जानें आपका अधिकार: सूर्यास्त के बाद नहीं हो सकती महिला की गिरफ्तारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी भी महिला को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है।
highlights
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी भी महिला को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है
- धारा-47(2) के अनुसार महिला की तलाशी केवल दूसरी महिला द्वारा ही शालीन तरीके से ली जाएगी
नई दिल्ली:
आज पूरी दुनिया में महिलाओं ने अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छा शक्ति की बदौलत समाज में अपनी जगह बनाई है। वहीं दूसरी तरफ कई ऐसी महिलाएं भी हैं जिन्हें अपने अधिकारों के बारे में पता ही नहीं है।
कई मामलों में पुलिस पर भी गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप है। ऐसे में ज़रुरी है कि नागरिकों को भी क़ानून द्वारा दिए गए अपने अधिकारों के बारे में सही जानकारी हो।
पिछले कुछ समय में कई ऐसे मामले उजागर हुए जिसमें ये देखा गया कि पुलिस कर्मियों द्वारा महिलाओं को देर रात गिरफ़्तार करने को लेकर परेशान किया जाता है। जिसके बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हितों को देखते हुए एक आदेश जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के मुताबिक सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी भी महिला को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं इस दौरान पुलिस किसी भी महिला को पूछताछ के लिए थाने भी नहीं बुला सकती है।
अगर पुलिस के साथ महिला पुलिस भी हो उस स्थिति में भी महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया जा सकता है।
अपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 46(4) 1973, महिलाओं की गिरफ़्तारी से जुड़े प्रावधानों को स्पष्ट करता है। जिसके मुताबिक कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी महिला को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है।
वहीं विशेष परिस्थिति में महिला की गिरफ़्तारी के समय किसी महिला पुलिस अधिकारी का होना ज़रूरी है। इतना ही नहीं साथ में लोकल फर्स्ट क्लास न्यायिक मजिस्ट्रेट का लिखा हुआ वारंट भी होना चाहिए।
बता दें कि 21 दिसम्बर 2012 को भारती बनाम जाधव केस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस क़ानून का प्रयोग करते हुए सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ़्तारी पर रोक लगाई थी।
धारा-47(2) के अनुसार महिला की तलाशी केवल दूसरी महिला द्वारा ही शालीन तरीके से ली जाएगी।
महिला चाहे तो पुलिस से अपनी गिरफ़्तारी का कारण पूछ सकती है और चाहे तो तलाशी लेने वाली महिला पुलिसकर्मी की भी तलाशी ले सकती है।
गिरफ़्तारी के बाद महिला को केवल महिलाओं के लिए बने लॉकअप में ही रखा जाएगा। लॉकअप नहीं होने की स्थिति में महिला को किसी कमरे में बंद कर रखा जा सकता है।
पुलिस द्वारा मार-पीट या दुर्व्यवहार के मामले में महिला मजिस्ट्रेट से डॉक्टरी जांच की मांग कर सकती है।
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