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VVPAT से जुड़े मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, SC ने कहा- चुनावी प्रक्रिया में पवित्रता जरूरी

VVPAT: वीवीपीएट से जुड़े मामले की गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें शीर्ष कोर्ट ने चुनाव आयोग से कई सवालों के जवाब मांगे. इस दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि इसमें फेरबदल नहीं किया जा सकता.

Updated on: 18 Apr 2024, 01:34 PM

नई दिल्ली:

VVPAT: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वीवीपीएटी वेरिफिकेशन मामले की सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि चुनाव प्रक्रिया में पवित्रता होनी जरूरी है. साथ ही शीर्ष कोर्ट ने कहा कि किसी को यह नहीं लगना चाहिए कि जो किया जाना चाहिए था, वह नहीं किया गया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी देने को कहा है.

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, "कोर्ट का मानना है कि यह एक चुनावी प्रक्रिया है. इसमें पवित्रता होनी चाहिए. किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि इसके लिए जो जरूरी कदम उठाए जाने थे, वो नहीं उठाए गए."

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इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से भी पूछा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ न हो सके, ये सुनिश्चित करने के लिए आपकी ओर से क्या कदम उठाए गए हैं. इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं की ओर से संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है. साथ ही कहा कि उन्हें अपना रुख साफ करना चाहिए.

इसके बाद चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम से जुड़ी जानकारियां दी. उन्होंने कहा कि, 'ईवीएम प्रणाली में तीन यूनिट होते हैं, बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और तीसरा वीवीपीएटी. बैलेट यूनिट सिंबल को दबाने के लिए है, कंट्रोल यूनिट डेटा का संग्रह करता है और वह वीवीपीएटी सत्यापन के लिए है.

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वीवीपैट से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने केरल के कासरगोड में मॉक वोटिंग के दौरान ईवीएम में पाई गई गड़बड़ी का भी जिक्र किया. उन्होंने कोर्ट में कहा कि मॉक वोटिंग के दौरान 4 ईवीएम और वीवीपीएटी एक अतिरिक्त वोट भाजपा के पक्ष में रिकॉर्ड कर रहे थे. वहीं कोर्ट ने चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह से कहा कि इन आरोपों की जांच करनी चाहिए, देखें कि क्या गड़बड़ी वहां पाई गई है.

एससी ने पूछा कि प्रोग्राम मेमोरी में कोई छेडछाड की जा सकती है क्या? इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि इसे बदला नहीं जा सकता. यह एक फर्मवेयर है. जो सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है. इसे बिल्कुल भी नहीं बदला जा सकता. पहले रैंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव किया जाता है इसके बाद मशीनों को विधानसभा के स्ट्रांग रूम में भेजा जाता है. इसके बाद इसे सभी राजनीतिक दलों की मौजूदगी में लॉक किया जाता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब आप ईवीएम को भेजते हैं तो क्या उम्मीदवारों को टेस्ट चेक करने की अनुमति होती है? इस पर चुनाव आयोग ने बताया कि मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखने से पहले मॉक पोल का आयोजन होता है. वहीं उम्मीदवारों को रैंडम मशीनें लेने और जांच करने के लिए पोल करने की अनुमति होती है.