गुजरात एनकाउंटर केस : SC ने जांच समिति के अध्यक्ष से पूछा, रिपोर्ट को दूसरे सदस्यों से साझा किया या नहीं
गुजरात में 2002 से 2007 के बीच हुए 16 पुलिस एनकाउंटर की जांच को लेकर निगरानी समिति का गठन किया गया था. इन मुठभेड़ों के वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी थे.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के कथित फर्जी एनकाउंटर मामलों की जांच करने वाले शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश से पूछा कि उन्होंने इन मामलों में अंतिम रिपोर्ट अन्य सदस्यों के साथ साझा की थी या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश एचएस बेदी को गुजरात में 2002 से 2006 के बीच मुठभेड़ मामलों की जांच करने वाली निगरानी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को तय की है.
गुजरात में 2002 से 2007 के बीच हुए 16 पुलिस एनकाउंटर की जांच को लेकर निगरानी समिति का गठन किया गया था. इन मुठभेड़ों के वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी थे.
निगरानी समिति ने इस साल फरवरी में एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
गुजरात सरकार ने बुधवार को इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का विरोध किया और कहा कि यह साफ नहीं है कि अंतिम रिपोर्ट में दिए गए विचार जस्टिस बेदी के अकेले हैं या उन्होंने निगरानी समिति के अन्य सदस्यों के साथ साझा किया था.
पीठ ने जस्टिस बेदी से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाए गए सवालों पर बिना देरी किए जवाब देने को कहा है. पीठ ने कहा, 'निगरानी समिति के अध्यक्ष को सुनिश्चित करने दिया जाय कि उन्होंने अंतिम रिपोर्ट को दूसरे सदस्यों से साझा किया था या नहीं.'
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार बी जी वर्गीज और कवि व लेखक जावेद अख्तर के द्वारा 2007 में दाखिल दो जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में मांग की गई थी कि एनकाउंटर की जांच स्वतंत्र एजेंसी या सीबीआई से कराने का निर्देश दिया जाय ताकि सच सामने आ सके. वर्गीज का निधन 30 दिसंबर 2014 में हो गया था.
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बता दें कि गुजरात के सबसे संवेदनशील मामलों में सोहराबुद्दीन अनवर शेख और तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ भी शामिल हैं. इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत 21 दिसंबर को फैसला सुनाएगी. वर्ष 2005-06 के दौरान कथित गैंगस्टर सोहराबुद्दीन और प्रजापति को 'फर्जी मुठभेड़' में मारे जाने और सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी के बलात्कार और हत्या ने देश में बड़े पैमाने पर राजनीतिक भूचाल ला दिया था.
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