मप्र में जीएसटी में फर्जीवाड़े का खुलासा, जांच के घेरे में 1150 करोड़ का लेन-देन
पहली नजर में लगता है कि इस गोरखधंधे के जरिये कुल मिलाकर 183 करोड़ रुपये की कर चोरी की गयी.
नई दिल्ली:
मध्यप्रदेश में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी के लिये महज कागजों पर चलायी जा रहीं 285 फर्जी कारोबारी फर्मों का भंडाफोड़ हुआ है. इन फर्मों का कुल 1,150 करोड़ रुपये का कारोबार जांच के घेरे में है. वाणिज्यिक कर विभाग के संयुक्त आयुक्त सुदीप गुप्ता ने बृहस्पतिवार को 'मीडिया' को बताया, "प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर 29 जुलाई से 31 जुलाई के बीच विशेष अभियान चलाकर 680 संदिग्ध कारोबारी फर्मों के स्थलों का निरीक्षण किया गया. इस दौरान 285 कारोबारी फर्म फर्जी निकलीं. जीएसटी में पंजीकरण के समय इन फर्मों का जो पता दर्ज कराया गया था, वहां किसी भी तरह की कारोबारी गतिविधियां चलती नहीं पायी गयीं."
गुप्ता ने विस्तृत जांच के हवाले से बताया कि इन फर्मों ने खासतौर पर जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट के बेजा लाभ के लिये कागजों पर कुल 1,150 करोड़ रुपये का फर्जी कारोबार दिखाया और जाली बिल जारी किये. उन्होंने कहा, "पहली नजर में लगता है कि इस गोरखधंधे के जरिये कुल मिलाकर 183 करोड़ रुपये की कर चोरी की गयी. हालांकि, हम इसकी तसदीक कर रहे हैं." गुप्ता ने बताया कि जांच के घेरे में आयीं बोगस फर्मों का जीएसटी पंजीयन निरस्त करने के लिये जरूरी प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इन फर्मों के खिलाफ अन्य वैधानिक कदम भी उठाये जायेंगे.
उन्होंने बताया कि जिन बोगस फर्मों ने बड़े पैमाने पर अपना फर्जी कारोबार दिखाया, उनमें बालाघाट की तीन, विदिशा, मुरैना और ग्वालियर की दो-दो तथा भिंड और दमोह की एक-एक फर्म शामिल हैं. गुप्ता ने बताया कि आंकड़ों के बारीकी से विश्लेषण से सूबे में कई "जाली" कारोबारी फर्मों के बारे में भी पता चला है. ये फर्में इनके वास्तविक मालिकों के बजाय अन्य लोगों की पहचान और पते के दस्तावेजों के इस्तेमाल से जीएसटी प्रणाली में पंजीबद्ध करायी गयी थीं, ताकि फर्जीवाड़े के जरिये जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट का बेजा लाभ लिया जा सके. इन फर्मों के खिलाफ भी वाणिज्यिक कर विभाग की सघन जांच जारी है.
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