Sawan 2022 Kapaleshwar Shiv Mandir: इस मंदिर में शिव जी के साथ नहीं है नंदी की प्रतिमा, जानें इसके पीछे की खास वजह
सावन का महीना 14 जुलाई (sawan 2022) से शुरू हो चुका है. जो कि 18 अगस्त तक रहेगा. हर शिवालय में शिवलिंग के सामने नंदी जरूर होते हैं लेकिन देश का एकलौत शिव मंदिर है जहां नंदी की प्रतिमा (shiv without nandi) नहीं है.
नई दिल्ली:
सावन का महीना 14 जुलाई (sawan 2022) से शुरू हो चुका है. ऐसे में शिव जी की जय-जयकार चारों दिशाओं में गूंज रही है. शिव की महिमा अपरंपार है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जहां शिव होते हैं वहां उनके गण नंदी भी विराजमान होते हैं. कहा जाता है कि शिवालयों में नंदी की पूजा किए बिना शिव जी की पूजा को अधूरा माना जाता है. नंदी को भगवान (shiv without nandi) शिव का गण के साथ ही वाहन भी माना जाता है और इन्हें ही गणराज भी कहा जाता हैं. हर शिवालय में शिवलिंग के सामने नंदी जरूर होते हैं लेकिन देश का एकलौत शिव मंदिर है जहां नंदी की प्रतिमा नहीं है. तो चलिए सावन सोमवार के मौके पर जानते हैं शिवजी के इस अनूठे मंदिर का रहस्य क्या है? आखिर क्यों यहां शिवजी अपने प्रिय नंदी (unique shiva mandir) के बिना ही विराजते हैं.
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इस मंदिर में नहीं है शिव जी के साथ नंदी -
गोदावरी तट पर बसे इस मंदिर का नाम कपालेश्वर महादेव मंदिर (Kapaleshwar Mandir) है. पुराणों में बताया गया है कि भगवान शिवजी ने यहां निवास किया था. कहा जाता है कि ये देश का इकलौता ऐसा मंदिर है. जहां भगवान शिवजी के सामने नंदी बाबा नहीं है. यही इस मंदिर की विशेषता है. पुराणों के अनुसार, इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ ने निवास किया था. पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मदेव के 5 मुख थे. चार मुख वेदोच्चारण करते थे और पांचवां मुख हमेशा लोगों की बुराई करता था.
शिव जी पर लगा था ब्रह्म हत्या का पाप -
एक बार इंद्रसभा की सभा में ब्रह्मदेव का पांचवा मुख भगवान शिव की निंदा करने लगा जिससे क्रोधित होकर उस मुख को ब्रह्मदेव के धड़ से अलग कर दिया. भोलेनाथ पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया. इस पाप से मुक्ति पाने के लिए सोमेश्वर में एक बछड़े ने शिव जी को उपाय बताया. इस बछड़े पर भी अपने मालिक जो ब्रह्मण था उसकी हत्या का पाप लगा था.
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बछड़े ने हल की भोलेनाथ की समस्या -
कथा के अनुसार, भोलेशंकर जब सोमेश्वर पहुंचे तब वहां एक बछड़े ने भगवान शिव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति का उपाय बताया. इसके अलावा वह भोलेनाथ को लेकर उस स्थान पर गया जहां पर उन्हें इस ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिलनी थी. ये स्थान गोदावरी का रामकुंड था. जहां उस बछड़े ने भोलेनाथ को स्नान करने को कहा. माना जाता है कि वहां स्नान करते ही भगवान शिव ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो सके. उन्हें इस पाप से मुक्त कराने का मार्ग बताने वाले बछड़े के रूप में वह कोई और नहीं बल्कि नंदी (shiv temple) बाबा ही थे.
जब शिव जी ने माना नंदी को गुरु -
नंदी की वजह से भगवान शिव ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त हुए थे. इसलिए भगवान शिव ने उन्हें अपना गुरु मान लिया. अब नंदी महादेव के गुरु बन गए इसलिए, उन्होंने इस मंदिर में नंदी बाबा को स्वयं के सामने बैठने से मना किया. यही वजह है कि इस मंदिर में भोलेनाथ तो हैं लेकिन नंदी बाबा (mysterious story of kapaleshwar shiv temple) नहीं है.
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