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Presidential Election 2022 : यशवंत सिन्हा बोले-सांसद-विधायक 'अंतरात्मा' की आवाज पर करें मतदान 

इस साल के राष्ट्रपति चुनाव असाधारण परिस्थितियों में हो रहे हैं. हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न मुद्दे हैं लेकिन सबसे बड़ी चुनौती संविधान और उसके मूल्यों की सुरक्षा है.

Updated on: 17 Jul 2022, 07:56 PM

highlights

  • इंदिरा गांधी ने की थी अंतरात्मा की आवाज पर वोट की अपील
  • अंतरात्मा की आवाज पर राष्ट्रपति चुने गए थे वीवी गिरि  
  • मीरा कुमार ने भी की थी अंतरात्मा की आवाज पर वोट की अपील

नई दिल्ली:

विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने सांसदों और विधायकों से "अंतरात्मा" की आवाज पर मतदान करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां उन्हें इन चुनावों में व्हिप से नहीं बांध सकती हैं. राष्ट्रपति पद के लिए मतदान सोमवार को है, और परिणाम 21 जुलाई को आएंगे. अब तक, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू  जीत के लिए जरूरी मतों का 50 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर रही हैं, क्योंकि उनके आदिवासी समुदाय से होने के कारण कई गैर-एनडीए दलों ने भी उनका समर्थन किया है. 

यशवंत सिन्हा ने कहा कि यह व्यक्तियों की नहीं बल्कि विचारधाराओं की लड़ाई है. “इस साल का राष्ट्रपति चुनाव दो व्यक्तियों के बीच नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं के बीच का चुनाव है. केवल एक पार्टी हमारे संविधान में निहित प्रावधानों और मूल्यों की रक्षा करना चाहती है. मैं सभी सांसदों और विधायकों से इस बार संविधान और उनकी अंतरात्मा पर वोट करने की अपील करता हूं.”

उन्होंने एक वीडियो और बयान भी ट्वीट करते हुए कहा, 'इस साल के राष्ट्रपति चुनाव असाधारण परिस्थितियों में हो रहे हैं. हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न मुद्दे हैं लेकिन सबसे बड़ी चुनौती संविधान और उसके मूल्यों की सुरक्षा है.”

पूर्व केंद्रीय मंत्री, जो कुछ साल पहले तक भाजपा के साथ थे, ने कहा कि "देश एक चौराहे पर है" और ये राष्ट्रपति चुनाव "राष्ट्र के भाग्य" का फैसला करेंगे. उन्होंने वीडियो में कहा, "इसलिए मैं मतदाताओं से - सांसदों और विधायकों - से अपील करता हूं कि वे संवैधानिक व्यवस्था के तहत अपने विवेक के अनुसार मतदान करें. और मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि अगर वे मुझे वोट देते हैं तो मैं संविधान की रक्षा के लिए अपनी शक्ति में सब कुछ करूंगा.”

उन्होंने कहा: "इन चुनावों में पार्टियों द्वारा कोई व्हिप (बाध्यकारी निर्देश) जारी नहीं किया गया है, और मतपत्र गुप्त है. संविधान निर्माताओं ने यह व्यवस्था इसलिए की ताकि सांसद और विधायक अपने-अपने फैसले का इस्तेमाल कर सकें.
 
मीरा कुमार ने भी की थी अंतरात्मा की आवाज पर वोट की अपील

2017 में राष्ट्रपति पद के चुनाव 20 जुलाई को हुआ था. देश में 14वें राष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए ने रामनाथ कोविंद और यूपीए की तरफ से कांग्रेस नेता मीरा कुमार उम्मीदवार थीं. यह साफ था कि रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति चुने जायेंगे. लेकिन विपक्ष की उम्मीदवार  मीरा कुमार भी हार मानने को तैयार नहीं थीं. उन्होंने वोटों का गणित पक्ष में न होने के बावजूद  मतदाताओं से अंतरात्मा' की आवाज पर वोट डालने की अपील की थी. हालांक‌ि इस कवायद के बाद भी वह जीत नहीं सकी. 

अंतरात्मा की आवाज पर पड़े वोटों ने वीवी गिरि को दिलाई जीत

इतिहास में एक राष्ट्रपति चुनाव ऐसा भी हुआ है जिसमें अंतरात्मा' की आवाज पर पड़े वोटों ने ही एक प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित कर दी थी. खास बात ये है कि यह अपील खुद प्रत्याशी ने नहीं बल्कि देश की प्रधानमंत्री ने की थी. देश के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु अपने कार्यकाल के दौरान ही 3 मई 1969 को हो गई थी. उस दौरान वीवी गिरी उप राष्ट्रपति थे. जाकिर हुसैन की मौत के बाद वीवी गिरी को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया. 

अब क्योंकि नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव होना था और उस समय कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की इच्छा थी आंध प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नीलम संजीवा रेड्डी को प्रत्याशी बनाने की. इस मुद्दे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की राय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से जुदा थी, जो उप राष्ट्रपति वीवी गिरि को ही राष्ट्रपति बनवाना चाहती थी.

इंदिरा जानती थी कि बड़े कद वाले नीलम रेड्डी सत्ता में उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नीलम संजीव रेड्डी को राष्ट्रपति बनाकर इंदिरा गांधी के समक्ष मुश्किल पैदा करना चाहते थे. इंदिरा गांधी इस चाल को समझ गयी थी. इंदिरा के निरंकुश स्वभाव पर रोकथाम के लिए कांग्रेस नेतृत्व उन्हें ही सबसे मजबूत उम्‍मीदवार मानता था. उस समय कांग्रेस नेतृत्व के सामने इंदिरा की एक न चली और संजीव रेड्डी को सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्‍मीदवार बना दिया गया.

दूसरी ओर इंदिरा का इशारा पाकर वीवी गिरि ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया और निर्दलीय ही चुनाव मैदान में कूद पड़े. हालांकि उस समय उनकी जीत पक्‍की नहीं थी लेकिन इंदिरा ने अंदरखाने उनके लिए जोड़तोड़ शुरू कर दी. इसी बीच वो वक्त भी आ गया जब दोनों प्रत्याशी मैदान में आमने सामने थे और कुछ समय बाद उनके लिए संसद और विधानसभाओं में वोट भी डाले जाने थे.

इसी बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मतदान करने वाले सभी जनप्रतिनिधियों के सामने एक ऐसी बात कह दी जिसने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं सहित विपक्षियों को भी हैरत में डाल दिया. इंदिरा ने कहा वोट डालने वाले सभी लोग अपनी 'अंतरात्मा'' की आवाज पर वोट दें और जो बेहतर उम्‍मीदवार हो उसे ही चुनें.

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इंदिरा की इस अपील का असर भी हुआ और पहली बार सत्तारूढ़ दल के उम्‍मीदवार को अत्प्रत्याशित रूप से राष्ट्रपति चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. नीलम संजीवा रेड्डी विपक्ष के उम्‍मीदवार वीवी गिरि मामूली अंतर से चुनाव हार गए. वहीं अंतरआत्मा की आवाज पर चुने गए वीवी गिरि ने राष्ट्रपति का पदभार संभाल लिया. हालांकि कुछ साल बाद ही रेड्डी का दौर दोबारा लौटा और जनता पार्टी की सरकार आने के बाद उन्हें राष्ट्रपति चुना गया.