लोकसभा में जयशंकर बोले, विदेश नीति पर दुनिया को 'ज्ञान' देने की आवश्यकता नहीं
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को प्रभावी ढंग से देखना चाहिए और विदेश नीति पर दुनिया को ज्ञान देने की चिंता से बचना चाहिए.
highlights
- भारत के सामने अड़चनें खड़ी करने वाले चीन पर निशाना साधा
- कहा, एनएसजी के लिए भारत की सदस्या को लेकर कुछ देशों की वाजिब चिंताएं हैं
नई दिल्ली:
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि विदेश नीति पर दुनिया को ज्ञान देने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी कूटनीति को लेकर बहुत केंद्रीत है. जयशंकर ने कहा कि भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को प्रभावी ढंग से देखना चाहिए और विदेश नीति पर दुनिया को ज्ञान देने की चिंता से बचना चाहिए. लोकसभा में बुधवार को जन विनाश और उनकी वितरण प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) संशोधन विधेयक, 2022 पर बहस हुई. इस दौरान मंत्री ने कहा, मौजूदा कानून में कुछ मिसिंग है, जिसे ठीक करने की आवश्यकता है.
उन्होंने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) की सदस्यता पाने में भारत के सामने अड़चनें खड़ी करने वाले चीन पर निशाना साधा. लोकसभा में जयशंकर ने कहा कि एनएसजी के लिए भारत की सदस्या को लेकर कुछ देशों की वाजिब चिंताएं हैं, लेकिन कुछ देश ऐसे हैं, जिनका अपना एजेंडा है और वो हमारे रास्ते की रुकावट बन रहे हैं. लोकसभा में मास डिस्ट्रक्शन एंड देयर डिलीवरी सिस्टम (प्रोहिबिशन ऑफ अनलाफुल एक्टिविटीज) अमेंडमेंट बिल पर चर्चा करते हुए बुधवार को विदेश मंत्री ने कहा कि किसी भी देश को एनएसजी का सदस्य बनने के लिए आम सहमति की जरूरत होती है.
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आप में से बहुत से लोग जानते हैं कि हमारे मामले में यह आम सहमति क्यों नहीं बन पा रही है. कुछ ऐसे देश हैं, जिनकी चिंताएं जायज हैं और वो इस पर बातचीत करना चाहते हैं. लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं, जो अपने अलग एजेंडे पर काम कर रहे हैं. इस आम सहमति की राह में रोड़े अटका रहे हैं.
गौरतलब है कि एनएसजी दुनिया में परमाणु सामग्री और उससे जुड़ी तकनीक का व्यापार करने वाले देशों का बड़ा संगठन है. यह परमाणु हथियारों का अप्रसार रोकने की जिम्मेदारी भी निभाता है. इसके 48 सदस्य हैं. भारत इस संगठन में शामिल होने को लेकर लंबे समय से प्रयास कर रहा है. किसी भी नए मेंबर की इस न्यूक्लियर क्लब में एंट्री के लिए सदस्य देशों में आम सहमति की जरूरत होती है लेकिन चीन भारत का कड़ा विरोध करता रहा है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने बुधवार को लोकसभा में इसका जिक्र करते हुए कहा कि हम इस पर काम कर रहे हैं. 2014 के बाद की हमारी स्थिति में काफी सुधार आया है. हम मिसाइल तकनीक कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर), वासेनार ग्रुप और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप के सदस्य हैं. इससे दुनिया में हथियारों की दौड़ रोकने, निरस्त्रीकरण और प्रसार व्यवस्था व प्रयासों में हमारा योगदान काफी ज्यादा हो गया है.
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