महात्मा गांधी के सामने अंग्रेजी सरकार ने टेक दिए थे घुटने, जानें कैसे थे राष्ट्रपिता
आज 2 अक्टूबर है... यानि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म दिवस (Gandhi Jayanti 2021) पूरे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है. आज देशभर में बापू के 152वें जन्म दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.
highlights
- आज देश बापू का 152वां जन्म दिवस मना रहा है
- दुनिया को सिखाया अहिंसा के मार्ग पर चलकर भी आजादी मिल सकती है
- गांधी जी के आन्दोलनों में भारत छोड़ो आंदोलन रहा प्रमुख
New delhi:
आज 2 अक्टूबर है... यानि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म दिवस (Gandhi Jayanti 2021) पूरे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है. आज देशभर में बापू के 152वें जन्म दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. गांधी जी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भी अंग्रेजी हुकूमत को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. अंत में उन्हे देश छोड़कर भागना पड़ा. बापू सभी को अहिंसा के रास्ते पर चलने की सलाह देते थे. इसलिए गांधी जी के जनमदिवस को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है.. आज हम गांधी जी के उन आन्दोलनों के बारे में आपको बताते हैं. जिन आन्दोलनों की वजह से अंग्रेजी सरकार भारत छोड़ने के लिए मजबूर हो गई..
गांधी जी ने ऐसे दिलाई आजादी
भारत छोड़ो आंदोलन: बापू के पांच प्रमुख आन्दोलन में से भारत छोड़ो आन्दोलन खास रहा है.. इसकी शुरुवात गांधी जी ने अगस्त 1942 में की थी. इस आंदोलन के जरिए उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया. इस आंदोलन के दौरान करो या मरो आरंभ करने का निर्णय भी गांधी जी ने लिया था. चंपारण सत्याग्रह: बिहार के चंपारण में गांधी के नेतृत्व में हुआ यह पहला सत्याग्रह था. गांधी जी ने खाद्यान के बजाय नील और अन्य नकदी फसलों की खेती के लिए बाध्य किए जाने वाले किसानों के समर्थन में यह सत्याग्रह 1917 में किया था. इसके बाद महात्मा गांधी ने 1920 में भारतीय नेशनल कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया. इस आंदोलन ने भारत में स्वतंत्रता के संग्राम की एक नई ऊर्जा भरने का काम किया.
वहीं नमक छोड़ो आंदोलन भी गांधी जी के प्रमुख आन्दोलन का हिस्सा है.. यह आंदोलन 13 मार्च.1930 से अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से शुरू हुआ था. यह आंदोलन ब्रिटिश राज के एक अधिकार के खिलाफ निकाला गया था. इस आंदोलन को दांडी यात्रा के नाम से भी जाना जाता है. इसके बाद बापू ने छुआछूत के विरोध में 8 मई 1933 में शुरुआत की थी. गांधी जी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना 1932 में की थी.
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