TEACHERS DAY 2023: इन गुरुओं के पॉलिटिकल पाठ पर ये टॉप लीडर्स कर रहे हैं सियासी सफर
टीचर्स डे के मौके पर हम कुछ चुनींदा राजनेताओं के पॉलिटिक्ल गुरुओं की चर्चा करेंगे, जिनके पदचिह्नों पर चलकर सियासी सफर तय किए हैं और आगे तय कर रहे हैं.
नई दिल्ली:
5 सिंतबर को देश शिक्षक दिवस मनाता है. इस दिन शिष्यों को अपने गुरुओं से आशीर्वाद लेने की परंपरा प्राचीन से लेकर अर्वाचीन तक चली आ रही है. यह दिन गुरुओं और शिष्यों के लिए खास होता है. कहा जाता है जो शिष्य अपने गुरुओं के मार्गदर्शन और सिद्धांतों पर चलते हैं वह समाज में अलग मुकाम हासिल करते हैं. हमारे देश में कई ऐसी शख्सियतें हुईं हैं जो गुरुओं के आदर्शों को मानकर समाज और राजनीतिक में अपनी अलग पहचान बनाई है. आज हम कुछ चुनींदा राजनेताओं के पॉलिटिक्ल गुरुओं की चर्चा करेंगे, जिनके पदचिह्नों पर चलकर सियासी सफर तय किए हैं और आगे तय कर रहे हैं. तो आइए आपको बताते हैं देश के पांच वे बड़े नेता जो गुरुओं के बताए लकीर पर चल रहे हैं और नई रेखा खींचने की कवायद में जुटे हुए हैं.
नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. अपने ओजस्वी और तेजतर्रार भाषण के जरिए नरेंद्र मोदी लोगों को मुरीद बना लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर पर किसका हाथ है. यानी उनके राजनीतिक गुरु कौन हैं? तो चलिए हम आपको बताते हैं कि राजनीति में लाने वाले नरेंद्र मोदी के गुरु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी लक्ष्मणराव इनामदार थे. पीएम मोदी के सियासी जीवन पथ में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है. लक्ष्मणराव इनामदार जब गुजरात में आरएसएस के संघ प्रचारक थे. उस वक्त मोदी प्रचारक थे. लक्ष्मणराव ने ही नरेंद्र मोदी को राजनीति का ककहारा सिखाया है. लक्ष्मणराव को वकील साहब के नाम से जाना जाता था. वकील साहब के साथ रहकर नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक की बारिकियां सीखी थी. इसलिए इन्हें पीएम मोदी का राजनीतिक गुरु माना जाता है. नरेंद्र मोदी अपने भाषण में भी लक्ष्मणराव के नाम का जिक्र करते रहते हैं.
स्वामी दयानंद गिरि थे आध्यात्मिक गुरु
वहीं, नरेंद्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु स्वामी दयानंद गिरि थे. नरेंद्र मोदी के हिमालय यात्रा के दौरान दयानंद गिरि से मुलाकात हुई थी. उन्होंने लंबे वक्त तक शीशमझाड़ी के आश्रम में रहकर स्वामी जी से अध्यात्मिक विद्या हासिल की थी.
राहुल गांधी
वैसे तो राहुल गांधी को राजनीति विरासत में मिली है. राहुल गांधी का पूरा खानदान ही आजादी से पहले से राजनीति में सक्रिय रहा है. राहुल गांधी का जब जन्म नहीं हुआ था तब से उनका परिवार राजनीति के केंद्र में रहा है. राहुल के नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री हुए थे. इसके बाद इनकी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी के हाथ में देश की बागडोर आई. फिर इनके पिता दिवगंत राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने. राहुल गांधी का परिवार वर्षों से राजनीति में रहा है. राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन राहुल गांधी ने एक बार कहा था कि उनका राजनीतिक गुरु शरद यादव हैं. वहीं, शरद यादव जो राम मनोहर लोहिया और जय प्रकाश के आदर्शों को मानते थे. शरद यादव और राहुल गांधी की मुलाकात के बाद जब मीडिया ने राहुल गांधी से पूछा कि आपका राजनीतिक गुरु कौन हैं तो उन्होंने कहा था कि शरद यादव उनके राजनीतिक गुरु हैं. हालांकि, इसकी कोई ठोस प्रमाण नहीं है. क्योंकि कांग्रेस और समाजवाद दोनों अलग-अलग धरा की पार्टी रही है. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु शरद यादव हैं. कई मौके पर राहुल गांधी मनमोहन सिंह से भी सियासी गुना गणित समझते रहे हैं. वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि राहुल गांधी के पॉलिटिकल गुरु दिग्विजय सिंह रहे हैं. हालांकि, इस बात में कोई दम नहीं है. क्योंकि राहुल गांधी के घर पर देश के बड़े-बड़े नेताओं का आना जाना होता रहा है. ऐसे में राहुल गांधी का कोई एक राजनीतिक गुरु नहीं है.
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योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के हिंदुत्व का बड़ा चेहरा योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैधनाथ थे. योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय कुमार बिष्ट है. राजनीतिक में आने से पहले लोग इन्हें इसी नाम से जानते थे, उत्तराखंड के रहने वाले आदित्यनाथ एकाएक अपना घर छोड़कर गोरखपुर के गोरक्षनाथ मंदिर पहुंचे. 22 साल की उम्र में संन्यास ग्रहण करने वाले अजय कुमार बिष्ट की मुलाकात नाथ संप्रादय के महंत अवैद्यनाथ से हुई. अवैद्यनाथ ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. महंत अवैद्यनाथ की प्रेरणा से प्रभावित होकर आदित्यनाथ ने जनता दरबार लगाना शुरू कर दिया. योगी आदित्यनाथ ने इन्हीं से राजनीतिक का पाठ सीखा था. बात उस वक्त की है जब आदित्यनाथ चुनावी मैदान में उतरे तो पिता के नाम के कॉलम के आगे उन्होंने अपने गुरु अवैद्यनाथ का नाम लिखा था. तब से यह साबित हो गया कि आदित्यनाथ के गुरु नाथ संप्रादय के महंत अवैद्यनाथ हैं.
अरविंद केजरीवाल
भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन से आम आदमी पार्टी का उदय हुआ था. इसके संयोजक दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल अकसर अन्ना को अपना गुरु बताते रहे हैं. बाता दें कि अन्ना हजारे के आंदोलन को खड़ा करने केजरीवाल और उनकी टीम का बड़ा योगदान रहा है. मगर फिर एक समय ऐसा आया कि जब केजरीवाल ने कहा कि राजनीति को बदलना है तो पार्टी तैयार करनी ही पड़ेगी. इसके बाद अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे की राहें अलग हो गईं, लेकिन आज भी सीएम केजरीवाल उनका भरपूर सम्मान करते हैं.
मायावती
मायावती देश की सबसे युवा महिला मुख्यमंत्री रही हैं. सत्ता में आने से पहले वे एक शिक्षिका थीं. मायावती को उनके पिता कलेक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने समाज सेवा के जरिए राजनीति की राह चुनना बेहतर समझी. इस दौरान उनकी मुलाकात कांशीराम से हुईं. मायावती ने उन्हें अपना राजनीति गुरु माना. उनके बताए रास्ते पर चलकर वे यूपी की सीएम बनीं. आज भी मायावती राजनीति में सक्रिय हैं. वे दलितों के उद्धार के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं.
राज ठाकरे
महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे बड़ा नाम है. वे अपने चाचा बालासाहेब ठाकरे की तरह आक्रमक हैं और हिंदुत्व के कट्टर समर्थक रहे हैं. राज ठाकरे शुरुआत से ही अपने चाचा को अपना गुरु मानते आए हैं. उन्होंने शिवसेना को मजबूत करने का काम किया. मगर पार्टी की कमान उन्हें सौंपने के बजाए उद्धव ठाकरे को दे दी गई. इससे नाराज होकर राज ठाकरे ने अपनी पार्टी एमएनएस बना ली.
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