मालेगांव ब्लास्ट केस : कर्नल पुरोहित को राहत देने से बॉम्बे हाई कोर्ट ने किया इंकार
मालेगांव ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को राहत देने से इंकार कर दिया और निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इंकार कर दिया.
मुंबई:
मालेगांव ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को राहत देने से इंकार कर दिया और निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने मामले को अगले दो हफ्तों के लिए स्थगित कर दिया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ट्रायल पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था और कहा था कि यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित है इसलिए हम मामले में दखल नहीं देंगे.
बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने 30 अक्टूबर को इस मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ आतंक फैलाने के मामले में आरोप तय किए थे.
मामले में 12 मुख्य आरोपियों में से, 7 के खिलाफ कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत आरोप तय किए गए थे. पुरोहित और ठाकुर के अलावा, 5 अन्य आरोपी पूर्व मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी और सुधाकर चतुर्वेदी हैं.
सभी 7 आरोपियों की उपस्थिति में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के विशेष न्यायाधीश विनोद पाडेलकर ने आतंक फैलाने, आपराधिक साजिश रचने और हत्या के लिए यूएपीए और आईपीसी के तहत आरोप तय किए थे.
अक्टूबर महीने की शुरुआत में विशेष न्यायाधीश पाडेलकर ने आरोपियों द्वारा खुद के विरुद्ध यूएपीए प्रावधानों को लगाए जाने का विरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन पुरोहित ने इस आदेश के विरुद्ध बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति ए एस गडकरी ने भी पुरोहित को किसी भी तरह की राहत देने से इंकार कर दिया था.
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न्यायाधीशों ने कहा था कि वे आरोपियों के खिलाफ आतंक के आरोप तय करने के मामले में रोक लगाने के पक्ष में नहीं हैं. न्यायालय ने हालांकि आरोपी की विशेष एनआईए अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई 21 नवंबर को मुकर्रर कर दी थी.
29 सितंबर, 2008 को, नासिक जिले के मुस्लिम बहुल मालेगांव में एक मस्जिद के बाहर मोटरसाइकिल में रखे गए बम विस्फोट में कम से कम 6 लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
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मामले में महाराष्ट्र आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) ने मामले में लगभग 12 लोगों को गिरफ्तार किया था और 2011 की शुरुआत में मामले को एनआईए को सुपूर्द कर दिया गया था.
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