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जज लोया मामले में याचिका के पीछे राहुल का हाथ था : बीजेपी

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीश बीएच लोया मामले में दायर याचिका के पीछे का 'अदृश्य हाथ' कांग्रेस और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का था और उन्हें न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।

Updated on: 19 Apr 2018, 07:08 PM

New Delhi:

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीश बीएच लोया मामले में दायर याचिका के पीछे का 'अदृश्य हाथ' कांग्रेस और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का था और उन्हें न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यायाधीश लोया की मौत की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की याचिका को खारिज करने के बाद बीजेपी ने विपक्षी पार्टियों पर जमकर निशाना साधा है।

न्यायाधीश लोया के मौत के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फैसला सुनाने के तुरंत बाद बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, 'याचिका को राजनैतिक एजेंडे के साथ दाखिल किया गया था।'

उन्होंने कहा, 'कुछ समय के लिए, कुछ लोगों ने न्यायपालिका का राजनीतिकरण करने की कोशिश की। अदालत ने न्यायाधीश लोया की मौत की एसआईटी जांच की मांग करने वालों को फटकार लगाई है।'

कांग्रेस पर याचिका के पीछे की 'अदृश्य राजनीतिक शक्ति और राजनीतिक मंच' होने का आरोप लगाते हुए पात्रा ने कहा, 'यह राजनीतिक शत्रुता के तहत किया गया था।'

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उन्होंने कहा, '12 जनवरी 2018 को किसने संवाददाता सम्मेलन किया था? वह राहुल गांधी थे। इस मामले में अदृश्य हाथ या अदृश्य निकाय, जिसके बारे में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है...वह और कोई नहीं राहुल गांधी और कांग्रेस है।'

पात्रा ने कहा, 'आप लोगों ने अपनी अक्षमता की वजह से चुनाव में हार का सामना किया। यही वजह है कि आप लोग ईष्यालु हैं। राहुल गांधी को सामने आना चाहिए और अमित शाह, देश और न्यायपालिका से माफी मांगनी चाहिए।'

उन्होंने कहा, 'इस संबंध में सभी याचिका राजनीतिक रूप से प्रेरित है और अमित शाह की छवि बिगाड़ने का प्रयास है। आज उन्हें (राहुल गांधी को) सर्वोच्च न्यायालय से करारा जवाब मिल गया।'

उन्होंने कांग्रेस पर इस तरह की रणनीति अपनाने के आरोप लगाया और कहा कि वे लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शाह के साथ राजनीतिक रूप से लड़ाई लड़ने में सक्षम नहीं हैं।

उन्होंने कहा, 'कांग्रेस हमेशा एक परिवार को आगे बढ़ाती है और जब वे सत्ता से बाहर हो जाते हैं, तो इसी तरह की साजिश रचती है।'

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और डी.वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है और न्यायाधीश लोया की मौत प्राकृतिक तरीके से हुई थी।

न्यायाधीश लोया हाईप्रोफाइल माने जाने वाले कथित सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों में से एक थे।

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