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उत्तराखंड से लगी चीन की सीमा पर भारत का डिफेंस विलेज होगा आबाद, रक्षा मंत्री ने प्लान को दी हरी झंडी 

चीन से लगे उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में आबादी को बसाने, डिफेंस विलेज की परिकल्पना को साकार करने और अपनी सीमाओं को मजबूत एवं सुरक्षित करने के लिए इंडियन आर्मी ने एडवेंचर टूरिज्म के यूनिक कांसेप्ट को लॉन्च किया है.

Updated on: 14 Jan 2023, 02:15 PM

नई दिल्ली:

चीन से लगे उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में आबादी को बसाने, डिफेंस विलेज की परिकल्पना को साकार करने और अपनी सीमाओं को मजबूत एवं सुरक्षित करने के लिए इंडियन आर्मी ने एडवेंचर टूरिज्म के यूनिक कांसेप्ट को लॉन्च किया है. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देहरादून में इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखाई है. CLAW यानी कोंकर लैंड एयर वाटर ग्लोबल के बैनर तले इस प्रोजेक्ट में आर्मी के स्पेशल फोर्सेज के वेटरन्स हैं, जो एडवेंचर टूरिज्म में दिलचस्पी लेने वाले युवाओं के बीच हिमालय की ऊंचाई पर नए चैलेंज को फतह करने का जोश देंगे.

सोल ऑफ स्टील चैलेंज नामक इस एड्वंचर टूरिज्म के जरिए हिमालय के हाई एल्टीट्यूड पर आर्मी एक इको सिस्टम को डेवलप करना चाहती है, ताकि लोकल पॉपुलेशन जो इस दुरूह इलाके को जन सुविधा और आर्थिक तंगी के कारण छोड़कर जा चुका है, वह पुनः वापस आए. इन इलाकों से माइग्रेशन भारतीय सेना के सामने एक बड़ी चुनौती है, जिसे समय-समय पर आर्मी चीफ, सीडीएस और रक्षा मंत्री भी रेखांकित करते रहे हैं.

अगर लोकल पॉपुलेशन की वापसी होगी तो चीन से लगी भारत की सीमा पर सर्विलेंस और आर्मी के साथ बेहतर तालमेल के जरिए बॉर्डर को गार्ड करना आसान होगा. तवांग सेक्टर के उस पार तिब्बत के इलाके में जिस तरह चीनी सेना ने डिफेंस विलेज बनाए हैं, उसी तरह उत्तराखंड से लगी सीमा पर भी चीन भारी पैमाने पर डिफेंस विलेज बना रहा है. औली और जोशीमठ से लगे बाराहोती में भारत-चीन सीमा विवाद है, जहां चीन घुसपैठ का प्रयास करता रहता है.

युद्ध की स्थिति में ये डिफेंस विलेज सर्विलेंस से लेकर शेल्टर और बंकर तक का काम करते हैं. साथ ही सीमावर्ती इलाकों के लोकल पॉपुलेशन होने के कारण दुश्मन की घुसपैठ और आक्रामकता पर भी लगाम रहता है, क्योंकि गांव की बसावट और उसमें रहने वाले लोग ह्यूमन शील्ड की तरह होते हैं. इंडियन आर्मी और वेटरेंस का यह एडवेंचर टूरिज्म प्रोजेक्ट देसी के साथ-साथ विदेशी सैलानियों के आकर्षक का केंद्र बने, इसके लिए भी प्लान तैयार किया गया है.

जोशीमठ स्थिति आईबेक्स ब्रिगेड जो चीन से भारत की लगी लगभग 250 किमी की सीमा को उत्तराखंड बॉर्डर पर सुरक्षित करती है, उसने यह पूरा प्लान हिम शिखर पर CLAW के साथ मिलकर उतारा है.
लगभग 30 करोड़ की लागत से शुरू किए जा रहे इस एडवेंचर प्रोजेक्ट में 40 दिनों की जंगल और माउंटेन ट्रेनिंग, 30 दिनों की हाई एल्टीट्यूड ट्रेनिंग, इंटरनेशन टीम्स के लिए 15 दिनों का रिफ्रेशर कोर्स और आखिर में 7 दिनों का एडवेंचर चैलेंज शामिल होगा. आर्मी एडवेंचर विंग ने सोल ऑफ स्टील चैलेंज के इस प्रोजेक्ट को कमोवेश उसी तरह से तैयार किया है जैसे यूरोप में लॉन्ग डिस्टेंस आयरनमैन ट्राइथलोन का आयोजन होता है.