Digital Payment: देश में तेजी से बढ़ा है डिजिटल पेमेंट, साल 2030 तक GDP में 4.2 फीसदी का योगदान
इस के संबंध में नैसकॉम-एलईडी की रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस(UPI) और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर भारत के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
नई दिल्ली:
Digital Payment: कोविड काल लोगों के लिए कठिनाई और चुनौतीपूर्ण रहा. लाखों लोगों की जिदंगी खत्म हो गईं, हजारों की नौकरियां चली गईं, लेकिन इस दौर में कुछ चीजें तेजी से बढ़ी भी, वह है ऑनलाइन पेमेंट. इस दौर ने लोगों को ऑनलाइन पेमेंट के लिए प्रेरित किया. इसके बाद भारत में तेजी से यूपीआई पेमेंट की बढ़ोतरी हुई. आज देश में ऑनलाइन पेमेंट का क्रेज इतना बढ़ गया है कि लोग सब्जी से लेकर दवा तक इसी मीडियम से खरीद रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर कोई भी सरकारी काम करना हो तो आधार कार्ड का रोल बहुत ही अहम है. वही कहा जा रहा है कि भारत में डिजिटल इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए ये कदम बढ़ाए जा रहे हैं. बता दें इससे देश में क्लाइमेंट चेंज को रोकने में बढ़ी मदद मिलेगी. इससे हम देश में तेजी से बढ़ रहे वायु प्रदूषण को रोकने का काम कर सकते हैं. इसके साथ ही यूपीआई और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर देश की जीडीपी में बड़ा और अहम योगदान दे रहा है.
इस के संबंध में नैसकॉम-एलईडी की रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस(UPI) और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर भारत के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं. इसके जरिए भारत की इकॉनमी साल 2030 तक 8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है. इतना ही नहीं इससे डिजिटल इकॉनमी को भारत में 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी.
साल 2030 तक 4.2 फीसदी का योगदान
कहा जा रहा है कि यूपीआई की सफलता की वजह से भारत में डीपीआई यानी डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पूरे देश के लोगों पर असर डाल रहा है. ये भारत के 130 करोड़ों लोगों पर असर दिखा रहा है जो कुल आबादी का 97 प्रतिशत है. साल 2022 में डीपीआई भारत की ग्रोथ रेट में 0.9 प्रतिशत का योगदान दे दिया है. वहीं आधार बेस्ड डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर(DBT) की वजह से 15.2 बिलियन डॉलर और यूपीआई के जरिए 16.2 बिलियन डॉलर की हिस्सेदारी दी है. नैसकॉम का कहना है कि साल 2030 में डीपीआई भारत की जीडीपी में 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 4.2 फीसदी का योगदान हो जाएगा.
कार्बन उत्सर्जन में कमी
डिजिटल पेंमेंट की वजह से भारत को एक और बड़ा लाभ होगा.इससे देश में वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी. भारत तेजी से नेट जीरो की ओर कदम बढ़ा पाएगा. इसकी वजह से लॉजिस्टिक और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर को भी समय बचाने में हेल्प होगी जिससे कोई समान जल्द पहुंच पाएगा. इसके इस्तेमाल की वजह से देश में कागज की खपत भी कम होगी और देश को करोड़ों का लाभ होगा. इससे अफसरशाही कम होगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में इसकी वजह से 3.2 मिलियन टन कार्बन का निकलना कम हुआ है.
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