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Bihar Caste Census: जातीय गणना के मामले में बिहार सरकार क्यों गई सुप्रीम कोर्ट? क्या है कैविएट पिटीशन?

बिहार सरकार ने जातीय गणना मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दी है. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि सरकार का पक्ष जाने बिना फैसला नहीं दिया जाये.

Updated on: 03 Aug 2023, 03:13 PM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट पहुंची बिहार सरकार
  • राज्य सरकार ने SC में दाखिल की कैविएट अर्जी
  • सुप्रीम कोर्ट से बिहार सरकार ने की अपील

Patna:

बिहार सरकार ने जातीय गणना मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दी है. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि सरकार का पक्ष जाने बिना फैसला नहीं दिया जाये. बिहार सरकार को आशंका है कि याचिकाकर्ता इस मामले में कोई अड़ंगा लगा सकता है. जिसके बिहार में हो रहे जातीय गणना पर फिर व्यवधान उत्पन्न हो सके. JDU का मानना है कि जातीय गणना बिहार के लिए बहुत जरूरी है. जिसमें कुछ लोग अड़ंगा लगा रहे हैं. बीजेपी और आरएसएस विचारधारा से जुड़े लोग जो यूथ फॉर इक्वलिटी की बात करते हैं. वह इस तरीके के काम में शामिल है.

JDU ने बताई कैविएट अर्जी की वजह

JDU के विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि जातीय गणना के खिलाफ भी उन्हीं लोगों ने याचिका दायर की थी. उन्होंने बीजेपी से सवाल किया कि संगीत रागी कौन है? बीजेपी आरक्षण के खिलाफ भी अपने लोगों से याचिका दायर करवाई थी और उन लोगों को शक है कि सुप्रीम कोर्ट में भी जाति आधारित गणना के खिलाफ यह लोग पिटिशन दाखिल कर सकते थे. यही कारण है कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट पिटिशन दाखिल किया है. ताकि इसमें कोई व्यवधान ना उत्पन्न कर सके.

BJP कर सकती है रोकने का प्रयास: RJD 

महागठबंधन का मुख्य सहयोगी दल RJD को भी शक है कि बीजेपी इस जातीय गणना को रोकने का प्रयास कर रही है. बिहार में 80% गणना पूरा हो गया था, लेकिन इसे रोकने के लिए पिटिशन दाखिल कर दिया गया. बिहार सरकार को फिर अंदेशा था कि सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से इसे फिर रोकने का प्रयास किया जाएगा. इसी कारण बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है कि इस मामले मैं फैसला देने से पहले बिहार सरकार की भी बात सुनी जाए.

राजनीतिक जमीन तलाशने में JDU-RJD: BJP

वहीं, जातीय गणना को लेकर तत्कालीन एनडीए की सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. बीजेपी की सहमति के बाद बिहार में जाति आधारित गणना करवाने का निर्णय लिया गया था. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि हाईकोर्ट में बिहार सरकार ने सही ढंग से अपना पक्ष नहीं रखा. इसी कारण गणना करवाने में देरी हुई. बिहार सरकार को अंदेशा था कि सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर हो सकती है यही कारण है कि कैविएट पिटीशन दायर किया गया है. तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि महागठबंधन के घटक दलों के सामने कुछ बचा नहीं है. यही कारण है कि वह लोग अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं. महागठबंधन की राजनीतिक जमीन खिसक गई है. राजनीतिक जमीन तलाशने में JDU और RJD के लोग लगे हुए हैं, लेकिन आगामी चुनाव में बिहार की जनता इसका जवाब देगी.

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सभी दल कर रहे हैं सियायत

कैविएट पिटिशन दाखिल होने के बाद अब 90 दिनों तक इस मामले में कोई सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं कर सकता है. इन 90 दिनों में अब बिहार सरकार जाति आधारित गणना पूरा करवा सकती है. इस गणना पर बिहार में सभी राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से सियासत कर रहे हैं. सभी दल यह दावा कर रही है कि इससे बिहार के उन गरीब लोगों का भला होगा जो अपने अधिकार से वंचित थे. अब देखना है कि जाति आधारित गणना पूरी होने के बाद बिहार सरकार इसे कब सार्वजनिक करती है और किन-किन लोगों को इस गणना का लाभ मिलता है.

​​रिपोर्ट : आदित्य झा