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Gujarat: 1964 में ही गढ़ा जा चुका था बीजेपी के राजीतिक भविष्य का 'डिजाइन'

विधानसभा भवन के अंदर का ढांचा कमल के फूल से प्रेरित है. विधानसभा भवन के कक्ष भारत के प्राचीन मंदिरों के आंतरिक गर्भगृह से प्रेरित है. चंडीगढ़ की डिजाइन बनाने वाले ली कार्बूजियर के साथ काम करते हुए एचके मेवाड़ा ने प्रशिक्षण लिया.

Updated on: 11 Dec 2022, 07:11 PM

highlights

  • गुजरात विधानसभा भवन का डिजाइन कमल के फूल से है प्रेरित
  • 1964 में प्रमुख सिटी प्लानर एचके मेवाड़ा ने तैयार किया डिजाइन
  • चंडीगढ़ बसाने वाले ली कार्बूजियर के साथ काम किया मेवाड़ा ने

गांधी नगर:

गुजरात (Gujarat) विधानसभा भवन का डिजाइन अपने समय के प्रमुख सिटी प्लानर एचके मेवाड़ा ने 1964 में तैयार किया था. विधानसभा भवन (Gujarat Assembly)का डिजाइन तैयार करते समय ही संभवतः एचके मेवाड़ा आने वाले समय में सूबे की राजनीति का भविष्य भी गढ़ रहे थे. उन्होंने विधानसभा भवन का ढांचा 'कमल' के फूल से प्रेरणा लेकर तैयार किया था. यह तब की बात है जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सूबे के राजनीतिक परिदृश्य पर दस्तक भी नहीं दी थी. लेकिन, एचके मेवाड़ा विधानसभा भवन डिजाइन के रूप में गुजरात के राजनीतिक भविष्य की भविष्यवाणी कर चुके थे. 8 दिसंबर 2022 को विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में केसरिया पार्टी ने लगातार सातवीं और वह भी ऐतिहासिक जीत हासिल कर पश्चिम बंगाल में लाल झंडे की सरकार के रिकॉर्ड की बराबरी भी कर ली. बीजेपी ने इस चुनाव में 182 में से 156 सीटों पर कब्जा किया. यानी 1964 में एचके मेवाड़ा डिजाइन के जरिये समय का फेर पहले ही बता चुके थे. रवि कालिया की किताब 'गांधीनगर बिल्डिंग नेशनल आइडेंटिटी इन पोस्टकॉलोनियल' इंडिया में विधानसभा भवन के बारे में बेहद रोचक बातें दर्ज हैं.

चंडीगढ़ बसाने वाले ली कार्बूजियर संग किया था एचके मेवाड़ा ने काम
1962 में गुजरात में पहला विधानसभा चुनाव होने के बाद कांग्रेस ने भले ही बाद के लगभग तीन दशकों तक शासन किया हो, लेकिन भाजपा 1995 में पहली बार सत्ता में आने के बाद विधानसभा की डिजाइन के अनुरूप कब्जा करे बैठी है. एचके मेवाड़ा की डिजाइन के अनुरूप विधानसभा भवन एक चबूतरे पर निर्मित किया गया है. विधानसभा भवन के अंदर का ढांचा कमल के फूल से प्रेरित है. विधानसभा भवन के कक्ष भारत के प्राचीन मंदिरों के आंतरिक गर्भगृह से प्रेरित है. इस किताब में बताया गया है कि चंडीगढ़ की डिजाइन बनाने वाले ली कार्बूजियर के साथ काम करते हुए एचके मेवाड़ा ने प्रशिक्षण प्राप्त किया था. सिटी प्लानर एचके मेवाड़ा एक पक्के गांधीवादी थी, जो गुजरात के अतीत को लेकर बेहद संवेदनशील थे. खासकर गुजरात और महात्मा गांधी के जुड़ाव को लेकर. गुजरात की समृद्ध संस्कृति और धार्मिक विरासत तो बेहद अलग आयाम थे. इसी संवेदनशीलता ने मेवाड़ा के अंदर पैबस्त ली कार्बूजियर की दृष्टि को आधुनिकता का चश्मा दिया था. मेवाड़ा ने इसीलिए गुजरात विधानसभा भवन का डिजाइन तैयार करते समय गांधी के परंपरावाद को नेहरू के पंथनिरपेक्ष आधुनिकतावाद दोनों का ही ध्यान रखा. इनके समन्वय से डिजाइन तैयार किया. गांधीनगर शहर का डिजाइन मूल रूप से वेल प्लांड सिटी चंडीगढ़ की परिपाटी पर था.

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पहले अमेरिकी वास्तुकार काह्न बनाने वाले थे डिजाइन
1964 में वास्तुकार बालकृष्ण दोशी और उद्योगपति कस्तूरभाई लालभाई जैसी अहमदाबाद की कुछ प्रमुख हस्तियों ने प्रसिद्ध अमेरिकी वास्तुकार लुइस काह्न से संपर्क किया था. शहर के ये प्रतिष्ठित लोग गांधीनगर का निर्माण करने के लिए काह्न को चाहते थे. काह्न को वे ली कार्बूजियर के एकमात्र योग्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखते थे, लेकिन अंततः गांधीनगर का मास्टर प्लान एचके मेवाड़ा ने तैयार किया. 1962 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से अलग हुआ धड़ा स्वतंत्र पार्टी के रूप में लड़ा. स्वतंत्र पार्टी ने 1967 के चुनाव तक कांग्रेस के वोट ही काटे. आपातकाल और उसके बाद यानी 1975 से 1977 के दौरान कांग्रेस गुजरात में अपनी चमक खोने लगी थी. फिर भी कांग्रेस 1995 तक किसी तरह गुजरात का किला बचाए रखने में सफल रही. फिर बीजेपी और जनता दल (जी) ने कठबंधन की ऐसी सरकार गुजरात में बनाई कि अभी तक केसरिया पार्टी ही अपना वर्चस्व बनाए हुए है.

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गुजरात विधानसभा भवन का इतिहास
तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने 20 मार्च 1978 को नए विधानसभा भवन विट्ठलभाई पटेल भवन की आधारशिला रखी थी. इसे गांधीनगर शहर के मुख्य योजनाकार एचके मेवाड़ा द्वारा डिजाइन किया गया था. इस भवन का निर्माण जुलाई 1982 में पूरा हुआ था और इसका नाम विट्ठलभाई पटेल के नाम पर रखा गया है, जो ब्रिटिश काल के दौरान केंद्रीय विधान सभा के पहले भारतीय अध्यक्ष थे. इसका उद्घाटन 8 जुलाई 1982 को राज्यपाल शारदा मुखर्जी ने किया था. गुजरात विधावनसभा भवन के निर्माण पर उस समय 6 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आया था.