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Lock Down: रमजान में न टूटे Social Distencing, शाही इमाम ने मुसलमानों से की ये अपील

दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने ऐलान किया है कि इस रमजान के दौरान कोई भी सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन नहीं करेगा.

Updated on: 25 Apr 2020, 01:03 AM

नई दिल्ली:

दिल्ली में रमजान के दौरान लॉकडाउन का उल्लंघन न हो और सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे इस बात को लेकर अब दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने ऐलान किया है कि इस रमजान के दौरान कोई भी सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन नहीं करेगा. कोरोना वायरस को हराने के लिए हम सबको एक जुट होकर सरकार के लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि, इस बार रमजान में मैं सभी मुसलमान भाइयों से अपील करूंगा कि वो नमाज अदा करने के लिए अपने पड़ोसियों को अपने घर पर न बुलाएं.

शाही इमाम ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए दिल्ली के मुसलमानों से अपील की है कि वो रमजान के लिए दिल्ली के सभी मुसलमानों से अपील करता हूं कि नमाज अदा करने के लिए अपने पड़ोसियों को अपने घर न बुलाएं. और यह भी तय करें कि एक बार में नमाज पढ़ते समय एक कमरे में तीन लोग से ज्यादा नहीं रहेंगे. हम कोरोना वायरस को तभी हरा पाएंगे जब हम एकजुट होंगे.

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इस्लाम में रमजान का महीना बहुत पवित्र माना जाता है
आपको बता दें कि इस्लाम में रमजान का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है. इस महीने में रोजे रखने का बहुत अधिक महत्व होता है. 7 साल की उम्र से हर सेहतमंद मुसलमान रोजा (Roza) रखना शुरू करते हैं. रमजान के पूरे एक महीने तक मुस्लिम समुदाय (Musalman Community) के लोग रोजे रखते हैं. इस दौरान कुरान पढ़ते हैं. हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं. आइए, जानते हैं, कब से शुरू हो रहा है यह पावन महीना और क्यों यह त्योहार मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण माह होता है. इस बार अगर चांद का दीदार 23 अप्रैल को हो गया, तो 24 अप्रैल से रोजे रखे जाएंगे. लेकिन अगर चांद 24 अप्रैल को दिखा, तो 25 अप्रैल से रोजे रखे जाएंगे.

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रोजे रखने से दुआएं होती हैं कबूल
इस्लाम (Islam) में बताया गया है कि रोजे रखने से अल्लाह खुश होते हैं. सभी दुआएं कुबूल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है. चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह के समय सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं. इसी दिन पहला रोजा रखा जाता है. सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है. सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है. जानें शहरी और इफ्तार की टाइमिंग--

Date Sehri Iftar
22 April 04:25 18:54
23 April 04:23 18:54
25 April 04:21 18:55
26 April 04:20 18:56
27 April 04:19 18:57
28 April 04:18 18:57
29 April 04:16 18:58
30 April 04:15 18:58
01 May 04:14 18:59
02 May 04:13 19:00
03 May 04:12 19:00
04 May 04:11 19:01
05 May 04:10 19:01
06 May 04:09 19:02
07 May 04:08 19:03
08 May 04:07 19:03
09 May 04:06 19:04
10 May 04:05 19:04
11 May 04:04 19:05
12 May 04:04 19:06
13 May 04:03 19:06
14 May 04:02 19:07
15 May 04:01 19:08
16 May 04:00 19:08
17 May 03:59 19:09
18 May 03:59 19:09
19 May 03:58 19:10
20 May 03:57 19:11
21 May 03:57 19:11