CTET-BTET अभ्यर्थियों का प्रदर्शन शुरू, डाक बंगला चौराहे पर पुलिस ने रोका
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी विधानसभा का घेराव करने के लिए निकले थे लेकिन पुलिस द्वारा उन्हें डाक बंगला चौराहे पर ही रोक लिया गया.
highlights
- CTET-BTET अभ्यर्थियों का धरना प्रदर्शन शुरू
- विधानसभा का घेराव करने निकेल अभ्यर्थी
- पुलिस ने डाक बंगला चौराहे पर प्रदर्शनकारियों को रोका
Patna:
एक तरफ बिहार की महागठबंधन सरकार रोजगार देने की बात कहती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. CTET-BTET अभ्यर्थियों की तकलीफें सरकार को नहीं दिख रही हैं. काफी समय से CTET-BTET अभ्यर्थी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे हैं और आज एक बार फिर से CTET-BTET अभ्यर्थी सूबे की महागठबंधन सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर गए. प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी विधानसभा का घेराव करने के लिए निकले थे लेकिन पुलिस द्वारा उन्हें डाक बंगला चौराहे पर ही रोक लिया गया. प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षामंत्री उलूल जूलूल बातें कह रहे हैं, सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है और हमें आवाज उठाने के बदले पुलिसिया जुल्म का शिकार होना पड़ रहा है.
शिक्षा मंत्री ने क्या कहा?
अभ्यर्थियों द्वारा लगातार महागठबंधन सरकार पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि CTET-BTET अभ्यर्थियों के प्रदर्शन का कोई मतलब नहीं बनता. उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार की दिशा में तेजी के साथ काम कर रही है और CTET-BTET अभ्यर्थियों की बहाली को लेकर विधानसभा में चर्चा हो रही है और सरकार उसे गंभीरता से ले रही है, ऐसे में प्रदर्शन करना सही नहीं है.
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BTET-CTET अभ्यर्थियों की कब सुनेगी सरकार
बिहार में किसी भी नौकरी को लेकर सिस्टम बिना विरोध प्रदर्शन और बवाल के क्यों नहीं जागता? आखिर क्यों बार-बार अभ्यर्थियों को पटना आकर धरना प्रदर्शन और हंगामा करने पर मजबूर होना पड़ता है? 3 साल से ज्यादा वक्त से CTET-BTET पास अभ्यर्थी सातवें चरण की बहाली का इंतजार कर रहे हैं. इन तीन साालों में जब सूबे के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव विपक्ष में थे तो तब पुरजोर तरीके से अभ्यर्थियों की आवाज बनते थे और तब सत्ता में बैठी बीजेपी खामोश रहती थी और अब यही काम आरजेडी और तेजस्वी यादव कर रहे है. अब बीजेपी BTET-CTET अभ्यर्थियों की बात उठा रही है और आरजेडी सत्ता में है लेकिन खामोश है.
युवाओं की कौन सुनेगा?
बीजेपी को अब इन अभ्यर्थियों से हमदर्दी होने लगी है. अब जरा सोचिए देश में पांच सालों में सरकार बदल जाती है, व्यवस्था बदल जाती है, इन मेहनतकश युवाओं की जिंदगी में भी परिवर्तन आया लेकिन इस परिवर्तन ने शिक्षक बनाने की जगह चायवाला बना दिया, नौनिहालों को पढ़ा लिखाकर देश के निर्माण करवाने की जगह, पकौड़े तलने को मजबूर कर दिया. चायवाला...पकौड़ेवाला, सब्जीवाला, ये ही नाम इन पढ़े लिखे बेरोजगारों का नया नाम बन चुका है. बिहार में हजारों बेरोजगार BTET-CTET पास अभ्यर्थी दो वक्त की रोटी के इंतजाम में चाय बेच रहे हैं, पकौड़े बेच रहे हैं और सब्जियां बेच रहे हैं.
एक नजर में पूरा मामला
-साल 2006 से शिक्षकों की भर्ती की जा रही है
-पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे चरण की शिक्षक भर्ती कहा गया
-आखिरी बार साल 2019 में छठे चरण की भर्ती निकाली गई थी
-छठे चरण के तहत 94 हज़ार शिक्षकों के ख़ाली पदों पर भर्ती होनी थी
-छठे चरण की भर्ती के लिए भी कई बार विरोध प्रदर्शन हुआ
-32 महीने बाद छठे चरण के तहत मात्र 42 हज़ार पदों पर नियुक्ति हुई
-छठे चरण के लगभग 50 हज़ार से अधिक शिक्षको के पद खाली
-सातवें चरण की बहाली को लेकर तीन साल से 90 हजार अभ्यर्थी को इंतजार
-2019 में सीटेट और बीटेट पास 90 हजार शिक्षक अभ्यर्थी हैं
-सिस्टम की गलतियों के कारण छठे चरण में इन्हें मौका नहीं मिल पाया
-महज 11 दिनों के अंतर से छठे चरण में इन्हें मौका नहीं मिल पाया
-छठे चरण के नोटिफिकेशन निकलने के 11 दिन बाद सीटेट का रिजल्ट निकला
-अभ्यर्थी सातवें चरण की बहाली का इंतजार कर रहे हैं
-कई बार धरना प्रदर्शन के बावजूद सिर्फ इन्हें आश्वासन मिलता रहा
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