PM मोदी ने तटीय राज्यों में 'तौकते' के खतरे को रोकने के लिए बनाई रणनीति
भारत मौसम विज्ञान विभाग की ओर से 'तौकते' नामक चक्रवाती तूफान (को लेकर जारी अलर्ट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को उच्चस्तरीय बैठक (High Level Meeting) लेकर सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं.
highlights
- रविवार को पीएम ने की उच्चस्तरीय बैठक
- तूफान 'तौकते' से निपटने के लिए हुई बैठक
- 18 मई को पोरबंदर से टकरा सकता है तूफान 'तौकते'
नई दिल्ली:
भारत मौसम विज्ञान विभाग (Indian Met Department) की ओर से 'तौकते' नामक चक्रवाती तूफान (cyclonic storms name Taukte) को लेकर जारी अलर्ट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को उच्चस्तरीय बैठक (High Level Meeting) लेकर सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं. लक्षद्वीप द्वीप समूह और अरब सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनने की वजह से शक्तिशाली चक्रवाती तूफान के गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा और केरल आदि राज्यों के तटों से टकराने की आशंका है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि गुजरात के पोरबंदर तट पर 18 मई को दोपहर 175 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तूफान टकरा सकता है. गुजरात के तटीय जिलों में भारी वर्षा हो सकती है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग 13 मई से लगातार बुलेटिन जारी कर रहा है संबंधित राज्यों को. कैबिनेट सेक्रेटरी सभी तटीय राज्यों के मुख्य सचिव और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों के संपर्क में बने हुए हैं. गृहमंत्रालय लगातार 24 घंटे हालात की निगरानी कर रहा है और राज्यों के संपर्क में है. एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों को एक्टिव कर दिया गया है. इंडियन कोस्ट गार्ड और नेवी को शिप और हेलीकॉप्टर पर निगरानी के लिए लगाया गया है. एयरफोर्स, आर्मी की इंजीनियर टास्क फोर्स को भी तैयार रखा गया है. लोगों को खतरे वाली जगहों से बाहर निकालने पर जोर दिया गया. प्रधानमंत्री ने बिजली, संचार, स्वास्त्य, पेयजल आदि सुविधाओं पर नजर रखने को कहा.
म्यांमार ने रखा इस तूफान का नाम 'तौकते'
इस चक्रवाती तूफान का नाम 'तौकते' म्यामांर ने दिया है. जिसका अर्थ है "गेको", जिसका बर्मीज़ में मतलब तेज आवाज निकालने वाली छिपकली होता है. यह भारतीय तट पर इस साल का यह पहला चक्रवाती तूफान होने जा रहा है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) के तत्वावधान में ट्रॉपिकल चक्रवातों को आधिकारिक तौर पर दुनिया भर में फैले इसके एक चेतावनी केंद्र द्वारा नाम दिया जाता है. चूंकि ट्रॉपिकल चक्रवात एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकते हैं, ऐसे में एक समय में एक से अधिक चक्रवात हो सकते हैं. इस प्रकार तूफानों को नाम दिए गए हैं ताकि पूर्वानुमान करते समय भ्रम की स्थिति से बचा जा सके. सामान्य तौर पर, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का क्षेत्रीय स्तर पर नियमों के अनुसार ही नाम दिया जाता है. हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम एल्फाबेटिकली और महिलाओं और पुरुषों के नाम पर होते हैं.
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ऐसे तय किये जाते है तुफानों के नाम
उत्तरी हिंद महासागर में राष्ट्रों ने 2000 में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नामकरण के लिए एक नई प्रणाली का उपयोग करना शुरू किया; ये नाम एल्फाबेट और तटस्थ लिंग के हिसाब से देश के अनुसार सूचीबद्ध हैं. सामान्य नियम यह है कि नाम सूची एक विशिष्ट क्षेत्र के WMO सदस्यों के राष्ट्रीय मौसम विज्ञान और जल विज्ञान सेवाओं (NMHS) द्वारा प्रस्तावित की जाती है, और संबंधित उष्णकटिबंधीय चक्रवात क्षेत्रीय निकायों द्वारा उनके सालाना और दो साल में होने वाले सत्रों में अप्रूव की जाती है. WMO/संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया और प्रशांत (WMO/ESCAP) पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन (PTC) में 13 देशों के सदस्य हैं. इनमें भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन जो चक्रवात का नाम तय करते हैं.
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आठ सदस्यों वाले पैनल ने 2004 में 64 नामों की एक लिस्ट फाइनल की थी. पिछले साल भारत में कहर बरपाने वाले चक्रवात के लिए अम्फान नाम उस सूची में अंतिम नाम था. WMO/ESCAP समिति ने 2018 में पांच और देशों को शामिल करने के लिए सदस्यों की सूची का विस्तार किया. पिछले साल, एक नई सूची जारी की गई थी जिसमें चक्रवातों के 169 नाम हैं, 13 देशों के 13 सुझावों का संकलन है.
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