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जानें पूर्व CJI रंजन गोगोई के बारे में जो आज ले रहे हैं राज्‍यसभा की सदस्‍यता

न्यायमूर्ति गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण की थी. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi - Chief Justice of India) बीते साल 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त हुए हैं.

Updated on: 19 Mar 2020, 11:00 AM

नई दिल्‍ली:

न्यायमूर्ति गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण की थी. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi - Chief Justice of India) बीते साल 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त हुए हैं. 15 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्य का आखिरी दिन था. गोगोई पूर्वोत्तर के पहले व्यक्ति बने जिन्हें भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया. वहीं जस्‍टिस रंजन गोगोई आज गुरुवार को राज्‍यसभा की सदस्‍यता ले रहे हैं. भारत के प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद ने उन्‍हें राज्‍यसभा के लिए मनोनीत किया था.

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मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई

  • सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले पर फ़ैसला देने वाली पांच जजों की संविधान पीठ की अध्यक्षता की.
  • असम के डिब्रूगढ़ से हैं. इनके पिता केशब चंद्र गोगोई दो महीने के लिए असम के मुख्यमंत्री रहे थे.
  • दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और लॉ की डिग्री लेने के बाद गुवाहाटी हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की. करीब 22 सालों तक उन्होंने संविधान से जुड़े मामलों, टैक्सेशन और कंपनी लॉ से जुड़े मामलों की प्रैक्टिस की.
  • 22 फरवरी 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट के परमानेंट जज बनाए गए.
  • सितंबर 2010 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट आए जज के पद पर.
  • 2011 में वहां के चीफ जस्टिस बनाए गए.
  • अप्रैल 2012 में जस्टिस गोगोई को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया.
  • अक्टूबर 2018- दीपक मिश्रा के बाद भारत के चीफ जस्टिस बने.

इन ऐतिहासिक फैसलों के लिए याद किए जाते हैं गोगोई

एनआरसी और जस्टिस गोगोई
गोगोई ने उस बेंच का नेतृत्व किया, जिसने यह सुनिश्चित किया कि असम में एनआरसी की प्रक्रिया निर्धारित समय सीमा में पूरी हो जाए. अक्टूबर 2013 से अक्टूबर 2019 तक गोगोई ने एनआरसी से संबंधित कई मामलों की सुनवाई की थी. उनके जरिए उन्होंने एक खाका तैयार किया जिससे राज्य में “विदेशी” समझे जाने वालों की शिनाख्त हो सके और उन्हें वापस भेजा जा सके. पब्लिक फोरम में आकर उन्होंने एनआरसी की प्रक्रिया का बचाव करते हुए उसे सही बताया था. वह एनआरसी को लेकर काफ़ी मुखर भी रहे हैं. एक सेमिनार में उन्होंने इसे 'भविष्य का दस्तावेज' बताया था. जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली इस बेंच ने ये सुनिश्चित किया कि एनआरसी की प्रक्रिया तय समय में ठीक तरह से पूरी हो.

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अयोध्या मामला

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली 5 सदस्यीय बेंच ने फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया. शीर्ष कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने और मुस्लिम पक्षकार (सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है. इसके साथ ही भारत में दो धर्म-समुदायों के बीच वर्षों से चल रहे ज़मीन के मालिकाना हक़ की क़ानूनी लड़ाई ख़त्म हो गई. जस्टिस गोगोई ने ये फ़ैसला पिछले साल अपने रिटायर होने से ठीक तीन दिन पहले सुनाया था.

सुनवाई के दौरान गोगोई ने कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो मैं खुद कश्मीर जाऊंगा

बीते साल अगस्त में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने और जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट, टेलीफ़ोन, संचार और अन्य पाबंदियों के ख़िलाफ़ विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. तब सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने था कहा कि 'कृपया समझने की कोशिश करें, यह एक बड़ी ज़िम्मेदारी है. सुनवाई के क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर में सामान्य हालात बहाल करने के लिए कहा. तब चीफ़ जस्टिस गोगोई ने यह भी कहा था कि अगर ज़रूरत पड़ी तो वो ख़ुद जम्मू-कश्मीर जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि राष्ट्र हित में स्कूल, अस्पताल और जन परिवहन को सुचारू रूप से काम करना चाहिए.

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सबरीमाला मामले को बड़ी बेंच को भेजा था

तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को लेकर दाखिल की गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इसे 7 जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर, 2018 के अपने फ़ैसले में सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश का हक़ दिया था. इस फ़ैसले की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में 60 पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं थी. इन याचिकाओं पर सुनवाई और फ़ैसले की समीक्षा के लिए तीन जजों की जो बेंच बनी थी, जस्टिस गोगोई उस बेंच के प्रमुख थे. तब जस्टिस गोगोई की बेंच ने इस मामले को सात जजों की बेंच के पास भेज दिया था ताकि फ़ैसले से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी ग़ौर किया जा सके. पुनर्विचार याचिका पर फैसला देते हुए तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि याचिकाकर्ता इस बहस को फिर से शुरू करना चाहता है कि धर्म का अभिन्न अंग क्या है? जस्टिस गोगोई ने यह भी कहा कि धार्मिक प्रथाओं को सार्वजनिक आदेश, नैतिकता और भाग 3 के अन्य प्रावधानों के खिलाफ नहीं होना चाहिए. सबरीमाला पुनर्विचार याचिका में 5 जजों की में से जस्टिस रंजन गोगोई जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस खानविलकर ने बहुमत में फैसला दिया था, जबकि जस्टिस फली नरीमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अलग से इस निर्णय के खिलाफ अपना फैसला दिया था. सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी गई थी.

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ट्रिपल तलाक पर अध्यादेश

मोदी सरकार ट्रिपल तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिए एक अध्यादेश लेकर आई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. लेकिन चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया था. इससे पहले, साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक़ को अवैध करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार मुस्लिम महिलाएं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2017 लेकर आई थी. ये विधेयक लोकसभा में तो पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में अटक गया. तब विपक्ष ने तीन तलाक पर कुछ संशोधनों की मांग की थी जिस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सहमति नहीं बन पाई थी. इसके बाद सरकार अध्यादेश लाई, जिसे चुनौती देने वाले सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं पाए.

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राफेल मामले पर फैसला

राफेल डील की जांच के लिए दाखिल रिव्यू पिटिशन को तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने खारिज कर दिया था. केंद्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए जस्टिस गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने सरकार को क्लीन चिट दी. संविधान पीठ ने कहा कि मामले की अलग से जांच करने की कोई आवश्वयकता नहीं है. सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार की दलीलों को तर्कसंगत और पर्याप्त बताते हुए मानते हुए कहा था कि केस के मेरिट को देखते हुए फिर से जांच के आदेश देने की जरूरत नहीं है. शीर्ष अदालत ने14 दिसंबर 2018 को राफेल खरीद प्रक्रिया और इंडियन ऑफसेट पार्टनर के चुनाव में सरकार द्वारा भारतीय कंपनी को फेवर किए जाने के आरोपों की जांच की गुहार लगाने वाली तमाम याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

'चौकीदार चोर है' पर फैसला

राफेल डील की जांच की मांग वाली रिव्यू पिटिशन खारिज करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चौकीदार चोर है वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान पर उन्हें नसीहत दी थी. कोर्ट ने राहुल गांधी की माफी को स्वीकार करते हुए अवमानना याचिका तो खारिज कर दी थी, पर यह भी कहा था कि वह भविष्य में ऐसी बयानबाजी से बचें. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और जाने-माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायालय का आभार जताया था. उन्होंने कहा कि कई बार हमारी जुबान से ऐसे शब्द फिसल जाते हैं, लेकिन उद्देश्य अवमानना का नहीं होता. बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने राहुल गांधी के चौकीदार चोर है बयान को सुप्रीम कोर्ट से जोड़ने पर अवमानना याचिका दाखिल की थी.

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दरअसल, राफेल मामले में मोदी सरकार पर हमला करने के लिए राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर टिप्पणी की थी. सारा विवाद इसी पर था। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए लंबित इस मामले पर 10 मई को सुनवाई पूरी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, मिस्टर राहुल गांधी को भविष्य में संभलकर बोलने की जरूरत है.

चीफ जस्टिस का ऑफिस RTI का दायरे में

तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का ऑफिस भी कुछ शर्तों के साथ सूचना के अधिकार कानून (RTI) के दायरे लाने का फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि सीजेआई का ऑफिस भी पब्लिक अथॉरिटी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी जज RTI के दायरे में आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह से साल 2010 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पारदर्शिता के मद्देनजर न्यायिक स्वतंत्रता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने यह फैसला सुनाया था.

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  • मई 2016- न्यायाधीश रंजन गोगोई और प्रफुल्ली सी. पंत की बेंच ने अमिताभ बच्चन से जुड़े बॉम्बे हाई कोर्ट के 2012 के आदेश को ख़ारिज कर दिया था. दरअसल बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने आदेश में अमिताभ बच्चन के एक लोकप्रिय टीवी शो से हो रही आय को लेकर दोबारा आयकर के मानकों को तय करने के इनकम टैक्स कमिश्नर के अधिकार को ख़ारिज कर दिया था. इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया.

काटजू को होना पड़ा था शीर्ष अदालत में पेश

जस्टिस गोगोई उन जजों में शामिल थे जिनकी खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पूर्व जज जस्टिस मार्कन्डेय काटजू के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था और कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था. उस खंडपीठ में जस्टिस पीसी पंत और जस्टिस यूयू ललित भी थे. दरअसल जस्टिस काटजू ने अपने एक ब्लॉग में केरल के सौम्या हत्याकांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना की थी. फरवरी 2011 को केरल में 23 साल की सौम्या के साथ रेप हुआ था. त्रिशूर स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट ने केस में आरोपी गोविंदास्‍वामी को सजा-ए मौत सुनाई थी. केरल हाईकोर्ट ने उस सजा को बहाल रखा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि गोविंदास्वामी का इरादा सौम्या की हत्या का नहीं था. जस्टिस काटजू ने इसकी आलोचना की थी.

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जस्टिस रंजन गोगोई उन सात जजों में भी शामिल थे जिन्होंने पिछले साल कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन को अवमानना मामले में छह महीने की सजा सुनाई थी. दरअसल, जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट के कई जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमाना का केस शुरु किया था.

जस्टिस गोगोई उन जजों में भी शामिल थे जिन्होंने देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर मोर्चा खोला था. इन जजों में जस्टिस (रिटायर्ड) जे चेलमेश्वर, जस्टिस एम बी लोकुर, जस्टिस कूरियन जोसेफ भी शामिल थे. इन चारों जजों ने मिलकर चीफ जस्टिस पर केस आवंटन में भेदभाव करने का आरोप लगाया था और लोकतंत्र को खतरे में बताया था.

साल 2018: कन्हैया विवाद- गोगोई ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रसंध नेता कन्हैया कुमार पर हुए हमले में विशेष जांच टीम बनाने की याचिका को ख़ारिज कर दिया था. ये याचिका वरिष्ठ वक़ील कामिनी जैसवाल ने दायर की थी. कन्हैया कुमार पर यह हमला 15 और 17 फ़रवरी 2016 को हुआ था जब उन्हें देशद्रोह के मामले में अदालत में लाया जा रहा था.

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2018 में इनके द्वारा दिए गए ऑर्डर ने लोकपाल एक्ट में किसी भी तरह की तकनीकी कमी के न होने की बात कही, और सरकार के लोकपाल को लेकर ढुलमुल रवैये पर नाराज़गी जाहिर की. कहा कि जब चार साल पहले लोकपाल एक्ट पास हो चुका है, तो अभी तक लोकपाल की नियुक्ति क्यों नहीं हुई है.

सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी

चीफ जस्टिस के तौर पर रंजन गोगोई और पी. सी. घोष की पीठ ने सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीर लगाने पर पाबंदी लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से सरकारी विज्ञापन में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस, संबंधित विभाग के केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संबंधित विभाग के मंत्री के अलावा किसी भी नेता की सरकारी विज्ञापन पर तस्वीर प्रकाशित करने पर पाबंदी है.

अंग्रेजी और हिंदी समेत 7 भाषाओं में फैसला

अंग्रेजी और हिंदी समेत 7 भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को प्रकाशित करने का फैसला चीफ जस्टिस रहते हुए रंजन गोगोई ने ही लिया था. इससे पहले तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले सिर्फ अंग्रेजी में ही प्रकाशित होते थे.

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पारदर्शी न्यायाधीश
रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट में बैठे 25 न्यायाधीशों में से उन ग्यारह न्यायाधीशों में शामिल रहे जिन्होंने अदालत की वेबसाइट पर अपनी संपत्ति का सार्वजनिक विवरण दिया. गोगोई छोटे-छोटे मसलों पर दायर होने वाली जनहित याचिकाओं को स्वीकार न करने के लिए भी जाने जाते हैं. कई मौकों पर उन्होंने याचिकाकर्ताओं पर ऐसी याचिकाएं दायर करने और अदालत का समय बर्बाद करने के लिए भारी जुर्माना भी लगाया है.

गोगोई के आदेश से हुई थी लोकायुक्त की नियुक्ति
जस्टिस गोगोई का 16 दिसंबर 2015 को दिया गया एक आदेश उन्हें इतिहास में खास मुकाम पर दर्ज कराता है. देश में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के जरिए किसी राज्य का लोकायुक्त नियुक्त किया था. जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेवानिवृत न्यायाधीश जस्टिस वीरेन्द्र सिंह को उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त नियुक्त करने का आदेश जारी किया था. न्‍यायमूर्ति गोगोई ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि सर्वोच्च अदालत के आदेश का पालन करने में संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का नाकाम रहना बेहद अफसोसजनक और आश्चर्यचकित करने वाला है. कोर्ट को लोकायुक्त की नियुक्ति का स्वयं आदेश इसलिए देना पड़ा था क्योंकि कोर्ट के बार बार आदेश देने के बावजूद लोकायुक्त की नियुक्ति पर प्रदेश के मुख्यमंत्री, नेता विपक्ष और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश में सहमति नहीं बन पाई थी.