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जाकिर नाईक की 5 संपत्तियों को जब्त करेगी एनआईए, विशेष कोर्ट का आदेश

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने विवादित धर्म उपदेशक जाकिर नाईक की मुंबई में 5 संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया है.

Updated on: 12 Oct 2018, 06:54 PM

मुंबई:

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने विवादित धर्म उपदेशक जाकिर नाईक की मुंबई में 5 संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया है. गैरकानूनी गतिविधियों को लेकर प्रतिबंधित जाकिर के संगठन (एनजीओ) इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन से जुड़े मामले में कोर्ट ने यह आदेश दिया है. जाकिर नाईक की यह संपत्तियां मुंबई के मजगांव में है. नाईक को कोर्ट ने जून 2017 में ही अपराधी घोषित किया था. बता दें कि जाकिर नाईक अभी मलेशिया में रह रहा है.

एनआईए ने कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए 52 वर्षीय नाईक की मुंबई स्थित दो फ्लैट और एक व्यवसायिक ठिकानों को जब्त पहले ही कर चुका है. जांच एजेंसी ने कोर्ट से चार और संपत्तियों को जब्त करने का आवेदन किया था. जिसे कोर्ट से मंजूरी मिल गई.

एनआईए ने विशेष अदालत में दलील दी थी कि जाकिर नाईक विदेशों में रहकर अपनी संपत्तियों को बेचने की कोशिश कर रहा था क्योंकि उसके खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद विभिन्न जगहों से उसे फंडिंग मिलनी बंद हो गई थी.

एनआईए के वकील ने कहा कि जाकिर नाईक कई देशों की नागरिकता हासिल करने की कोशिश कर रहा है इसलिए मजगांव की संपत्ति को बेचकर पैसा जुटाने की कोशिश कर रहा है.

भारत सरकार ने नाईक व उसके संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को 5 साल के लिए प्रतिबंधित किया है और इसे गैरकानूनी संगठन घोषित किया है। नाईक पर अपने भड़काऊ भाषण के जरिए नफरत फैलाने, समुदायों में दुश्मनी को बढ़ावा देने और आतंकवाद का वित्तपोषण करने का आरोप है।

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जाकिर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के मामले में एनआईए जांच कर रही है। नाईक ने जुलाई 2016 में तब भारत छोड़ा था जब बांग्लादेश में मौजूद आतंकियों ने दावा किया था कि वे जाकिर के भाषणों से प्रेरित हो रहे हैं।

एनआईए ने मुंबई ब्रांच में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत जाकिर के खिलाफ 18 नवंबर, 2016 को केस दर्ज किया था। नाइक के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज है।

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जाकिर पर IRF की धारा 10 UA (P) और IPC की 120B, 153A, 295A, 298 और 505(2) धाराएं लगाई गईं हैं। जांच में यह पाया गया था कि जाकिर नाइक अपने भाषणों से विभिन्न समुदायों के बीच नफरत पैदा कर रहा था।