सावन का पवित्र माह शुरू, 4 सोमवार और 4 मंगलवार से यह महीना होगा खास
झारखंड के देवघर, उत्तराखंड के हरिद्वार, उत्तर प्रदेश में प्रयागराज, काशी और मध्य प्रदेश उज्जैन, महाराष्ट्र के नासिक में देश भर से श्रद्धालु उमड़ पड़े हैं. उनके लिए देश भर के शिवालयों को सजाया गया है.
नई दिल्ली:
भगवान भोले शंकर की आराधना का पवित्र माह सावन आज से शुरू हो गया है. 17 जुलाई से शुरू होकर यह पवित्र महीना 15 अगस्त को रक्षाबंधन के साथ खत्म होगा. सावन माह शुरू होते ही भोले के भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है. झारखंड के देवघर, उत्तराखंड के हरिद्वार, उत्तर प्रदेश में प्रयागराज, काशी और मध्य प्रदेश उज्जैन, महाराष्ट्र के नासिक में देश भर से श्रद्धालु उमड़ पड़े हैं. उनके लिए देश भर के शिवालयों को सजाया गया है. कांवड़ यात्रा शुरू हो चुकी है और बोल बम के बोल से वातावरण गुंजायमान हो रहा है. इस बार सावन माह में 4 सोमवार और इतने ही मंगलवार पड़ रहे हैं. सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई और अंतिम सोमवार 12 अगस्त को पड़ रहा है.
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देवघर का श्रावणी मेला
द्वादश ज्योर्तिलिंग के रूप में देवघर में बाबा वैद्यनाथ मंदिर में श्रावणी मेले की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. इस मेले में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु आते हैं. इस साल 40 लाख श्रद्धालुओं के बाबा वैद्यनाथ धाम के दर्शन करने का अनुमान है. बिहार के सुल्तानगंज से उत्तरवाहिनी गंगा का जल भरकर कांवडि़ये 105 किमी की दूरी तय कर बाबा वैद्यनाथ को जल अर्पित करते हैं. पूरे पथ पर प्रशासन के अलावा सेवादारों की ओर से यात्रियों की सुविधाओं का पूरा प्रबंध किया जाता है. इस बार भी टेंट सिटी बसाई गई है. साथ ही स्वच्छता पर विशेष जोर दिया गया है.
हरिद्वार में भी तैयारी पूरी
देवभूमि हरिद्वार में भी सावन माह के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. यहां रोज करीब तीन से चार लाख कांवड़िए पहुंचते हैं. हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के शिवभक्त यहां अधिक संख्या में पहुंचते हैं. यहां से वे नीलकंठ महादेव मंदिर का रुख करते हैं. वापसी में हरकी पैड़ी में विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद गंगा जल लेकर लौट जाते हैं.
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काशी का पंचकोशी परिक्रमा
सावन माह में काशी का जिक्र न हो, ऐसा कैसे हो सकता है. काशी की रज सिर-माथे लगाने, विश्वनाथ को जल चढ़ाने और गंगे में डुबकी लगाने के लिए देश-दुनिया से भक्त पहुंचते हैं. शूलटंकेश्र्वर, रामेश्र्वर, मार्कंडेश्र्वर, केदारेश्र्वर के साथ ही शिवालय शृंखला और बाबा की नगरी में ही उनके समेत द्वादश ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करने की अनूठी अनुभूति मन में भरती है. काशी की पंचकोशी परिक्रमा से शिव भक्तों को सुख की अनुभूति मिलती है. इसमें 200-250 किलोमीटर अंतरजनपदीय दूरी के साथ ही पूरी शिव नगरी नंगे पांव नापे जाते हैं.
उज्जैन में भी खास तैयारी
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भी श्रावण मास की तैयारियां की गई हैं. जनसंपर्क अधिकारी गौरी जोशी के अनुसार, श्रावण में आम दर्शनार्थी सामान्य दर्शनार्थी द्वार से मंदिर में प्रवेश करेंगे. पुजारी, पुरोहित, दिव्यांग, वृद्धजन तथा कावड़ यात्रियों भस्मारती द्वार से प्रवेश करेंगे. 250 रुपये के शीघ्र दर्शन टिकट वाले दर्शनार्थी शंख द्वार से अंदर आएंगे. कावड़ लेकर महाकाल मंदिर आने वाले अधिकांश कावड़ यात्री नर्मदा के विभिन्न घाटों से जल लेकर उज्जैन आते हैं। इसमें खेड़ी घाट का जल लेकर आने वाले यात्रियों की संख्या अधिक रहती है.
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