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Mission 2024: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सोनिया गांधी ने चली चाल चौबीसी, समझें

Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास जारी है. लेकिन इस बीच सोनिया गांधी की चाल चौबीसी क्या बढ़ा सकती है बीजेपी के लिए टेंशन?

Updated on: 12 Jul 2023, 12:51 PM

highlights

  • मिशन 2024 से पहले सोनिया गांधी ने चली चाल चौबीसी
  • विपक्षी दलों की दूसरी बैठक के लिए 24 दलों को भेजा बुलावा
  • आप, एनसीपी और टीएमसी जैसे दलों से तालमेल बैठाना बड़ी चुनौती

New Delhi:

Mission 2024: अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कसना शुरू कर दी है. एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने के लिए डोर टू डोर कैंपेन के साथ-साथ कई तरह के अभियानों पर एक साथ काम कर रही है. तो वहीं मोदी रथ को रोकने के लिए विपक्ष भी एकजुट होने की कोशिशों में जुटा हुआ है. एक बार तो विपक्षी दलों की बैठक हो चुकी है जो ज्यादा कुछ खास रंग नहीं ला पाई है. लेकिन इसके बाद भी विपक्ष को उम्मीद है कि वो इस चुनाव में बीजेपी की विजयी विमान को रोकने में सफल हो पाएगा. इस बीच कांग्रेस की चेयरपर्सन और वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी भी सक्रिय नजर आ रही हैं. 

2024 चुनाव से पहले उन्होंने भी विपक्ष को साधने का काम शुरू कर दिया है. वो सोनिया गांधी ही थी जिसकी आंधी में अटल सरकार गिरी और करीब 10 वर्षों तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार केंद्र पर काबिज हुई. एक बार फिर सोनिया गांधी एक्शन मोड में आ गई है. खास बात यह है कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में होना है और सोनिया गांधी ने भी इसी को ध्यान में रखते हुए अब चाल चौबीसी चली है. आइए जानते हैं कि आखिर चाल चौबीसी है क्या.

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क्या है सोनिया गांधी की चाल 'चौबीसी'
केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की मोर्चा बंदी शुरू हो गई है. इसी कड़ी में विपक्षी दलों की एक बैठक बिहार में नीतीश कुमार के बुलावे पर हो भी चुकी है. हालांकि इसके बाद दूसरी बैठक जो शिमला में होना थी वो बारिश और बाढ़ के चलते स्थगित कर दी गई थी. लेकिन अब ये बैठक 17 और 18 जुलाई होना बताई जा रही है. खास बात यह है कि इस बैठक के दौरान कांग्रेस चेयरपर्सन सभी दलों के नेताओं को रात्रिभोज पर आमंत्रित करेंगी. अब बता दें कि इस बार बैठक में कुल 24 राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है. यानी मिशन 2024 से पहले 24 दलों की घेराबंदी शुरू हो रही है. सोनिया गांधी इसी डिनर डिप्लोमेसी में आगे की रणनीति पर चर्चा भी करेंगी. 

राजनीतिक जानकारों की मानें तो सोनिया गांधी इस रात्रिभोज में कांग्रेस नेतृत्व में ही लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए माहौल तैयार करने की कोशिश कर सकती हैं. इसमें राहुल गांधी को विपक्ष का चेहरा बनाने पर भी चर्चा हो सकती है और उनकी लोकसभा सदस्यता समेत अन्य मुद्दों को 2024 से पहले तैयार करने की रणनीति पर भी चर्चा संभव है. 

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कहां होगी बैठक
विपक्ष की ये बैठक बेंगलुरु में होना है. खास बात यह है कि अध्यादेश के मामले में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच स्पष्ट टकराव के बावजूद इस बैठक में आप को न्योता दिया गया है. इसके अलावा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को भी बैठक में नई एंट्री के तौर पर बुलाया गया है. 

पटना में शामिल हुए थे 17 दल
पटना में हुई विपक्षी दलों की पहली बैठक में कुल 17 पॉलिटिकल पार्टीज ने हिस्सा लिया था. लेकिन इस बार सोनिया गांधी की चाल कुछ अलग है. इस बार की बैठक में कुल 24 दलों को बुलावा भेजा गया है. यानी हो सकता है 2024 के चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए 24 दल मिलकर लड़ें. हालांकि अब तक विपक्ष अपना एक चेहरा नहीं तय कर पाई है. चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं बचा है और जब तक चेहरा सामने नहीं होगा तब तक इस लड़ाई को जीतना किसी भी कीमत पर काफी मुश्किल है. 

आपसी मतभेदों से निपटना बड़ी चुनौती
23 जून को पटना में हुई बैठक में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी, शरद पवार समेत अन्य विपक्षी नेता शामिल हुए थे. हालांकि इस बार की बैठक से पहले ही विपक्षी दलों के बीच एक बड़ी चुनौती है और वो है नाराज दलों को एकजुट करना. दरअसल बीती बैठक में अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस का समर्थन ना मिलने की वजह से आम आदमी पार्टी ने कहा कि अगर कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश मुद्दे पर पार्टी का समर्थन नहीं करती है तो वह विपक्षी एकता से अलग हो जाएगी. ऐसे में अगली बैठक से पहले ही कांग्रेस के रुख को लेकर स्थिति साफ होना जरूरी है. वरना चाल चौबीसी को झटका लग सकता है. 

इसके अलावा एनसीपी में दो फाड़ भी विपक्षी एकता को दिक्कत में डाल सकती है. क्योंकि बीती बैठक में ही प्रफुल्ल पटेल ने तंज कसते हुए कहा था कि यहां आए सभी दलों के अपने-अपने एजेंडे हैं ऐसे में हंसने का मन करता है कि किस तरह सभी एक होकर लड़ पाएंगे. वहीं पंचायत चुनाव में टीएमसी को बंपर बहुमत मिलने से ममता बनर्जी का मोराल हाई है. हो सकता है कि मिशन 2024 के लिए वो अपने चेहरे को आगे करने का दबाव बनाए. ऐसे में विपक्षी एकता और सोनिया गांधी का चाल चौबीसी का कामयाब होना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.