मोदी सरकार पहले भी झुकी थी किसानों के सामने, लिया था भूमि अधिग्रहण अध्यादेश वापस
मोदी सरकार की सत्ता में आने के कुछ महीने बाद ही केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाने को लेकर बात कही थी. इस अध्यादेश में सही मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार जैसी बातें शामिल थीं.
highlights
- दबाव बढ़ने पर सरकार को यह कानून वापस लेना पड़ा था
- किसान यूनियन ने इस मांग को मानने के लिए बढ़ाया था सरकार पर दबाव
- अध्यादेश में सही मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार जैसी बातें शामिल थीं
नई दिल्ली:
ऐसा पहली बार नहीं है कि मोदी सरकार को कृषि कानून को लेकर किसानों के सामने पहली बार झुकना पड़ा है. इससे पहले केंद्र सरकार को भूमि अधिग्रहण कानून के मामले में भी झुकना पड़ा था और दबाव बढ़ने पर सरकार को यह कानून वापस लेना पड़ा था. उस दौरान भी किसान यूनियन ने इस मांग को मानने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ा दिया था जिसके बाद भारी विरोध के चलते यह अध्यादेश वापस लेना पड़ा था. इस अध्यादेश को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा था कि भूमि अधिग्रहण विधेयक वापस लिया जा रहा है.
यह भी पढ़ें : किसान आंदोलन वापस नहीं होगा, सरकार अन्य मुद्दों पर भी बात करेः टिकैत
नए अध्यादेश आते ही होने लगा था विरोध
केंद्र ने 2014 में नए कानून में थोड़े बदलाव की बात की थी. इस अध्यादेश में एक संशोधन ये था कि जमीन के अधिग्रहण और पुनर्वास के मामलों में सरकार ऐसे भूमि अधिग्रहण पर विचार नहीं करेगी जो या तो निजी परियोजनाओं के लिए निजी कंपनियां करना चाहेंगी या फिर जिनमें सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए बहु-फसली जमीन लेनी पड़े. संशोधन में पुनर्वास पैकेज की भी बात थी. इस कानून के तहत सरकार और निजी कंपनियों के साझा प्रोजेक्ट में 80 फीसदी जमीन मालिकों की सहमति चाहिए होती थी. बाद में इस कानून को लेकर किसानों के बीच जबरदस्त विरोध होने लगा. किसानों से भी ज्यादा विपक्षी दल इस अध्यादेश के खिलाफ खड़े हो गए. केंद्र सरकार ने संशोधित भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर चार बार अध्यादेश जारी किए थे, लेकिन वह संसद से बिल को मंजूरी नहीं दिला पाई. बाद में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक वापस लिया जा रहा है.
क्या था भूमि अधिग्रहण अध्यादेश
मोदी सरकार की सत्ता में आने के कुछ महीने बाद ही केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाने को लेकर बात कही थी. इस अध्यादेश में सही मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार जैसी बातें शामिल थीं, साथ ही पुर्नवास और पुर्नस्थापन का भी जिक्र था. नए कानून में किसानों की सहमति का प्रावधान समाप्त कर दिया था. देश में पहली बार भूमि अधिग्रहण बिल 1894 में आया था. यह कानून अंग्रेजों ने बनाया था.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Guru Gochar 2024 Kuber Yog: कल इन राशियों में बनने जा रहा है कुबेर योग, अचानक मिलेगा छप्पड़फाड़ धन
-
Love Rashifal 30 April 2024: इन राशियों की लव लाइफ में आएगी बड़ी परेशानी, जानें अपनी राशि का हाल
-
Aaj Ka Panchang 30 April 2024: क्या है 30 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
May Vehicle Purchase Muhurat: मई 2024 में खरीदना चाहते हैं वाहन? तो पहले जान लीजिए शुभ मुहूर्त