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Electoral Bonds Data: इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर EC लाया नया डेटा, SC ने दिए थे आदेश  

राजनीतिक दलों ने SC के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के अनुसार, सीलबंद लिफाफे में चुनावी बॉण्ड से जुड़ा डेटा दाखिल कर दिया था. 

Updated on: 17 Mar 2024, 05:05 PM

नई दिल्ली:

निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने नया डेटा सार्वजनिक कर दिया है. यह डेटा आयोग ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा था. न्यायालय ने बाद में आयोग से यह डेटा सार्वजनिक करने को कहा. ऐसा कहा जा रहा है कि ये जानकारी 12 अप्रैल, 2019 के पहले की है. आयोग ने बीते सप्ताह उपरोक्त तारीख के बाद चुनावी बॉण्ड से जुड़े विवरण को सामने रख दिया था. आयोग ने एक बयान में कहा कि राजनीतिक दलों ने उच्चतम न्यायालय के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के अनुसार, सीलबंद लिफाफे में चुनावी बॉण्ड से जुड़ा डेटा दाखिल कर दिया था. आपको बता दें इलेक्टोरल बॉण्ड सबसे पहले 2017 में सामने लाया गया था।  

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आयोग के अनुसार, “राजनीतिक दलों के बारे में सभी डेटा सीलबंद लिफाफे में उच्चतम न्यायालय में जमा कराया गया था. 15 मार्च, 2024 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए न्यायालय की रजिस्ट्री ने सीलबंद लिफाफे में एक पेन ड्राइव  डिजिटल रिकॉर्ड के साथ भौतिक प्रतियों को वापस कर दिया. आयोग ने आज चुनावी बॉण्ड को लेकर उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री से डिजिटल रूप में प्राप्त डेटा को अपनी वेबसाइट पर शेयर कर दिया है. 

आईटीसी लिमिटेड जैसे बड़े कॉरपोरेट शामिल हैं

चुनावी बॉण्ड के जरिए राजनीतिक दलों को मिला हजारों करोड़ रुपये का कॉरपोरेट चंदा भले ही सुर्खियों में हैं. मगर इनमें 132 बॉण्ड ऐसे हैं, जिसमें हर एक बॉण्ड की कीमत केवल 1000 रुपये है. इन बॉण्ड को खरीदने वालों की फेहरिस्त में निजी शख्स के साथ आईटीसी लिमिटेड जैसे बड़े कॉरपोरेट शामिल हैं.

इन हजार रुपये की कीमत वाले बॉण्ड की मदद से कुल 1.32 लाख रुपये का चंदा एकत्र हुआ. यह राशि जो एकत्र हुई है वह कुल दान का सिर्फ 0.0001 प्रतिशत ही है. चुनाव आयोग के अनुसार, 18,871 बॉण्ड के जरिए कुल 12,155 करोड़ रुपये का चंदा राजनीतिक दलों को सौंपा गया है. दूसरी ओर 12अप्रैल, 2019 में शुरू हुए इलेक्टोरल बॉण्ड के तहत बीते चार सालों में एक करोड़ रुपये मूल्यवर्ग के 11,671 बॉण्ड खरीदे गए. इसके तहत राजनीतिक दलों को दिया चंदा, कुल राशि का 96 प्रतिशत था. एक करोड़ रुपये के सबसे बड़े मूल्यवर्ग वाले बॉण्ड को खरीदने में बड़ी कंपनियां सामने आई हैं. हालांकि कुछ शख्सों ने भी  इन बॉण्ड को खरीदा.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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