RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्यों नहीं मनाता अपना स्थापना दिवस?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 97 साल पूरे हो चुके हैं. साल 1925 में विजयदशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना डॉ केशव बलिराम हेडगेवान ने की थी. लेकिन उस दिन इस संगठन का नाम तय नहीं किया गया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम उसे एक साल के बाद मिला. यही नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज भले ही स्वयंसेवकों...
highlights
- आरएसएस की स्थापना के 97 साल पूरे
- RSS नहीं मनाता अपना स्थापना
- विजयदशमी के दिन शक्ति और शस्त्रों की होती है पूजा
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना (RSS Foundation Day) के 97 साल पूरे हो चुके हैं. साल 1925 में विजयदशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना डॉ केशव बलिराम हेडगेवान ने की थी. लेकिन उस दिन इस संगठन का नाम तय नहीं किया गया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम उसे एक साल के बाद मिला. यही नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज भले ही स्वयंसेवकों की संख्या और शाखाओं की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन है, लेकिन आज तक इस संगठन से अपना स्थापना दिवस समारोह तक नहीं मनाया. बल्कि हर साल आरएसएस विजयदशमी (VijayaDashami) के मौके पर शक्ति की उपासना करता है. उसे स्वयंसेवक पथ संचलन करते हैं. संघ की शाखाएं अपने अपने स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. और शक्ति की पूजा करते हैं.
उद्देश्य है सबसे महत्वपूर्ण
इसकी सबसे बड़ी वजह इसका उद्देश्य. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना जनजागरण और एकजुटता के लिए की गई थी. किसी संगठन या व्यक्ति की पहचान उभारने के लिए नहीं. यही वजह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने पहले ही कह दिया था कि हम आम संगठनों जैसे नहीं हैं जो सिर्फ अपने स्थापना दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन करे. बल्कि राष्ट्र और समाज के उत्थान में योगदान के लिए ही कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे.
ये भी पढ़ें: VijayaDashami: RSS का विजयदशमी कार्यक्रम, संघ प्रमुख बोले-मातृशक्ति की उपेक्षा नहीं की जा सकती
डॉ हेडगेवार में जीवनकाल में नहीं छपी कोई जीवनी
डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने शक्ति की उपासना पर खासा जोर दिया था. उन्होंने कहा था कि हम शक्ति की उपासना के लिए संघ की स्थापना कर रहे हैं. हम समाज के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं. यही वजह है कि खुद डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने अपने भी नाम को उभारने से स्वयंसेवकों को मना किया था. सभी स्वयंसेवक जब बाहर होते हैं, तो संघ के बारे में बात करते हैं, न कि व्यक्ति विशेष के बारे में. तभी तो, खुद उनके जीवन काल में उनकी कोई जीवनी नहीं छपी थी. उनकी जीवनी तक उनकी मृत्यु के एक साल बाद, वो भी पतली किताब के तौर पर छपी थी.
स्थापना के 100वें साल में भी कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं
यही वजह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) 2025 में अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर लेगा, लेकिन संघ की तरफ से किसी भी बड़े कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा. बल्कि हर बार की तरह सभी स्वयंसेवक पथ संचलन में योगदान देंगे और शस्त्र पूजा जैसे पारंपरिक आयोजनों का हिस्सा बनेंगे.
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