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Paush Purnima 2024: आज है पौष पूर्णिमा, जानें दान करने का धार्मिक महत्व

Paush Purnima 2024: पौष पूर्णिमा, हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा को कहा जाता है. यह त्योहार हिन्दू धर्म में विशेष महत्वपूर्ण है और इसे कुछ प्रांतों में पूसा पूर्णिमा या शाखा पूर्णिमा के नामों से भी जाना जाता है.

Updated on: 25 Jan 2024, 11:03 AM

नई दिल्ली :

Paush Purnima 2024: पौष पूर्णिमा, हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा को कहा जाता है. यह त्योहार हिन्दू धर्म में विशेष महत्वपूर्ण है और इसे कुछ प्रांतों में पूसा पूर्णिमा या शाखा पूर्णिमा के नामों से भी जाना जाता है. पौष पूर्णिमा का आयोजन जनवरी-फरवरी महीने में होता है, जब पौष मास चल रहा होता है. इस दिन विशेष रूप से स्नान, दान, और पूजा का महत्व होता है. पौष पूर्णिमा का उत्सव गाँधर्व पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें संगीत, नृत्य, और कला के क्षेत्र में प्रतिष्ठान होता है. इस दिन स्नान, दान, और पूजा के अलावा, लोग माता पिता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए भी प्रयासरत रहते हैं. कुछ लोग इस दिन सर्वार्थ सिद्धि के लिए विशेष प्रायश्चित्त और व्रतों का पालन करते हैं. पौष पूर्णिमा का उत्सव भारत भर में अनेक रूपों में मनाया जाता है और लोग इसे धार्मिक भावना और सामाजिक समर्थन के साथ मनाते हैं. 

पौष पूर्णिमा 2024

24 जनवरी 2024 की रात 9 बजकर 24 मिनट से हिंदू पंचांग के के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शुरू होगी. 

25 जनवरी 2024 को रात 11 बजकर 23 मिनट पर पौष पूर्णिमा तिथि रहेगी. ऐसे में इस साल 25 जनवरी 2024 को पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी.

अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:12 बजे से 12:55 बजे तक है. साथ ही इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और गुरु पुष्य योग का अद्भुत संयोग भी बन रहा है. 

चंद्रोदय का समय - 25 जनवरी को चंद्रोदय शाम करीब 5 बजकर 29 पर होगा. इसके बाद आप चंद्रमा को अर्घ्य इसी समय दे सकते हैं.

पौष पूर्णिमा के दिन ये दान करें 

पौष पूर्णिमा के दिन धार्मिक और सामाजिक कार्य किए जाते हैं, जिनमें दान देना भी एक महत्वपूर्ण रूप से शामिल है. इस दिन कुछ विशेष प्रकार के दानों को मान्यता दी जाती है, जो धार्मिक और सामाजिक उत्सव को और भी पुनर्मूल्यांकन में बनाए रखते हैं.

अन्नदान (भोजन का दान): इस दिन गरीबों और बच्चों को भोजन का दान करना एक प्रसिद्ध प्रक्रिया है. लोग अन्न, फल, और दूधादि के आहार का दान करके देश-विदेश में गरीबों की मदद करते हैं.

वस्त्रदान: इस दिन कपड़े, ब्लैंकेट, या अन्य वस्त्रों का दान करना भी एक श्रेष्ठ कार्य है, जिससे आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है.

जलदान: पौष पूर्णिमा के दिन जलदान करना भी महत्वपूर्ण है. जल का दान करके वृष्टि की मांग को पूरा करने और पानी की सुरक्षा को बढ़ावा देने का संकल्प किया जा सकता है.

गुड़ और उपहारों का दान: गुड़, गजक, तिल, खाद्यान्न, फल, और सूखे खेती से मिलने वाले उत्पादों का दान करना भी पौष पूर्णिमा के दिन महत्वपूर्ण है.

गौदान: गौदान का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत उच्च होता है. इस दिन गौशाला या गौशालाओं को सहारा देना और गौमाता को आच्छादित करना भी एक प्रसिद्ध धार्मिक क्रिया है.

पौष पूर्णिमा के दिन ये दान और सेवाएं लोगों को सामाजिक और धार्मिक सहयोग के लिए प्रेरित करती हैं, और व्यक्ति को उच्च मूल्यों के साथ जीवन जीने का संदर्भ प्रदान करती हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)