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National Youth Day 2023 : Swami Vivekananda ने मूर्ति पूजन की आलोचना पर दिया था करारा जवाब

स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda), जिन्होंने पश्चिमि देशों को योग-वेदांत की शिक्षा से अवगत कराया, युवाओं को जागरुक रहने के लिए मूल मंत्र दिए और 19वीं शताब्दी में हिंदू धर्म को विश्व मंच पर एक मजबूत पहचान दिलाई.

Updated on: 12 Jan 2023, 01:41 PM

highlights

  • महान स्वामी विवेकानंद की है आज जयंती
  • नेशनल यूथ डे के तौर पर मनाया जाता है ये दिन
  • राजा को मूर्ति पूजन की आलोचना पर कही थी ये बात

नई दिल्ली:

National Youth Day 2023 : स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda), जिन्होंने पश्चिमि देशों को योग-वेदांत की शिक्षा से अवगत कराया, युवाओं को जागरुक रहने के लिए मूल मंत्र दिए और 19वीं शताब्दी में हिंदू धर्म को विश्व मंच पर एक मजबूत पहचान दिलाई. आज यानी 12 जनवरी को उनकी जयंती मनाई जाती है. इस दिन को देश भर में 'राष्ट्रीय युवा दिवस' (National Youth Day 2023) के तौर पर मनाया जाता है. वैसे तो स्वामी जी का पूरा जीवन ही कुछ-न-कुछ सीख देता है. लेकिन आज हम आपको उस किस्से के बारे में बताने वाले हैं, जब स्वामी विवेकानंद ने मूर्ति पूजन की आलोचना करने वाले राजा को करारा जवाब दिया था. जिसके बाद उन्हें अपने ही वचनों पर शर्मिंदा होना पड़ा था. 

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दरअसल, एक बार की बात है, जब स्वामी जी अलवर के महाराज मंगल सिंह के दरबार में पहुंचे. लेकिन उन्होंने सम्मान करने के बजाय उनका मजाक उड़ाते हुए उनसे पूछा, 'मैंने आपके बारे में काफी सुना है कि आप एक महान विद्वान हैं. लेकिन अगर आप आसानी से अपना जीवन यापन कर सकते हैं, तो भला भिखारी की तरह क्यों रहते हैं?' जिसके जवाब में विवेकानंद कहते हैं, 'महाराज आप मुझे ये बताइए कि आप अपने शाही कर्तव्यों की उपेक्षा कर क्यों भ्रमण पर निकल जाते हैं और अपना समय विदेशियों की संगति में क्यों बिताते हैं?' ये सुनकर राजा समेत वहां मौजूद तमाम लोग हैरान रह जाते हैं. हालांकि, राजा इस पर कह देते हैं कि उन्हें ऐसा करना पसंद है. इसके बाद स्वामी जी बात को आगे न बढ़ाते हुए उसे वही खत्म कर देते हैं. 

राजा ने मूर्ति पूजन को बताया था अर्थहीन
फिर एक बार स्वामी जी राजा द्वारा शिकार किए गए जानवरों की तस्वीरें और सामान देखते हैं. जिसे देखकर वो राजा से कहते हैं, 'एक जानवर भी दूसरे जानवर को बेवजह नहीं मारता है, तो फिर आप केवल अपने मनोरंजन के लिए उन्हें कैसे मार सकते हैं. मुझे ये बिल्कुल अर्थहीन लगता है.' जिसके जवाब में मंगल कहते हैं कि आप जिन मूर्तियों की पूजा करते हैं, वो मिट्टी, धातु या पत्थर के टुकड़ों से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं. मुझे भी ये मूर्ति पूजा अर्थहीन लगती है. ये सुनकर विवेकानंद न केवल उनके इस बयान का जवाब देते हैं, बल्कि उन्हें उनकी मूर्खता का ऐहसास भी कराते हैं. 

स्वामी विवेकानंद ने इस तरह बताई थी राजा को उनकी मूर्खता
इसके लिए विवेकानंद राजा के दिवंगत पिता की तस्वीर के पास पहुंचते हैं और दीवान को उस पर थूकने के लिए कहते हैं. इतना सुनते ही राजा भड़क उठते हैं और कहते हैं कि आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? जिसके जवाब में स्वामी जी कहते हैं कि ये आपके पिता कहां हैं? ये तो महज एक पेंटिंग है, आपके पिता नहीं. फिर आगे उन्हें समझाते हुए कहते हैं कि 'देखिए महाराज, ये आपके पिता की तस्वीर है, लेकिन यह आपको उनकी याद दिलाती है, जो उनके प्रतीक के तौर पर है.' इतना कहते हैं कि राजा स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की बात को समझ जाते हैं और अपनी बात के लिए माफी मांगते हैं.