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UPA के 10 साल पर लोकसभा में पेश हुआ श्वेत पत्र, आर्थिक कुप्रबंधन को लेकर मोदी सरकार करेगी चर्चा 

White paper: श्वेत पत्र में सिलसिलावर स्तर पर 2004 से 2014 के दौरान यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियों पर मौजूद खामियों का जिक्र होना है.

Updated on: 09 Feb 2024, 05:53 AM

नई दिल्ली:

White paper:  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में यूपीए के दस साल यानि 2004 से 2014 तक के कार्यकाल में आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेत पत्र जारी किया है. इस पर लोकसभा में कल 12 बजे चर्चा का समय दिया गया है. भाजपा की ओर से सुनीता दुग्गल, तेजस्वी सूर्या, निशिकांत दुबे, जयंत सिन्हा सहित अन्य सांसद इस श्वेत पत्र पर अपनी बात रखने वाले हैं. इस श्वेत पत्र में सिलसिलावर स्तर पर 2004 से 2014 के दौरान यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियों पर मौजूद खामियों का जिक्र होना है. इन खामियों की जगह उस समय क्या करना चाहिए था. इस बात का जिक्र भी इस श्वेत पत्र में है. 

आर्थिक नीतियां किस तरह से लागू की गईं

श्वेत पत्र में 2014 से 2024 तक मोदी सरकार के कार्यकाल में आर्थिक नीतियां किस तरह से लागू की गईं, इस बात को संसद में बताया जाएगा. इसके बाद इस श्वेत पत्र पर चर्चा का वक्त भी प्रस्तावित है. पीएम मोदी की सरकार ने वर्ष 2014 से पहले अर्थव्यवस्था के ‘कुप्रबंधन’ के बारे में इस श्वेत पत्र को पेश किया है. पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में पहली बार सरकार 2014 में बनी थी. इससे पहले लगातार 10 साल तक यानी 2004-14 तक मनमोहन सिंह की सरकार रही थी. इस समय पीएम मोदी का दूसरा कार्यकाल भी खत्म होने वाला है. 

अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर सदन के पटल पर श्‍वेत पत्र 

आपको बता दें कि गुरुवार को वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करते हुए इस कुप्रबंधन को लेकर श्वेत पत्र लाने की सूचना दी थी. सीतारमण के अनुसार, सरकार अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर सदन के पटल पर श्‍वेत पत्र जारी करने वाली है. इससे पता चल सकेगा कि वर्ष 2014 तक हम कहां पर थे और अब हम कहां पहुंच गए हैं. इस श्‍वेत पत्र का उद्देश्य उन वर्षों के कुप्रबंधन से सबक सीखना होगा.

श्वेत पत्र में क्या-क्या लिखा है? 

  • श्वेत पत्र में लिखा गया है कि UPA के कार्यकाल में देश की आर्थिक नींव कमजोर हुई.
  • UPA के कार्यकाल में रुपये में भारी गिरावट देखी गई
  • इस कार्यकाल में बैंकिंग सेक्टर में बड़ा संकट था 
  • देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी देखी गई - 
  • सरकार ने भारी कर्ज लिया था -
  • राजस्व का इस्तेमाल गलत हो रहा था