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महाशिवरात्रि में ठंडाई के भोग का क्या है महत्व, जानें रोचक कहानी

महाशिवरात्रि के दिन ठंडाई का भोग चौमुखी प्रकार से महत्वपूर्ण होता है, और इसे भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। यह परंपरागत रूप से महाशिवरात्रि के उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह उत्सव को विशेष बनाता है।

Updated on: 23 Feb 2024, 02:34 PM

नई दिल्ली :

महाशिवरात्रि के दिन ठंडाई का भोग चौमुखी प्रकार से महत्वपूर्ण होता है, और इसे भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। यह परंपरागत रूप से महाशिवरात्रि के उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह उत्सव को विशेष बनाता है। ठंडाई का भोग शिव पूजा के दौरान अर्पित किया जाता है। यह ब्राह्मणों और पूजारियों द्वारा बनाया जाता है और भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। ठंडाई में दूध, पिस्ता, बादाम, एलायची, केसर, और चीनी शामिल होते हैं। यह शिव पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में भी परिणत होता है और भक्तों को प्रसन्न करता है। ठंडाई का भोग महाशिवरात्रि के उत्सव के माहौल में उत्साह और भक्ति भाव को बढ़ाता है। यह भगवान शिव की पूजा के लिए एक सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण भोग है और उत्सव को समृद्धि और शांति से भर देता है। ठंडाई का भोग भगवान शिव की कृपा को आमंत्रित करता है और भक्तों को उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करता है। ठंडाई एक शीतल और स्वादिष्ट पेय है जो महाशिवरात्रि के त्योहार पर भगवान शिव को भोग लगाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

महत्व:

भगवान शिव को प्रिय: ठंडाई भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान विषपान किया था, तो ठंडाई ने उन्हें शीतलता प्रदान की थी।

शीतलता प्रदान: महाशिवरात्रि वसंत ऋतु के प्रारंभ में आता है, जब गर्मी बढ़ने लगती है। ठंडाई भगवान शिव को शीतलता प्रदान करती है।

औषधीय गुण: ठंडाई में उपयोग किए जाने वाले खरबूजे के बीज, बादाम, और दूध जैसे पदार्थों में औषधीय गुण होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। ठंडाई शरीर को ठंडा रखने, पाचन क्रिया को बेहतर बनाने, और ऊर्जा प्रदान करने में सहायक होती है।

धार्मिक महत्व: ठंडाई को भगवान शिव के त्रिनेत्र का प्रतीक माना जाता है। दूध, दही, और खरबूजे के बीज क्रमशः त्रिनेत्र के तीनों भागों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

आध्यात्मिक महत्व: ठंडाई मन को शांत और एकाग्र करने में सहायक होती है।

सामाजिक महत्व: महाशिवरात्रि के दौरान लोग ठंडाई एक दूसरे को भी भेंट करते हैं, जो सामाजिक बंधन को मजबूत करता है।

महाशिवरात्रि के दिन, सुबह जल्दी उठकर लोग अपने घरों में पूजा करते हैं। वे भगवान शिव को जल, फूल, फल, और मिठाई अर्पित करते हैं। पूजा के बाद, लोग ठंडाई बनाते हैं और भगवान शिव को भोग लगाते हैं। ठंडाई बनाने के लिए, दूध, दही, खरबूजे के बीज, बादाम, और मसालों को मिक्सर में पीसकर ठंडा किया जाता है। ठंडाई को भगवान शिव को अर्पित करने के बाद, लोग इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

ठंडाई महाशिवरात्रि के त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह भगवान शिव को प्रिय है, स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, और धार्मिक, आध्यात्मिक, और सामाजिक महत्व भी रखता है।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)