NS Explainer: राहुल को 'मजबूत' करेंगे लालू, नीतीश को 'कुछ नहीं चाहिए', ममता दीदी 'अलग', UP में सपा-बसपा का मेल नहीं, बड़ा सवाल-कैसे बनेगी 2024 की बात?
लोकसभा चुनाव 2024 में अब ज्यादा समय नहीं बचा है और ऐसे में विपक्षी दलों का गठबंधन INDIA कछुआ की स्पीड से आगे बढ़ रहा है. हालांकि, उस समय कछुआ और खरगोश की दौड़ में कछुआ को जीत मिली थी लेकिन यदि यही हाल रहा तो चुनाव तक विपक्ष एक नहीं पाएगा.
Patna:
आज यानि 01 सितंबर 2023 को विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की मुंबई में बैठक हुई. बैठक 30 अगस्त से 01 सितंबर तक यानि 2 दिनों के लिए हुई. बैठक के बाद कोई बड़ी घोषणा विपक्षी दलों के नेताओं के द्वारा नहीं की गई लेकिन संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान कई चीजें देखने को मिलीं. खासकर कुछ नेताओं की नाराजगी संक्षिप्त तौर पर देखने को मिली. वहीं, इस बैठक में ना तो INDIA गठबंधन का लोगो लांच हो पाया और ना ही गठबंधन के संयोजक के नाम का ऐलान हो पाया. लोकसभा चुनाव 2024 में अब ज्यादा समय नहीं बचा है और ऐसे में विपक्षी दलों का गठबंधन INDIA कछुआ की स्पीड से आगे बढ़ रहा है. हालांकि, उस समय कछुआ और खरगोश की दौड़ में कछुआ को जीत मिली थी लेकिन यदि यही हाल रहा तो चुनाव से पहले पूरा विपक्ष एक ही नहीं हो पाएगा.
लालू यादव का 'हाथ'... राहुल गांधी के साथ
INDIA गठबंधन की आज हुई बैठक में सबकी निगाहें इस तरफ थी कि गठबंधन का संयोजक कौन होगा? माना जा रहा था कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार के नाम का ऐलान बतौर संयोजक किया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दूसरी तरफ, लालू यादव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अपना नेता बता डाला और स्पष्ट कह दिया कि वो राहुल गांधी को मजबूत करेंगे.
ऐसे में बिहार के सीएम नीतीश कुमार की दोनों उम्मीदों पहला कि वो पीएम प्रत्याशी बनेंगे और दूसरी कि वो गठबंधन का संयोजक बनेंगे.. इन दोनों ही उम्मीदों पर पानी फिर गया. हालांकि, नीतीश कुमार शुरू से कहते हैं आए हैं कि वो पीएम मैटेरियल खुद को नहीं मानते और ना ही उन्हें व्यक्तिगत तौर पर किसी चीज या पद की चाहत है. वो तो सिर्फ ये चाहते हैं कि विपक्षी दल एकजुट होकर लोकसभा 2024 का चुनाव लड़ें.
ममता बनर्जी भी कम नहीं...
अब जब लालू यादव ने राहुल गांध को मजबूत करने की बात कह दी है तो नीतीश कुमार जरूर बैकफुट पर चले जाएंगे. ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर बिहार में नीतीश कुमार के साथ सरकार चलाने वाली RJD कांग्रेस का खुलकर समर्थन क्यों कर रही है और नीतीश कुमार व जेडीयू की मंशा के विपरीत क्यों जा रही है? वहीं, दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी एक तरफ कांग्रेस से नाखुश हैं तो दूसरी तरफ लेफ्ट के महागठबंधन में शामिल होने से नाराज भी हैं.
ममता बनर्जी की नाराजगी आज मुंबई में हुई बैठक में भी देखने को मिली. वो खासकर इस बात से नाराज दिखीं कि राहुल गांधी के द्वारा अडाणी से जुड़े मुद्दे को बिना महागठबंधन के नेताओं से विचार विमर्श किए उठाया गया.
क्या कांग्रेस ही सबकुछ है?
अब ऐस में सवाल ये उठता है कि क्या कांग्रेस ही सबकुछ है? क्योंकि गठबंधन में जितने भी दल शामिल हैं उनमें से आम आदमी पार्टी को छोड़कर कोई भी ज्यादा मजबूत स्थिति में नहीं है. आम आदमी पार्टी ही एकमात्र पार्टी है जो दो राज्यों में अपने दमपर बहुमत की सरकार में हैं. वहीं, अन्य पार्टियां या तो गठबंधन के साथ सरकार में हैं या फिर एक ही राज्य में उसकी सरकार है.
आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस के सामने सरेंडर हो चुकी है. जिस तरह से आज अरविंद केजरीवाल ने ये कहा कि दिल्ली में भी अन्य राज्यों की तरह सीटों का बंटवारा होगा तो इससे यही बात समझ में आ रही है कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस के साथ समझौता करने के लिए तैयार है. अब अगर दिल्ली में सीटों का बंटवारा होता है तो बंटवारा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच होगा. वहीं, पंजाब में अगर अकाली दल महागठबंधन में शामिल हो जाता है तो सीटों का बंटवारा आम आदमी पार्टी, अकाली दल और कांग्रेस के बीच होगा. अब दिल्ली और पंजाब में अगर किसी बात पर पेंच फंसेगा तो वो है सीटों की संख्या को लेकर.
पश्चिम बंगाल में INDIA की चुनौतियां कम नहीं
पश्चिम बंगाल में सीटों के बंटवारे पर तो बाद में बात होगी. फिलहाल जो पेंच फंस रहा है वो ये कि पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी और CPI(M) के बीच बात कैसे बनेगी. वहीं, कांग्रेस भी पश्चिम बंगाल में खुलकर टीएमसी का विरोध कर रही है. यानि कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी, कांग्रेस और CPI (M) तीनों ही एक दूसरे के धुर विरोधी हैं. बेशक तीनों के शीर्ष नेता अभी एक मंच पर बैठ रहे हैं लेकिन तीनों ही के मतभेद खुलकर कई मौकों पर सामने आ चुके हैं.
टीएमसी नेता व पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी CPI(M) से बात बनाना नहीं चाह रही हैं और वहीं इकलौते कांग्रेस विधायक को टीएमसी में खींचकर ये संकेत दे दिया है कि वो कांग्रेस की भी सगी नहीं हैं. ऐसे में अगर बात नहीं बनती है तो कांग्रेस को टीएमसी का साथ छोड़ना पड़ेगा और CPI(M) को साथ लेना पड़ेगा. अगर CPI(M) कांग्रेस के साथ आ जाती है तो टीएमसी कांग्रेस और CPI(M) के साथ आए ऐसा सिर्फ फिलहाल कयास लगाए जा सकते हैं, कुछ ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता.
क्या नीतीश कुमार पड़ चुके हैं 'कमजोर'?
अब बात बिहार की सियासत की कर लेते हैं. बिहार के सीएम नीतीश कुमार के द्वारा महागठबंधन की पहली बैठक पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के ही कहने से पटना में बुलाई गई थी. लालू यादव ने उस समय भी इशारों-इशारों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को महागठबंधन दल का 'दूल्हा' करार दिया था और आज तो खुलकर उन्होंने राहुल गांधी को अपना नेता बता दिया. राहुल गांधी और लालू यादव ने एक दूसरे से मुलाकात भी की थी.
ऐसे में ये समझ के परे हो रहा है कि विपक्षी दलों को एक तरफ नीतीश कुमार जब एकजुट करने पर लगे हुए हैं तो उन्हें गठबंधन के संयोजक के रूप में लालू यादव क्यों नहीं देख रहे हैं? क्यों राहुल गांधी का नाम बार-बार आगे कर रहे हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि RJD के साथ दोस्ती करके नीतीश कुमार वास्तव में कमजोर हो गए हैं, जैसा कि बीजेपी द्वारा उनपर आरोप लगाया जाता रहा है? अगर ऐसा है तो निश्चित तौर पर इसका सबसे बड़ा असर नीतीश कुमार के राजनीतिक भविष्य और JDU के आस्तित्व पर पड़ेगा.
अखिलेश यादव और मायावती का मेल नहीं, यूपी में कैसे बनेगी बात?
मुंबई में हुई विपक्षी दलों की बैठक में यूपी के पूर्व सीएम सह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शिरकत करने पहुंचे. अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच अच्छी बांडिंग हैं और शायद इनके बीच कोई दिक्कत ना हो. यूपी में एक और पार्टी है जो अपना पकड़ जरूर रखती है. पकड़ अगर ज्यादा अच्छी नहीं है तो खेल बिगाड़ने भर का तो जरूर ही है. पार्टी का नाम है बहुजन समाज पार्टी यानि बीएसपी. यूपी की पूर्व सीएम सह बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी पूरे देश में किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी और पूरे देश में अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी. कुल मिलाकर सपा, बसपा और कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एक साथ सामने आए इसके बारे में फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी.
ऐसा नहीं है कि तीनों एक साथ चुनाव नहीं लड़ सकते. पहले तीनों मिलकर चुनाव लड़ चुके हैं और यूपीए 1 व यूपीए 2 की सरकार में बेशक उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा एक दूसरे के विरोधी रहे हों लेकिन केंद्र में यूपीए के साथ थे और 2014 तक साथ थे. लेकिन अभी जो हालात हैं उसपर अगर गौर करें तो सपा और बसपा एक साथ आने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में INDIA गठबंधन को जरूर नुकसान होगा.
क्या कहा लालू ने?
विपक्षी दलों के महागठबंधन का नेता यानि पीएम पद का प्रत्याशी कौन होगा? इस सवाल का जवाब आरजेडी चीफ लालू यादव ने आज मुंबई में हुई INDIA गठबंधन के नेताओं की मीटिंग के बाद दे दिया है. हालांकि, उन्होंने अघोषित रूप से नाम का खुलासा किया है. दरअसल, लालू यादव ने कहा है कि हमारे नेता राहुल गांधी हैं और उन्होंने राहुल गांधी को सलाह दी है कि पीएम मोदी विदेश में घूम रहे हैं और आप देश में घूमिए. लालू यादव ने कहा कि हम सब मिलकर राहुल गांधी को मजबूत करेंगे. हम लोग एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे. साथ ही लालू यादव ने ये भी कहा है कि अगली बैठ में INDIA गठबंधन के दल सीट शेयरिंग के मुद्दे पर चर्चा करेंगे.
संयुक्त प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर करारा हमला बोला. बिहार के पूर्व सीएम सब आरजेडी चीफ लालू यादव ने INDIA गठबंधन की मुंबई में बैठक खत्म होने के बाद संयुक्त प्रेसवार्ता में एक बार फिर से अपने चुलबुले अंदाज में बीजेपी और केंद्र की मोदी सरकार पर करारा हमला बोला. लालू यादव ने कहा कि देश में अल्पसंख्यक असुरक्षित है और ईडी, सीबीआई, आईटी का दुरुपयोग किया जा रहा है. लालू यादव ने कहा कि मोदी की सरकार धोखे से और झूठे सपने दिखाकर केंद्र की सत्ता में आई है. विपक्षी दलों के एकजुट ना होने के कारण ही मोदी सरकार केंद्र में आई. हमें खुशी है कि इस बार विपक्षी दल एक हुए हैं. लालू यादव ने कहा कि हम लोग किसी से डरने वाले नहीं हैं और हम लोग मोदी को हटाकर ही दम लेंगे.
ED-CBI का भी किया जिक्र
लालू यादव ने संयुक्त प्रेसवार्ता में एक बार फिर से मोदी सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं व केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेताओं के पीछे उन्हें प्रताड़ित करने के लिए सीबीआई और ईडी को लगा दिया जाता है.
पहले ही बता दिया था राहुल को दूल्हा
बता दें कि लालू यादव ने विपक्षी दलों की पहली बैठक जो कि 23 जून को पटना में हुई थी, उसी बैठक के बाद राहुल गांधी को इशारों-इशारों में महागठबंधन दल का नेता यानि पीएम प्रत्याशी बता डाला था. बता दें कि विपक्षी दलों की बैठक पर भाजपा लगातार सवाल पूछती आ रही है कि बारात तो निकल रही, लेकिन दूल्हा कौन होगा. इसका जवाब देते हुए लालू ने इशारों-इशारों में राहुल को विपक्ष का दूल्हा बता दिया और विपक्षी पार्टियों को बाराती. उन्होंने सिर्फ राहुल गांधी की तारीफ ही नहीं कि मज़ाकिया लहजे में शादी करने और बारात में बुलाने की सलाह भी दी. जिसपर राहुल गांधी ने कहा-आपने कह दिया तो अब कर लेंगे शादी.
अब नीतीश का क्या होगा?
लालू यादव राहुल गांधी को खुद का नेता मान चुके हैं और स्पष्ट कर दिया है कि वो राहुल गांधी को मजबूत करने का काम करेंगे. ऐसे में जेडीयू के उन पोस्टरबाजी व बयानबाजी करनेवाले नेताओं की हवा निकल गई है जिसमें वो नीतीश कुमार को बेस्ट पीएम प्रत्याशी बता रहे थे. हालांकि, नीतीश कुमार शुरू से कहते आ रहे हैं कि वो अपने खुद के लिए कुछ नहीं चाहते हैं, वो सिर्फ यही चाहते हैं कि सभी विपक्षी दल एकजुट होकर चुनाव लड़ें.
नीतीश ने जताई समय से पहले चुनाव की आशंका
हार के सीएम नीतीश कुमार ने आज विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की मुंबई में हुई बैठक के बाद संयुक्त प्रेसवार्ता में एक बार फिर से देश में आम चुनाव समय से पहले होने की आशंका जताई है. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि देश में आम चुनाव मोदी सरकार विपक्षी गठबंधन के डर से समय से पहले करा सकती है. नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में आगे कहा कि आज ही तय कर लिया गया है कि हम अभी से तेजी से काम शुरू कर देंगे.
नीतीश कुमार ने आगे कहा कि कोई ठिकाना नहीं है चुनाव समय से पहले भी हो सकता है इसलिए हम लोगों को भी अलर्ट रहना पड़ेगा. उन्होंने आगे कहा कि आज तय हुआ है कि अब नियमित रूप से जगह-जगह जाकर हम अपना प्रचार-प्रसार का काम करेंगे. अब सभी पार्टियां एकजुट होकर काम कर रही हैं, जिसका नतीजा होगा कि जो केंद्र में हैं, वे अब हारेंगे.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Vastu Tips: दक्षिण दिशा में मुख करके पूजा करना शुभ या अशुभ? कहीं आप तो नहीं कर रहें ये गलती
-
Kya Kehta Hai Hinduism: हिंदू धर्म में क्या है मुस्लिमों का स्थान, सदियों पुराना है ये इतिहास
-
Surya Dev ki Aarti: रविवार के दिन जरूर पढ़ें सूर्यदेव की ये आरती, जीवन में आएगा बड़ा बदलाव!
-
Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी आज, इस शुभ मुहूर्त में करें पारण, जानें व्रत खोलने का सही तरीक