मोदी सरकार ने क्यों दिया नरसिम्हा राव को भारत रत्न? कांग्रेस के इतिहास में छिपा है काला राज...
साल था 2004.. सर्द के एक दिन भारत के पूर्व प्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा राव (PV Narasimha Rao) के पार्थिव शरीर को अकबर रोड पर कांग्रेस कार्यालय (Akbar Road Congress office) में लाया गया.
नई दिल्ली :
साल था 2004.. सर्द के एक दिन भारत के पूर्व प्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा राव (PV Narasimha Rao) के पार्थिव शरीर को अकबर रोड पर कांग्रेस कार्यालय (Akbar Road Congress office) में लाया गया. इस दौरान मीडिया की भारी भीड़ के बीच उस वक्त के तमाम दिग्गज राजनेता पीवी नरसिम्हा राव को श्रद्धांजलि देने के लिए कांग्रेस पार्टी ऑफिस पहुंचे थे, इसमें तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और अन्य शीर्ष नेताओं का नाम शुमार था. हालांकि यहां एक बात ऐसी थी, जिसने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा...
दरअसल भारत के पूर्व प्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा राव का पार्थिव शरीर कांग्रेस कार्यालय के अंदर नहीं, बल्कि उसके मुख्य द्वार के बाहर रखा गया था. यानि उनकी श्रद्धांजलि भी कांग्रेस कार्यालय के बाहर-बाहर से ही कर दी गई थी. भले ही पार्टी की ओर से इसपर कार्यालय में जगह नहीं होने की सफाई दी गई, मगर परिसर के विशाल लॉन को देखते हुए ये महज एक बहाना करार हुआ.
कांग्रेस के इस कदम से एक बात तो स्पष्ट थी कि, सोनिया गांधी और पीवी नरसिम्हा राव के बीच की बैर मृत्यु के बाद भी खत्म नहीं हुई.. हालांकि इन सबकी शुरुआत कई सालों पहले एक आरोप से हुई, जब सोनिया गांधी ने अपने पति राजीव गांधी की हत्या की जांच में तेजी न लाने के लिए राव को दोषी ठहराया था.
सोनिया ने पीवी नरसिम्हा राव को लिखे एक पत्र में सवाल किया था कि, अगर एक पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या की जांच इतनी धीमी होगी.. तो आम आदमी का क्या होगा? इसके बाद से ही राव को पार्टी में एक बाहरी व्यक्ति के तौर पर देखा जाने लगा. जब कभी पार्टी से जुड़ा कोई बड़ा कार्यक्रमों या सम्मेलन होता था, राव के पोस्टर हमेशा गायब कर दिए जाते थे.
कांग्रेस की ये द्वेष भावना आज वक्त तक भी बरकरार है, अगर अभी भी आप कांग्रेस की ऑफिशियल वेबसाइट विजिट करें तो, पार्टी को प्रेरित करने वालों की सूची में आपको राव का नाम कहीं नजर नहीं आएगा.
ऐसे में सवाल है कि, आखिर क्यों मोदी सरकार ने कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा राव का नाम ही भारत रत्न के लिए चुना? जानकारों की मानें तो, इसके दो मतलब हैं.. पहला सियासी सेंध और दूसरा विपक्ष के जख्मों पर नमक छिड़कना.
दरअसल, पीवी नरसिम्हा राव मूल रूप से आंध्र प्रदेश से आते हैं, ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 से पूर्व मोदी सरकार का ये फैसला दर्शाता है कि, दक्षिण भी मायने रखता है. जो कहीं न कहीं मोदी सरकार और भाजपा के लिए दक्षिणी राज्यों के लोगों के दिल में अपनत्व का एक भाव पैदा करेगा.
साथ ही साथ, पीएम मोदी के हालिया बयान- कांग्रेस में केवल नेहरू-गांधी परिवार के लोगों को ही महत्व दिया जाता है, पर भी फोकस करेगा. हालांकि आज सोनिया गांधी ने राव को भारत रत्न देने का स्वागत किया है...
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