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स्वामी ने बजट से पहले फिर केंद्र को घेरा, Income Tax खत्म करने की कही बात

बातचीत के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने सुझाव दिया कि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कम से कम स्थिति सामान्य होने तक 1 अप्रैल से टैक्स को समाप्त किया जाना चाहिए.

Updated on: 22 Jan 2022, 01:52 PM

highlights

  • बीजेपी सांसद ने पीएम नरेंद्र मोदी सरकार पर भी सवालिया निशान लगाए
  • कोविड-19 के मद्देनजर बढ़ती महंगाई के बीच स्वामी का आया यह बयान
  • स्वामी ने कहा कि आयकर के अलावा राजस्व जुटाने के अन्य विकल्प भी हैं

दिल्ली:

बजट से पहले बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (subramanian swamy) ने फिर से एक बार अपनी पार्टी पर निशाना साधा है. बीजेपी सांसद ने अपनी पार्टी के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार पर भी सवालिया निशान लगाए हैं. स्वामी ने कहा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार साल 2016 से लगातार फेल रही है. साथ ही उन्होंने सरकार के लिए इनकम टैक्स पर एक साहसिक सुझाव देते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए आय पर लगने वाला कर (Income Tax) खत्म कर दिया जाना चाहिए. यह बात भाजपा सांसद ने बिजनेस वेबसाइट बिजनेस टुडे को दिए इंटरव्यू में कही.

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बातचीत के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने सुझाव दिया कि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कम से कम स्थिति सामान्य होने तक 1 अप्रैल से टैक्स को समाप्त किया जाना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि अगर वह वित्त मंत्री होते तो क्या करते, स्वामी ने कहा, सबसे पहले, मैं घोषणा करता कि 1 अप्रैल से प्रभावी होने तक, जब तक हम वापस सामान्य नहीं हो जाते, तब तक कोई भी टैक्स का भुगतान नहीं करेगा और एक बार सामान्य स्थिति आने के बाद मुझे लगता है कि हमें इसे स्थायी बनाना शुरू कर देना चाहिए. सुब्रमण्यम स्वामी का यह सुझाव ऐसे समय में आया है जब देश में लाखों परिवार कोविड-19 के मद्देनजर बढ़ती महंगाई और बढ़ती चिकित्सा लागत के कारण दबाव में आ गए हैं.

कोयले की नीलामी से संसाधन जुटाने का विकल्प

अपने सुझाव को सही ठहराते हुए स्वामी ने कहा कि आयकर के अलावा राजस्व जुटाने के अन्य विकल्प भी हैं. मैंने सबसे पहले यह सुझाव दिया था कि भाजपा सरकार के रूप में हमारे कार्यकाल की शुरुआत में हमें लगभग 4 लाख करोड़ के आयकर से राजस्व मिल रहा था जो कि कुछ भी नहीं है. आप पूरा बजट देख सकते हैं और यह अब शायद 8-9 लाख करोड़ हो गया है. उन्होंने आगे कहा कि कोयले की नीलामी से संसाधन जुटाने का विकल्प है, यह कहते हुए कि सरकार के पास कर बढ़ाने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की कोई कमी नहीं है और अगर अर्थव्यवस्था फलफूल रही है, तो लोग करों का भुगतान करने को तैयार हैं. साथ ही यह कहते हुए एक नियम बना लें कि जिन कंपनियों का पुनर्निवेश किया जाएगा उनकी आय पर करों से पूरी तरह छूट होगी. इसलिए बचत दर बढ़ेगी और इसके साथ ही विकास दर भी बढ़ेगी.

कोविड की वजह से घरेलू बचत की राशि में कमी आई

सुब्रमण्यम स्वामी ने यह भी कहा कि वह ऋण पर ब्याज दर को वर्तमान प्रधान ऋण दर से घटाकर 12 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत कर देंगे. यह भी हमारे हाथ में है. बैंक ऐसा कर सकते हैं और सावधि जमा की ब्याज दरों को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 9 प्रतिशत कर सकते हैं ताकि लोग अधिक बचत करें. स्वामी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि महामारी और बढ़ती मुद्रास्फीति से उत्पन्न मौजूदा आर्थिक दबाव के कारण जीडीपी हिस्सेदारी के मामले में घरेलू बचत की राशि में कमी आई है. उन्होंने कहा कि इससे निवेश में भी कमी आई है. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि वैश्विक महामारी के विकास से ठीक पहले अर्थव्यवस्था ने अभी भी 2019-20 की चौथी तिमाही में देखे गए विकास के स्तर को हासिल नहीं किया है.