Mahashivratri 2024: कैसी थी शिव जी की शादी, आखिर भोलेनाथ के बारात में कौन-कौन हुआ था शामिल?
Mahashivratri 2024: मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान भोलेनाथ की बारात में कौन-कौन शामिल हुआ था? आइए इसके बारे में आज हम आपको विस्तार से बताते हैं.
नई दिल्ली:
Mahashivratri 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि महाशिवरात्रि मनाई जाती है और इस साल यह पर्व आज यानि 8 मार्च को मनाया जा रहा है. आज का दिन बहुत ही खास है क्योंकि आज पूरे देश में महाशिवरात्रि की धूम है. सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही महत्व रखता है. मान्यता है कि इसी दिन शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिव-पार्वती के विवाह में कौन-कौन शामिल हुआ था? ऐसे में आइए जानते हैं कैसी थी शिव जी की बारात. साथ ही जानें आखिर भोलेनाथ के बारात में कौन-कौन शामिल हुआ था.
जानें भोलेनाथ के बारात में कौन-कौन हुआ था शामिल
माना जाता है कि शिव जी की बारात में देवता, ऋषि-मुनि, यक्ष, राक्षस, गंधर्व, अप्सराएं, भूत-प्रेत, पिशाच और अन्य सभी जीव शामिल थे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की बारात में भूत-प्रेत नाचते हुए पार्वतीजी के घर गए थे. ऐसा माना जाता है कि जितने भी बाराती शिव-पार्वती माता के विवाह में गए थे, सभी अपने आप को भस्म से रमे हुए थे. वहीं शिव जी बैल पर सवार होकर माता पार्वती के घर पहुंचे थे. शिव जी ने गले में सांप लपेटी थीं और उनके शरीर पर राख थी. कहा जाता है कि शिव जी बारात को देखकर वहां मौजूद महिलाएं भयभीत होकर वहां से भाग गई थीं. लेकिन माता पार्वती बिल्कुल भी नहीं परेशान हुईं.
इसके अलावा, कई अन्य गण भी बारात में शामिल थे, जिनमें यक्ष, गंधर्व, अप्सराएं, किन्नर, और अन्य जीव शामिल थे. यह बारात धरती और स्वर्ग दोनों जगहों पर घूमती रही. जहां भी यह बारात जाती, वहां खुशी और उत्सव का माहौल होता. यह एक ऐसा दृश्य था जो किसी ने पहले कभी नहीं देखा था.
मान्यता है कि शिव जी-माता पार्वती के विवाह की तिथि तय करने के बाद भगवान भोलेनाथ ने अपने गणों को बारात की तैयारी करने का आदेश दिया. उसके बाद इनके आदेश से प्रसन्न होकर गणेश्वर शंखकर्ण और अन्य गणों के अध्यक्ष अपने अपने गणों को साथ चल पड़े. बता दें कि ये सभी तीन नेत्रों वाले थे और इनके माथे पर चंद्रमा और गले में नील चिन्ह थे. इसके साथ ही सभी ने रुद्राक्ष पहने थे.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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