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किसानों ने अपने खर्च से तैयार किए 20 तालाब, शुरू किया मछली पालन का नया व्यवसाय

बिहार के पश्चिमी चंपारण से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है, जहां पारंपरिक खेती में अधिक लागत और कम मुनाफा होने से किसान निराश होने लगे हैं, इसलिए अब वे वैकल्पिक खेती की ओर बढ़ने लगे हैं.

Updated on: 11 Sep 2023, 04:59 PM

highlights

  • बिहार के किसानों का नया पहल  
  • अपने खर्च से तैयार किए 20 तालाब
  • शुरू किया मछली पालन का नया व्यवसाय

 

 

 

 

Bettiah:

बिहार के पश्चिमी चंपारण से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है, जहां पारंपरिक खेती में अधिक लागत और कम मुनाफा होने से किसान निराश होने लगे हैं, इसलिए अब वे वैकल्पिक खेती की ओर बढ़ने लगे हैं. इसी कड़ी में चनपटिया प्रखंड अंतर्गत सिरिसिया पंचायत के दो दर्जन किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़कर मछली पालन शुरू कर दिया है. इन किसानों के पास ऐसे क्षेत्र में ज़मीन थी जो हमेशा पानी से भरी रहती थी. पानी सूख जाने के बाद किसान कुछ क्षेत्रों में गेहूँ की खेती करते थे और उससे होने वाले लाभ से ही संतुष्ट रहना पड़ता था. साथ ही वहां कभी धान की फसल नहीं हुई, इसलिए किसानों ने मछली पालन की योजना बनाई और इस साल से इसकी शुरुआत भी कर दी. यह चौर 500 एकड़ में फैला हुआ है. किसानों ने 100 एकड़ में मछली पालन शुरू किया है.

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लाखों रुपये मुनाफे का अनुमान

आपको बता दें कि किसानों ने अपने पैसे से 20 छोटे-बड़े तालाबों का निर्माण कराया है. एक तालाब को तैयार करने में एक से दो लाख रुपये का खर्च आता है. रोहू, कतला, नैनी और कॉमन कार्प के बीज बोए गए हैं. वहीं नवंबर में ये मछलियां तैयार हो जाएंगी. बता दें कि सफलता मिलने के बाद पूरे इलाके में मछली पालन का विस्तार करने की योजना है. किसान हरिहर यादव, सत्येन्द्र महतो और हीरालाल यादव ने बताया कि, मछली पालन की तकनीकी जानकारी गांव के ही मछली पालकों से ली गयी है.

इसके साथ ही आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के कप्तानगंज से बीज मंगाया गया है और नवंबर महीने से मछलियां निकलना शुरू हो जाएंगी. वहीं एक एकड़ में मछली पालन करने पर 40 हजार रुपये खर्च आता है. बता दें कि करीब 1 से 1.5 लाख रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है, जबकि गेहूं की खेती में लागत ज्यादा और मुनाफा कम था.