इस जिले में कागजों में ही चल रहा है मदरसा, केवल चार बच्चे आते हैं पढ़ने
फ्लॉऊल मुस्लिमीन नाम का एक ऐसा मदरसा है. जहां के प्रिंसिपल की माने तो इस मदरसे में 240 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बया कर रही हैं. केवल चार छोटे छोटे बच्चे नीचे बोरे पर बैठ कर आगे किताब रखे पढ़ रहे हैं .
highlights
- मदरसे में 240 बच्चे हैं नामांकित, लेकिन केवल चार बच्चे आते हैं पढ़ने
- मदरसे में कोई भी स्थानीय बच्चा नहीं जाता है पढ़ने
- केवल कार्यरत शिक्षक के परिवार के ही बच्चे आते हैं पढ़ने
Madhubani:
फर्जी मदरसों की जांच को लेकर हाइकोर्ट ने बिहार सरकार को जम कर लताड़ लगाते हुए 609 मदरसों की जांच करके रिपोर्ट मांगी हैं. खास तौर पर भारत नेपाल सीमा पर चल रहे मदरसों की स्थिती लगातार संदिग्ध बनी हुई हैं. आये दिन बॉर्डर क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह मदरसा पनप रहे हैं. ऐसे ही एक मदरसों की वास्तविकता की पड़ताल की गई. जो मधुबनी से 40 किलोमीटर दूर भारत नेपाल सीमा पर स्थित मधवापुर प्रखंड के त्रिमुहान गांव में है. उसके बाद जो सच्चाई सामने आई उसे जानकार आप भी हैरान हो जाएंगे.
केवल चार बच्चे आते हैं पढ़ने
फ्लॉऊल मुस्लिमीन नाम का एक ऐसा मदरसा है. जहां के प्रिंसिपल की माने तो इस मदरसे में 240 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बया कर रही हैं. केवल चार छोटे छोटे बच्चे नीचे बोरे पर बैठ कर आगे किताब रखे पढ़ रहे हैं और केवल एक मौलवी सहाब बच्चों को पढ़ाने में लगे हुए हैं. मदरसों के कमरे की हालत को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर कैसे सरकारी पैसे और सुविधा का दुरुपयोग किया जा रह है. मदरसा जहां सरकार एक शिक्षक को उन्नतिस हजार रुपये बेतन दे रही हैं. ऐसे 5 शिक्षक इस मदरसे में कार्यरत हैं लेकिन बच्चों की संख्या सिर्फ चार वो भी कार्यरत शिक्षक के ही परिवार के हैं.
कोई भी स्थानीय बच्चा नहीं जाता है पढ़ने
इस मदरसों को लेकर स्थानीय लोगों ने कहा कि इस सरकारी मदरसे में कोई भी स्थानीय बच्चा पढ़ने नहीं जाता है और इसका कारण लोगों ने ये बताया कि इस मदरसा में पढ़ाई नहीं होती है. यहां कभी शिक्षक तक नहीं आते हैं जो चार बच्चे यहां आते हैं उन्हें शिक्षक घर से लेकर आते हैं और केवल उसे पढ़ाकर घर वापस लौट जाते हैं.
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मदरसे के नाम पर हो रहा मजाक
बहरहाल इस मदरसों को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन सवाल तो ये है कि आखिर इस तरीके का मदरसा बिना अधिकारी के मिलीभगत के चल ही नहीं सकता हैं. सवाल ये भी हैं कि आखिर मदरसे के लिए जरूरी जमीन, रास्ता, और समुचित व्यवस्था तक नही हैं ऐसे में ये मदरसा कैसे सरकारी पैसा को लेकर फल फूल रहा है.
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