China को फिर जयशंकर ने दिखाया आईना... समझौतों का सम्मान करने में विफलता से LAC पर तनाव
उन्होंने कहा, 'हमारे बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को एकतरफा नहीं बदलने का समझौता था, जिसे बदलने की चीन ने एकतरफा कोशिश की है.'
highlights
- सीमा शांति के द्विपक्षीय समझौतों का पालन करने में चीन रहा विफल
- विएना में विदेश मंत्री जयशंकर ने फिर बीजिंग को ठहराया जिम्मेदार
- पाकिस्तान को भी कूटनीतिक भाषा में दिया बेहद कड़ा संदेश
नई दिल्ली:
पूर्वी लद्दाख (Galwan Clash) में 2020 में चीन-भारत के जवानों के बीच हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है. हाल ही अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के तवांग में हुए संघर्ष ने इसे और बढ़ाने का काम किया है. चीन (China) के इस आक्रामक रवैये को भारत ने परस्पर द्विपक्षीय संबंधों में आई खाई के लिए जिम्मेदार बताया है. इस कड़ी में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने फिर दोहराया है कि सीमा शांति के लिए द्विपक्षीय समझौतों का पालन करने में चीन की विफलता से ही हालिया तनावपूर्ण स्थिति बरकरार है. विएना में एस जयशंकर ने बेलौस अंदाज में कहा, 'तनाव की मूल वजह यही है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश में है'. भारतीय विदेश मंत्री ने यह बात ऑस्ट्रिया के नेशनल ब्रॉडकास्टर ओआरएफ को दिए एक इंटरव्यू में कही.
एलएसी पर सैनिक जमावड़ा न होने के समझौते का उल्लंघन किया चीन ने
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत का चीन के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों का भारी जमावड़ा नहीं करने का द्विपक्षीय समझौता है. उन्होंने कहा, 'हमारे बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को एकतरफा नहीं बदलने का समझौता था, जिसे बदलने की चीन ने एकतरफा कोशिश की है.' इस पर इंटरव्यू ले रहे शख्स ने उलटा प्रश्न दागा कि अगर चीन भी यही कहता है कि भारत ने समझौतों का पालन नहीं किया तो... इस सवाल का जवाब देते हुए एस जयशंकर ने कहा कि बीजिंग के लिए यह कहना मुश्किल है, क्योंकि भारत का 'रिकॉर्ड बहुत साफ है.' इस बात को विस्तार देते हुए विदेश मंत्री ने कहा, 'आज सैटेलाइट तस्वीरों ने काफी पारदर्शिता ला दी है. यदि हम देखे कि सबसे पहले सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिक जमावड़ा किसने किया, तो मुझे लगता है कि हमारा रिकॉर्ड बहुत साफ है. ऐसे में चीन के लिए ऐसा कहना बहुत मुश्किल है.'
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भारत-चीन के बीच 17 दौर की बातचीत के बाद भी गतिरोध बरकरार
गौरतलब है कि बीते साल भी भारतीय और चीनी सैनिक 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में एलएसी के पास भिड़ गए थे. दोनों ही पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं. जून 2020 में गलवान घाटी के हिंसक संघर्ष के बाद भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच यह पहली बड़ी झड़प है. ये हिंसक झड़पें दशकों बाद सामने आईं. भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि सीमा पर शांति और शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए अनिवार्य है. भारत-चीन सीमा पर जारी गतिरोध दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक 17 दौर की वार्ता हो चुकी है. चीन के अलावा पाकिस्तान का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका के लिए 'आतंकवाद का केंद्र' की तुलना में कहीं और 'कठोर शब्दों' का उपयोग भी किया जा सकता है.
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