धनतेरस 2017: जानिए किस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से घर में होगी धन की वर्षा
हिंदु मान्यताओं के अनुसार इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि मां लक्ष्मी इससे प्रसन्न होती हैं।
नई दिल्ली:
दीवाली आने में महज कुछ ही दिन बाकी हैं, ऐसे में दीपों के इस त्योहार को मनाने के लिए हर कोई बेहद उत्सुक नजर आ रहा है। लेकिन पांच दिवसीय इस त्योहार में धनतेरस सबसे पहला और बहुत महत्वपूर्ण पर्व माना गया है। 17 अक्टूबर (मंगलवार) को पूरा देश धनतेरस का पर्व मनाने जा रहा है। इस दिन घरों में दीयों से सजावट शुरू कर दी जाती है, मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
हिंदु मान्यताओं के अनुसार इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि मां लक्ष्मी इससे प्रसन्न होती हैं। इसलिए लोग धनतेरस के दिन बाजार से नए बर्तन और अन्य सामान खरीदते हैं। आइये आपको बताते हैं धनतेरस पर नए सामान और बर्तन खरीदने का शुभ मुहूर्त।
धनतेरस पर नए सामान और बर्तन खरीदने का शुभ मुहूर्त
सुबह 9 बजकर 37 मिनट से 10 बजकर 59 मिनट तक का खरीददारी का सबसे उत्तम समय माना गया है। दोपहर 11 बजकर 55 मिनट से 12 बजकर 40 तक और दोपहर 1 बजकर 40 मिनट से शाम 5 बजकर 50 मिनट तक सोना, चांदी, वाहन या इलेक्ट्रॉनिक सामानों को खरीदना का शुभ समय है।
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इसके बाद शाम 5:47 से रात्रि 8:25 तक प्रदोष बेला में फिर रात्रि 10.30 से पूरी रात्रि खरीददारी का शुभ महूर्त है।
पूजा मुहूर्त:
पूजा का शुभ मुहूर्त वृष लगन में शाम 6 बजकर 57 मिनट से रात को 8 बजकर 49 मिनट तक है। इस मुहूर्त पर पूजा करने बहुत लाभ मिलता है। पूजा करने के बाद घर के बाहर दीपक जलाएं और घर की सुख शांति के लिए दुआ मांगे।
भगवान विष्णु ने लिया धनवंतरी का अवतार
ऐसी मान्यता है कि जब देवता और राक्षस सागर मंथन कर रहे थे तो देवताओं को डर सता रहा था इसीलिए देवताओं के आह्वान पर खुद भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया और भगवान धनवंतरी अपने हाथों में स्वर्ण कलश लेकर उत्पन्न हुए। उसी कलश में भरे हुए अमृत ने देवताओं को अमर बना दिया था भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
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धन की देवी लक्ष्मी भी सागर मंथन के दौरान प्रकट हुईं
भगवान धनवंतरी के उत्पन्न होने के दो दिनों बाद ही धन की देवी लक्ष्मी भी सागर मंथन के दौरान प्रकट हुई थीं इसलिए धनतेरस के दो दिन बाद दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। एक दूसरी मान्यता ये है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन ही भगवान धनवंतरी उत्पन्न हुए थे, इसलिए इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। वहीं पंडितों में इस बात को लेकर मतभेद है।
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