मोदी सरकार नागरिकता कानून के बाद रोहिंग्या शरणार्थियों को करेगी बाहर
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जम्मू और सांबा जिलों में 13700 से अधिक रोहिंग्या मुसलमान और बांग्लादेशी नागरिक बसे हुए हैं.
highlights
- जम्मू के कई इलाकों में बड़ी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं.
- 2008 से 2016 के बीच में उनकी आबादी 6000 से अधिक पहुंची.
- जम्मू में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की सूची तैयार की जा रही है.
नई दिल्ली:
देश भर में नागरिकता संशोधन कानून पर मची रार के बीच केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने साफ कर दिया कि है कि मोदी सरकार का अगला कदम रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन के संबंध में होगा, ताकि वे नागरिकता कानून के तहत अपने आप को सुरक्षित न कर सकें. इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि जिस दिन संसद में नागरिकता कानून पास हुआ था उसी दिन यह कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू हो गया था. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि रोहिंग्या शरणार्थी पश्चिम बंगाल के कई इलाकों से होते हुए जम्मू के उत्तरी इलाकों में आकर बस गए हैं.
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जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों की सूची तैयार
केंद्रीय मंत्री ने रोहिंग्या मुसलमानों की अवैध बसाहट की जांच कराने की मांग को लेकर कहा कि इस कानून को लेकर कोई अगर-मगर जैसी बात नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का अगला कदम रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन को लेकर रहेगा. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने आए अधिकारियों से बातचीत के आधार पर कहा कि जम्मू के कई इलाकों में बड़ी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं. रोहिंग्या शरणार्थियों पर केंद्र में मामला विचाराधीन है. जम्मू में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की सूची तैयार की जा रही है. अगर जरूरत हुई तो बॉयोमेट्रिक पहचान पत्र दिए जाएंगे, क्योंकि सीएए रोहिंग्या को किसी भी तरह का कोई भी लाभ प्रदान नहीं करता.
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13700 से अधिक रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी उन 6 धार्मिक अल्पसंख्यकों (जिन्हें नए कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी) से संबंधित नहीं हैं. और न ही उन 3 (पड़ोसी) देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में से किसी से संबंधित हैं. उन्होंने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार से यहां आए हैं, इसलिए उन्हें वापस जाना होगा. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जम्मू और सांबा जिलों में 13700 से अधिक रोहिंग्या मुसलमान और बांग्लादेशी नागरिक बसे हुए हैं. साल 2008 से 2016 के बीच में उनकी आबादी 6000 से अधिक हो गई है.
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