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Asanas Scientific and Religious Importance: पूजा-पाठ के 'आसन' से जुड़े इन नियमों का करें पालन, जानें धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

पूजा स्थान में पूजा करते समय आसन बिछाकर उस पर बैठकर पूजा पाठ करनी चाहिए. पूजा में आसन का विशेष महत्व होता है. इसके साथ ही आसन (puja asana) से जुड़े कुछ खास नियम भी होते हैं.

Updated on: 23 Aug 2022, 01:28 PM

नई दिल्ली:

पूजा के दौरान कईं चीजों की आवश्यकता होती है. हिंदू धर्म में पूजा पाठ को लेकर कई तरह के नियम (Asanas in worship) बताए गए हैं. शास्त्रों में उन सभी बातों का विशेष महत्व है. जो पूजा या पूजा स्थल से जुड़ी हुई है. आपने अक्सर पूजा करते समय बहुत से लोगों को जमीन पर बैठकर पूजा करते देखा होगा. लेकिन, धार्मिक दृष्टि (hindu worship rules) से देखा जाए तो ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता है. पूजा स्थान में पूजा करते समय आसन बिछाकर उस पर बैठकर पूजा पाठ करनी चाहिए. पूजा में आसन का विशेष महत्व होता है. इसके साथ ही आसन (puja asana) से जुड़े कुछ खास नियम भी होते हैं. तो, चलिए जानते हैं कि आसन से जुड़े वो खास नियम और इसका महत्व क्या है.     

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आसन का वैज्ञानिक महत्व -

पूजा के दौरान आसन पर बैठकर पूजा करने के पीछे धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी छिपा है. दरअसल, पृथ्वी में चुंबकीय बल यानी गुरुत्वाकर्षण है. जब कोई व्यक्ति विशेष मंत्रों का ध्यान और जप करता है तो, उसके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है. यदि आपने कोई आसन नहीं रखा है तो ये ऊर्जा पृथ्वी में समा जाती है और आपको कोई लाभ नहीं मिलता है. इसलिए, पूजा के दौरान आसन बिछाना जरूरी माना (worship asanas importance) जाता है.  

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आसन का धार्मिक महत्व -

शास्त्रों के अनुसार, पूजा में बिछाए जाने वाले आसन का विशेष महत्व माना गया है. धर्म शास्त्रों की मानें तो, आसन भी दो तरह के होते हैं. एक जिसमें भगवान को बिठाया जाता है. जिसे दर्भासन कहा जाता है. वहीं दूसरा वो होता है जिस पर भक्त बैठकर ईश्वर की आराधना करते हैं. उसे आसन कहा जाता है. माना जाता है कि भक्तों को कभी भी जमीन पर बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए. इसके बजाय लकड़ी की चौकी, घास फूस से बनी चटाई, पत्तों से बने आसन, या किसी कपड़े के आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से भक्त एकाग्र होकर ईश्वर के ध्यान में (religious importance of aasan) लीन हो सकते हैं. 

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आसन पर बैठने के नियम - (asana puja rules)

पूजा के आसन को हमेशा साफ हाथों से उठाकर सही दिशा में लगाना चाहिए. 

पूजा करने के बाद आसन से सीधे नहीं उठना चाहिए. बल्कि, सबसे पहले आसन से जल लेकर भूमि पर चढ़ाएं और भूमि को प्रणाम करें. 

पूजा करते समय कभी भी दूसरे इंसान के आसन का प्रयोग नहीं करना चाहिए. 

आसन का इस्तेमाल करने के बाद उसे उठाकर वापस रख दें साथ ही इधर-उधर न छोड़ें.  

अपने इष्ट देव की पूजा करने के बाद पूजा के आसन को उसके सही स्थान पर रखें.   
  
पूजा स्थल के आसन का प्रयोग किसी अन्य कार्य में न करें.