Israel-Gaza violence: हमास, इस्लामिक जिहाद और इजरायल की बड़ी चुनौतियां
फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद गाजा पट्टी में दो मुख्य फिलिस्तीनी आतंकवादी समूहों में से छोटा है. जबकि सत्तारूढ़ हमास समूह बहुत अधिक संख्या में है. लेकिन इस्लामिक जिहाद ईरान से प्रत्यक्ष वित्तीय और सैन्य समर्थन प्राप्त है.
highlights
- हिंसक जंग पर फौरी विराम के पहले शनिवार को 11 लोगों की मौत
- हमास फिलहाल संघर्ष विराम को बनाए रखने की कोशिश कर रहा
- फिलिस्तीन से संघर्ष के बीच एक लंबे राजनीतिक संकट में इजरायल
नई दिल्ली:
इजरायल और हमास ( Israel and Hamas) के बीच पिछले साल 11 दिनों के युद्ध के बाद से सीमा पार हिंसा की सबसे भीषण लड़ाई परवान पर है. गाजा पट्टी ( Gaza Patti) में इजरायल के सैनिक और फिलिस्तीनी उग्रवादी (Palestinian Militants) लगातार एक-दूसरे पर हमला बोले रहे थे. हालांकि दोनों ओर से रविवार देर रात संघर्ष विराम (Sease Fire) पर सहमति की खबर सामने आई है. इस हिंसक जंग पर फौरी विराम के पहले इजरायली हवाई हमले में शनिवार को 11 लोगों की मौत हो गई.
इस दौरान एक लक्षित हमले (Targeted Attack) में मारे गए ईरान समर्थित चरमपंथी समूह फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद ( Iran-backed militant group Palestinian Islamic Jihad) का एक वरिष्ठ कमांडर भी शामिल है. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब इजरायल ने गाजा में इस्लामिक जिहाद के नेताओं को मार गिराया है. फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद गाजा पट्टी को आधार बनाने वाले दो मुख्य फिलिस्तीनी आतंकवादी समूहों में हमास से छोटा है. लेकिन यह रॉकेट हमलों और इजरायल के साथ तमाम टकरावों में शामिल होने में एक बड़ी ताकत बन गया है.
हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद में फर्क
हमास ने साल 2007 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त फिलिस्तीनी प्राधिकरण से गाजा पर नियंत्रण हासिल कर लिया था. इससे अलग इस्लामिक जिहाद का अधिक उग्रवादी गुट के रूप में उभरा है. इस आतंकवादी समूह की स्थापना 1981 में वेस्ट बैंक, गाजा और अब इजरायल में एक इस्लामी फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के मकसद से की गई थी. इजरायल का कट्टर दुश्मन ईरान आतंकवादी समूह फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद को सैन्य प्रशिक्षण, विशेषज्ञता और आर्थिक मदद की आपूर्ति करता है.
इजरायल-गाजा हिंसा पर काबू एक बड़ी चुनौती
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस्लामिक जिहाद आतंकवादियों ने अक्सर जिम्मेदारी का दावा किए बिना रॉकेट दागकर फिलिस्तीनियों के बीच अपनी प्रोफाइल बढ़ाने के लिए हमास को चुनौती दी है. हमास फिलहाल संघर्ष विराम को बनाए रखने की कोशिश का दावा करता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा है कि इजरायल पर इस्लामिक जिहाद की ओर से बरसाए जा रहे आग पर लगाम लगाने के बीच हमास को एक कड़ा कदम उठाना चाहिए. दूसरी और कहा जा रहा है कि फिलिस्तीनियों के समूह पर नकेल कसने से हमास को बचना चाहिए.
सबसे बड़ा सवाल यह है कि पिछले साल की तरह ही हमास का अंतिम निर्णय कब तक सामने आएगा और हिंसक संघर्ष का यह दौर कितना लंबा चलेगा, यह बताना फिलहाल मुश्किल है.
इजरायल के सामने जंग के साथ राजनीतिक संकट
इजरायल एक लंबे राजनीतिक संकट में फंसा हुआ है. वह अपने मतदाताओं को चार साल से भी कम समय में पांचवीं बार चुनाव का सामना करवा रहा है. इस बीच गाजा में इस्लामिक जिहाद और हमास की हिंसक चुनौती से भी जूझ रहा है. इजरायल के कार्यवाहक नेता यायर लैपिड ने इस साल गर्मी की शुरुआत में वैचारिक रूप से विविध सरकार के बाद सत्ता संभाली. इससे उन्होंने देश नए चुनावों को संभालने में मदद मिल सकती है. लैपिड को उम्मीद है कि वह आगामी चुनाव में भ्रष्टाचार के आरोपों के मुकदमे के चलते पद छोड़ने वाले पूर्व प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को रेस से पूरी तरह बाहर कर सकते हैं.
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टीवी एंकर यायर लैपिड के सामने ये बड़ी चुनौती
एक मध्यमार्गी पूर्व टीवी प्रस्तोता और लेखक यायर लैपिड के पास सुरक्षा संबंधित पृष्ठभूमि का अभाव है. कई इजरायली विशेषज्ञ अपने नेतृत्व के लिए इसे बेहद आवश्यक मानते हैं. उनकी राजनीतिक किस्मत मौजूदा लड़ाई पर टिकी हो सकती है. इस हिंसक जंग में अगर वह खुद को एक सक्षम नेता के रूप में पेश कर सकते हैं तो उन्हें एक बढ़ावा मिल सकता है. एक लंबे सैन्य ऑपरेशन से वह अंदरूनी राजनीतिक बढ़त ले सकते हैं. क्योंकि इजरायली गर्मियों के आखिरी हफ्तों का आनंद लेने की कोशिश कर रहे हैं.
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