से कंपनी जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्रा. लि. के डायरेक्टर मनोज कुमार जायसवाल भी शामिल हैं.
राउज एवेन्यू अदालत ने मनोज कुमार को भी 4 वर्ष की सजा के साथ 15 लाख रुपए जुर्माने के तौर पर देने को कहा है. मनोज कुमार के साथ-साथ इस मामले में कोर्ट ने एक और दोषी फॉर्मर कोल सेक्रेटरी एचसी गुप्ता को तीन वर्ष की सजा सुनाई है.
Delhi's Special Court sentences 4 years imprisonment to former Rajya Sabha MP Vijay Darda. His son Devender Darda, M/S JLD Yavatmal Energy Pvt Ltd's Director Manoj Kumar Jayaswal also sentenced to four years imprisonment in a case relating to irregularities in the allocation of a… pic.twitter.com/An6uzLPVow
— ANI (@ANI) July 26, 2023
हालांकि गुप्ता के जुर्माने की राशि कम रखी गई है. कोर्ट ने एचसी गुप्ता को 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया है.
सीबीआई खुश भी और निराश भी
इस मामले में कोर्ट की ओर से सजा सुनाए जाने के बाद सीबीआई के लिए खुशी और निराशा दोनों तरह का दिन रहा. दरअसल इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने दोषियों को ज्यादा सजा की मांग की थी. सीबीआई ने अदालत से कहा था कि, दोषियों के खिलाफ इस केस में पर्याप्त सबूत हैं लिहाजा उन्हें ज्यादा से ज्यादा सजा सुनाई जाए.
वहीं इस मामले में दोषियों की ओर से केस लड़ रहे वकील ने कोर्ट के सामने दलील रखी थी कि इस मामले का ट्रायल चलते हुए 9 वर्ष का वक्त बीत गया है. इस दौरान उनके मुवक्किलों ने काफी मुश्किलें और प्रताड़ना झेली है, लिहाजा सजा के ऐलान के वक्त कुछ नरमी बरती जाए.
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